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विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता कम कर स्वदेशी को अपनाओः डा. महाजन

स्वदेशी जागरण मंच का उद्देश्य विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता कम कर स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने के लिए देशवासियों को प्रेरित करना है। विदेशी कंपनियां बीज एवं दवाओं को पेटेंट कराकर हमारे संसाधनों के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। विदेशियों की इन गलत नीतियों का पता चलने पर स्वदेशी जागरण मंच की 22 नवंबर 1991 को स्थापना की गई। यह बात एलएनआइपीई सभागार में स्वदेशी जागरण मंच की 15वीं राष्ट्रीय सभा को संबोधित करते हुए स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक एवं अर्थशास्त्री डा. अश्वनी महाजन ने कही।शुभारंभ सत्र में दो पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। इनमें एक पुस्तक पुनः बनाएं भारत महान है, जिसकी लेखक डॉ. आर.के. मित्तल थे। दूसरी पुस्तक मनोनीत दलाल द्वारा लिखी गई स्वदेशी मूवमेंट आफ भारत है। इससे पूर्व स्वागत भाषण स्वागत भाषण राष्ट्रीय सभा के प्रबंध प्रमुख आरपी माहेश्वरी ने दिया।

अर्थशास्त्री डा. अश्वनी महाजन ने कहा कि भारत दवाओं का बड़ा बाजार है। विदेशी कंपनियां दवाओं को पेटेंट कराकर जनता को लूट रही हैं। स्वदेशी जागरण मंच ने इसका विरोध किया। इससे डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) को झुकना पड़ा और वर्ष 2005 में दवाओं के पेटेंट बनने में कई सुझाव स्वदेशी जागरण मंच के भी माने गए। स्वदेशी जागरण मंच के कोरोना वैक्सीन को पेटेंट मुक्त कराने के लिए देशभर के 14 लाख लोगों ने हस्ताक्षर कराए। कोरोना ने हमें विदेशियों की तरह रहने की सीख दी है। मास्क, वेंटिलेटर और चिप हमें स्वयं ही बनाना है। इसके लिए भारत सरकार की तरफ से प्रयास भी शुरू हो गए हैं।

विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद किरण चोपड़ा ने कहा कि स्वदेशी होना सुखी जीवन का मंत्र है। यह नारा बेरोजगारी का समाधान है। भारत ही एक ऐसा देश है, जिसने इस दुनिया को जीरो और दशमलव दिया है। भारतीय संस्कृति को कुचलने के लिए मुगलों और अंग्रेजों ने भरपूर प्रयास किए। अंग्रेज तो चले गए, लेकिन अपनी गलत मानसिकताएं भारत में छोड़ गए। जिन्हें दूर करना जरूरी है। स्वदेशी मंत्र अपनाने से हमारा देश सोने की चिड़िया से सोने का शेर बन जाएगा। अगर हमें चीन को टक्कर देना है तो एमएसएमई के माध्यम से घर-घर में सामान तैयार करना होगा। जिसे देश और विदेश में निर्यात किया जा सके। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक आर सुंदरम ने कहा कि कोरोना के चलते पिछले दो वर्ष से हमें अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना महामारी में हमने कई अपनों को खोया है। परंतु हमारी स्वदेशी जीवन पद्धति ने लोगों की जान ही नहीं बचाई अपितु एक नई ऊर्जा का संचार भी किया है। देश के 450 जिलों में हमारा काम खड़ा हो गया है। इसी क्रम में पर्यावरण पर अनंदा, परिवार प्रबोधन एवं नारी शक्ति पर अमिता पत्की, स्वास्थ्य एवं देशी चिकित्सा पर अरुण ओझा, डेमोग्राफिक डिविडेंड पर प्रो. राजकुमार मित्तल, कृषि पर ओपी चौधरी एवं विश्व व्यापार संगठन (डब्लयूटीओ) पर डा. अश्वनी महाजन ने अपने-अपने विचार रखे। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सहसरकार्यवाह एवं वरिष्ठ प्रचारक वी. भगैय्या, स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अरुण ओझा, मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डा. धनपतराम अग्रवाल, स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल, भारतीय मजदूर संघ के सज्जी नारायण, लघु उद्योग भारती के जितेंद्र गुप्त, अंकुर माहेश्वरी, डा. राजकुमार मित्तल, जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसके राव आदि उपस्थित थे। संचालन प्रांत संयोजक श्रीकांत बुधौलिया एवं आभार साकेत सिंह राठौड़ ने व्यक्त किया।

 

https://www.naidunia.com/madhya-pradesh/gwalior-adopt-swadeshi-by-reducing-dependence-on-foreign-goods-dr-mahajan-7204407
 

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