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हमारी चाल तो ठीक, पर मंजिल बहुत दूर

सभी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों का आकलन है कि भारत की जीडीपी में वृद्धि दर 6.5 प्रतिषत से लेकर 6.9 प्रतिषत तक रहने वाला है। यानी भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है। - विक्रम उपाध्याय

 

यह महज इत्तेफाक नहीं है कि कई अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां लगातार विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बारे में नकारात्मक और पांचवीं अर्थव्यवस्था भारत के बारे में एक ही समय में सकारात्मक राय व्यक्त कर रही है। हालांकि इन रेटिंग्स से वैश्विक अर्थतंत्र में तत्काल कोई बड़ा बदलाव नहीं आने वाला, परंतु इससे भारत की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में अवष्य बढोतरी होने वाली है और विदेषी निवेषकों के लिए भारत एक आकर्षक निवेष गंतव्य बना रहने वाला है। फिंच, एसएंडपी और मार्गन स्टेनली, सब ने चीन और अमेरिका दोनों देषों और उनकी बड़ी कंपनियों की डाउनग्रेडिंग की है, जबकि भारत की विकास दर को अपग्रेड किया है। पर भारत के लिए यह समय खुष होकर बैठने का नहीं है, बल्कि वैश्विक बाजार के इस सकारात्मक संदेष के हिसाब से बड़ी पूंजी को अवषोषित करने की क्षमता विकसित करना चाहिए।

चीन में इस समय जो आकड़े आ रहे हैं, वे इस बात का संकेत करते हैं कि वहां इस समय उदासीनता का माहौल है। कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था में कोई सुधार नहीं है। सभी प्रमुख सेक्टर में मंदी के कारण लगता है कि चीन को फिर से एक बड़े बेलआउट पैकेज की घोषणा करनी पड़ सकती है, क्योंकि निर्यात सिकुड़ने के साथ साथ घरेलू मांग में भी कोई उठाव नहीं है। जून 2023 में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले निर्यात में 12.4 फीसदी की गिरावट आई है। इस समय चीनी उपभोक्ताओं का आत्मविश्वास टूटा पड़ा है। प्रोपर्टी मार्केट अब भी औंधे मुंह पड़ा हुआ है, जो कि चीन की जीडीपी में एक तिहाई वजन रखता है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार जून में समाप्त तिमाही में पिछली तिमाही के मुकाबले केवल 0.5 प्रतिषत की ही बढ़ोतरी देखी गई है। खुदरा बाजार और निवेष में भी नमी है। 

एक अगस्त को जारी अपनी रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट एजेंसी फिंच ने कहा है कि यदि चीनी बैंक कम ब्याज दर पर होम लोन को रिफायनेंस करना जारी रखते हैं तो उनकी लाभदायकता में 1 से 5 प्रतिषत तक गिरावट आ सकती है। ऐसा होना लाजिमी भी है, क्योंकि चीन के केंद्रीय बैंक ने हाल ही में एक प्रेस कांफ्रेस के जरिए सभी बैंकों से कहा भी है कि वे मॉारगेज लोन की ब्याज दर कम ही रखें और पुराने लोन की जगह नये लोन जारी रखे। फिंच का कहना है कि यदि ऐसा बड़े पैमाने पर होता है तो इसका सीधा असर चीन के बैंकों की लाभप्रदता पर होगा, क्योंकि चीन के बैंकों के कुल लोन का 20 प्रतिषत से अधिक हिस्सा मॉरगेज लोन ही है। फिंच ने ही 3 अगस्त एक और अपनी रिपोर्ट में चाइना ग्रेटवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी की रेटिंग्स ‘ए’ से घटाकर ‘ए माइनस’ कर दिया। फिंच का कहना है कि शी जिनपिंग की सरकार द्वारा यदि चाइना ग्रेट वाल को आर्थिक मदद मिलना जारी नहीं रहता तो यह बैंक डिफॉल्ट भी हो सकता है। चाइना ग्रेटवाल अभी तक सरकार का प्रौक्सी बैंक बन कर ही काम कर रहा है। लेकिन हाल के दिनों में सरकार ने अपनी सपोर्ट कम कर दी है। शायद यही कारण है कि इस बैंकिग संस्थान ने अभी तक अपने वित्तीय परिणाम जारी नहीं किए हैं, जबकि 30 अप्रैल तक इसे जारी हो जाना चाहिए था। फिंच का आकलन है कि वित्तीय परिणामों को जारी होने में देरी से इसके वित्तीय स्रोतों में भी कमी आएगी और साथ में यह बात भी सच साबित होगी कि इस बैंकिंग संस्थान पर सरकार का कंट्रोल नहीं रहा। उल्लेखनीय है कि चाइना ग्रेटवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी में चीनी वित्तमंत्रालय की सीधी 73. 5 प्रतिषत हिस्सेदारी है और बाकी हिस्सेदारी भी चीन के अन्य सरकारी विभागों की है। 

अंतरराष्ट्रीय निवेष सलाहकार मार्गन स्टेनली ने भी चीन के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए अपने निवेषकों को कहा है कि यह समय बीजिंग में निवेष करने का नहीं है, क्योंकि वहां बाजार में कोई ग्रोथ दिखाई नहीं दे रहा है। चीनी अर्थव्यवस्था को लेकर स्टैंडर्ड एंड पुअर (एसएंडपी) ने भी निराषा ही जताई है। एसएंडपी का भी कहना है कि चीन की जीडीपी वृद्धि दर 5.2 प्रतिषत ही रहने वाला है। गोल्डमैन साच्स ने भी चीन की विकास दर का आकलन घटा दिया है। पहले इस एजेंसी ने चीन की विकास दर 6 प्रतिषत रहने का आकलन किया था, पर अब इसे घटाकर 5.4 प्रतिषत का आकलन किया है। अब खुद चीन भी मान रहा है कि उसकी बस अब छूट रही है। 4 अगस्त को चीन की सरकार ने एक बार फिर लोगों में आत्मविश्वास भरने के लिए एक साथ कई उपायों की घोषणा की। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि शुक्रवार को कई सरकारी एजेंसियों और सेंट्रल बैंक ने यह संकल्प लिया कि 2023 की दूसरी छमाही में आर्थिक प्रगति दुबारा वापस लाने के लिए आवष्यक नीतिगत निर्णय और आर्थिक पैकेज पर लगातार काम करेंगे। चीन मैक्रो लेवल पर नीतियों को लागू करेगा, निवेषकों का विश्वास बहाल करेगा और घरेलू बाजार में मांग बढ़ाने पर काम करेगा। लेकिन अमेरिका यूरोप, आस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान के साथ कई तरह के विवाद के बाद भी बीजिंग पुरानी लय प्राप्त कर सकेगा, इसमें सभी को संषय है। 

दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका को लेकर भी तमाम आषंकाएं अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने जताई है। अमेरिकी बाजार में तब हाहाकार मच गया, जब फिंच ने अमेरिका की रेटिंग ‘एएए’ से घटाकर ‘एए प्लस’’ कर दिया। अमेरिकी शेयर बाजार में 2 अगस्त को फिंच की रिपोर्ट आने के बाद जबर्दस्त बिकवाली चली और एसएंडपी 500 इंडेक्स में 1 प्रतिषत से अधिक की गिरावट देखी गई। फिंच की इस रिपोर्ट से पूरा अमेरिकी प्रषासन बौखला गया और सभी प्रमुख अधिकारी फिंच की रिपोर्ट को बकवास करार देने में लग गए। फिंच का आकलन है कि अमेरिका का अगले तीन साल में और कर्ज बढ़ जाएगा और बैंकिंग सेक्टर पर इसका जबर्दस्त नकारात्मक प्रभाव होगा। अभी कुछ ही माह पहले अमेरिका पर डिफाल्ट का खतरा आ गया था। अमेरिका की समस्या उसके कर्ज की बढ़ती सीमा से है। 2011 तक अमेरिका का जीडीपी डेब्ट रेषियो 65.5 प्रतिषत था जो अब बढ़कर 100 प्रतिषत से अधिक हो गया है और अगले तीन साल में इसके 115 प्रतिषत हो जाने का अनुमान है। अमेरिकी प्रषासन इस समय राजनीतिक अस्थिरता का षिकार है। फिंच का कहना है कि पिछले 20 साल से अमेरिका राजनीतिक हाराकिरी का षिकार हो रहा है। 

भारत के लिए फिलहाल अच्छी अच्छी खबरें हैं। सभी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने हमारी जीडीपी ग्रोथ रेट का अपना ही अनुमान बढ़ा दिया है। सभी का आकलन है कि भारत की जीडीपी में वृद्धि दर 6.5 प्रतिषत से लेकर 6.9 प्रतिषत तक रहने वाला है। यानी भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है। हमारी चाल तो ठीक है पर मंजिल बहुत दूर है। हम अभी भी अमेरिका और चीन के मुकाबले कहीं नहीं ठहरते। अमेरिका और चीन हमसे पांच गुणा बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। विश्व व्यापार में चीन की हिस्सेदारी 15 प्रतिषत तो अमेरिका की हिस्सेदारी 14 प्रतिषत है। वहीं भारत की हिस्सेदारी 2 प्रतिषत से भी कम है। पर अच्छी बात है कि भारत के प्रति पूरी दुनिया में विश्वास बढ़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ग्लोबल लीडर बन कर उभरे हैं। मार्गन स्टेनली जो कि दुनिया भर में 6 ट्रिलियन डॉलर के निवेष को सलाह देती है, भारत के शेयर बाजार को वेटेज वाला बाजार हाल ही में घोषित किया है। उसी ने कहा है कि भारत अब 2013 वाली अर्थव्यवस्था नहीं है, तब उसे 5 फ्रेजाइल इकोनॉमी में से एक बताया गया था। तब देखना है कि 2023 से आगे भारत कहां जाता है।

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