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अखिल भारतीय वृहद बैठक - कन्याकुमारी (23-25 दिसंबर 2023)

युवा, उद्यमिता एवं स्वदेशी के वृहद विचार पर केन्द्रित स्वदेशी जागरण मंच एवं स्वावलंबी भारत अभियान की अखिल भारतीय वृहद बैठक 23, 24, 25 दिसंबर 2023 को विवेकानद केंद्र (कन्याकुमारी) में 13 सत्रों में संपन्न हुई। बैठक में देश के 42 प्रांतों से प्रांतस्तरीय एवं इससे ऊपर के दायित्ववान 274 कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया। जिसमें 48 मातृशक्तियों ने भी भाग लिया।

बैठक के उपरान्त दो दिवसीय पूर्णकालिक प्रशिक्षण बैठक में 25 प्रांतों के 40 पूर्णकालिक कार्यकर्ता उपस्थित रहें। जिन्होंने स्वामी विवेकानंद शिला स्मारक पर राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी का संकल्प लिया।

प्रथम सत्र (उद्घाटन सत्र) - 23 दिसंबर 2023

उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सह सरकार्यवाह एवं वर्तमान में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य माननीय भागैय्या जी का विशेष मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। विवेकानंद केन्द्र के प्रमुख श्री बालकृष्ण जी एवं महासचिव श्री भानुदास जी तथा जोहो कारपोरेशन के चेयरपर्सन एवं स्वावलंबी भारत अभियान के संरक्षक श्री श्रीधर वेम्बू का भी विशेष सानिध्य इस सत्र में प्राप्त हुआ। मंच पर अखिल भारतीय संयोजक श्री आर. सुन्दरम, राष्ट्रीय सगंठक श्री कष्मीरी लाल, अ.भा. सह संयोजक एवं अभियान के अ.भा. समन्वयक प्रो. भगवती प्रकाष शर्मा, डॉ. धनपतराम अग्रवाल, डॉ. अश्वनी महाजन, महिला कार्यप्रमुख श्रीमती अमिता पत्की उपस्थित रहे।

प्रो. भगवती प्रकाष शर्मा ने स्वावलंबी भारत अभियान की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। जनवरी 2022 में अपनी प्रथम राष्ट्रीय कार्यषाला दिल्ली में हुई। वर्तमान में स्वावलंबी भारत अभियान के 400 रोजगार सृजन केंद्र एवं 152 पूर्णकालिक कार्यकर्ता पूरे देष में कार्यरत हैं। वर्तमान में 94 कार्यकर्ताओं की केंद्रीय टोली है, जिसमें सभी संगठनों के प्रतिनिधि सम्मिलित हैं।

अखिल भारतीय संगठक श्री कष्मीरी लाल ने कार्यकर्ताओं का मार्गदर्षन करते हुए कहा कि स्वदेषी सप्ताह व बाबू गेनू बलिदान दिवस संपूर्ण देष में वृहद रूप से मनाया गया, जो आगामी वर्षों में भी इसी रूप में मनाया जाना चाहिए। स्वदेषी, विदेषी एवं स्थानीय वस्तुओं की जानकारी वाले पत्रक बांटना अनिवार्य कार्य है। स्वदेषी मेलों का आयोजन स्थान-स्थान पर होना चाहिए। स्वदेषी शोध संस्थान के भवन का कार्य अंतिम चरण में है तथा 9 अप्रैल (नववर्ष प्रतिपदा) तक अतिरिक्त कार्य भी पूरा होकर लोकार्पण हो जाएगा। 

श्री श्रीधर वैम्बू ने जिला आधारित अर्थव्यवस्था पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि विश्व में चीन द्वारा स्थापित आर्थिक मॉडल स्थान बना रहा है। यह मॉडल युवाओं को मात्र 5-7 वर्ष के लिए 18-20 हज़ार का रोज़गार देकर जीवन के प्रति उनके समूचे दृष्टिकोण को समाज से विरक्ति में बदल देता है, उन्हें एकाकी बना देता है, जो किसी भी राष्ट्र के उत्थान में कभी भी सहायक नहीं हो सकता। उन्होंने तमिलनाडु के एक जिले में एक विदेषी कंपनी द्वारा कर्मचारी के रूप में रखी गई 35,000 महिलाओं का उदाहरण दिया, इस विदेषी कंपनी में काम करने के फलस्वरुप जीवन मूल्य, सामाजिक मूल्य, सांस्कृतिक मूल्य, पारिवारिक मूल्य बदल रहे हैं, जन्म दर घट रही है, साउथ कोरिया में तो यह 0.7 की रह गई है। हमें ऐसे आर्थिक विकास मॉडल को बदलना है ।

माननीय भगैय्या जी ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में स्वदेषी को ही जीवन की दृष्टि और जीवन शैली बताया। स्वदेषी जागरण मंच का प्रथम कार्य स्वदेषी की संकल्पना को जन-जन तक पहुंचाना है। युवाओं के मध्य स्वदेषी और स्वावलंबन की ओर जाने की राह प्रस्तुत करने की आवष्यकता है। एक गाय के पालन से 20,000 रुपए प्रतिमाह कमाये जा सकते है, उसका उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने स्वदेषी जागरण के कार्यकर्ताओं के मानसिक, सामाजिक उत्थान, नए कार्यकर्ताओं को जोड़ना एवं उनके प्रषिक्षण की आवष्कता पर बल दिया। पंच प्रवाह में स्वदेषी का विषय अति महत्वपूर्ण है, जिसे जीवन में उतारने की महती आवष्यकता है। स्वदेषी की भावना में ही विश्व का कल्याण है।

श्री आर. सुंदरम ने कहा कि कन्याकुमारी का यह स्थान बहुत ऊर्जावान है। विवेकानंद केंद्र का महत्व बताया और साथ ही इस स्थान पर आयोजित बैठक के माध्यम से कार्यकर्ताओं को एक नई ऊर्जा मिलेगी, ऐसा विश्वास व्यक्त किया। 

अखिल भारतीय सह-संगठक श्री सतीष कुमार द्वारा लिखित पुस्तक भारत/2047 का विमोचन भी मंचासीन महानुभावों द्वारा किया गया। सत्र का संचालन अ.भा. सह-संयोजक श्री अजय पत्की द्वारा किया गया।

सत्र-2

इस सत्र में 6 क्षेत्रों (दक्षिण क्षेत्र, दक्षिण मध्य क्षेत्र, पष्चिम क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, राजस्थान क्षेत्र व उत्तर क्षेत्र) के अनुसार गत वर्ष में संपन्न कार्यों का वृत्त निवेदन क्षेत्र संयोजकों द्वारा प्रस्तुत किया गया।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रतिनिधि डॉ राजीव सिजारिया ने पूरे देषभर में विद्यार्थी परिषद द्वारा आयोजित उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलनों की जानकारी दी। 

सत्र का संचालन अखिल भारतीय संघर्षवाहिनी प्रमुख श्री अनन्दा शंकर पाणिग्रही ने किया।

सत्र-3

इस सत्र में शेष 5 क्षेत्रों, जिनमें पष्चिम उत्तर प्रदेष क्षेत्र, पूर्वी उत्तर प्रदेष क्षेत्र, बिहार-झारखंड क्षेत्र, पूर्वी क्षेत्र (उड़ीसा, बंगाल) एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र के कार्यवृत्त क्षेत्र संयोजक/समन्वयकों द्वारा प्रस्तुत किए गए।

सहकार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री संजय पाचपोर ने सहकारिता से स्वरोजगार विषय पर प्रकाष डालते हुए बताया कि स्ट्रॉबेरी खेती के उदाहरण द्वारा सहकार भारती के सहयोग से प्रकल्प खड़े हुए हैं। आंध्र प्रदेष में तहसील  स्तर पर महिलाओं द्वारा कंज्यूमर स्टोर चलाये जा रहे है। ऑल इंडिया लेवल पर आई.टी. की कोऑपरेटिव सोसाइटी बनाने एवं उत्तर प्रदेष में एस.एच.जी. के माध्यम से महिलाओं द्वारा दंत मंजन निर्माण एवं लिज्जत पापड़ का उदाहरण भी दिया।

डॉ. अश्वनी महाजन ने कहा कि स्वदेषी जागरण मंच की स्थापना का उद्देष्य विश्व व्यापार संगठन समझौतों के माध्यम से हुए विदेषी षडयंत्र से देष को बचाना रहा है। एक नेरेटिव स्वदेषी जागरण मंच द्वारा बनाया गया कि डब्ल्यू.टी.ओ. के समझौतों को हम नहीं मानेंगे, जनता के साथ गलत नहीं होने देंगे, समझौते के लिए आंदोलन किया गया, जिसका ही परिणाम था कि भारत सरकार ने पेटेंट को विदेषी दबाव के बावजूद मानने से मना कर दिया।

उन्हांने आगे बताया कि विदेषी ताकतों द्वारा भारत की छवि खराब करने का प्रयास किया गया। जैसे- भारत एक अल्प विकसित, गरीबी, भुखमरी वाला देष है। लेकिन वर्तमान में इस भ्रामक प्रचार को बदला जा रहा है। उन्होंने कहा कि जीडीपी बढ़ने का अर्थ किसी भी देष का विकास होना नहीं हो सकता।

स्वावलंबी भारत अभियान में सहयोगी ‘दे आसरा फाउंडेषन’ के प्रतिनिधि श्री आषीष पंडित ने बताया कि यह फाउंडेषन अब तक 2,75,000 उद्यमियों का सहयोग कर चुका है। अभियान के साथ मिलकर भविष्य की कार्य योजना के बारे में स्पष्ट किया। 

सत्र का संचालन डॉ राजकुमार मित्तल (वर्तमान में अखिल भारतीय सह-संयोजक) ने किया।

सत्र-4 

यह सत्र गटषः हुआ। सभी 11 क्षेत्रों को पाँच गटों में विभाजित कर तीन विषय संबंधित अधिकारियों द्वारा रखे गये। 1. भारत / 2047, 2. स्वदेषी मेला, 3. 12 जनवरी की युवा उद्यमिता रैली। सभी 11 क्षेत्रों ने  विषयों पर चर्चा कर अपनी-अपनी कार्य योजना बनाई।

सत्र-5

यह सत्र क्षेत्रषः बैठकों का रहा, जिसमें सभी प्रांतों ने अखिल भारतीय अधिकारियों की उपस्थिति में अपने क्षेत्रानुसार बैठक कर निम्न विषयों पर चर्चा एवं योजना बनाई। 1. पूर्णकालिक कार्यकर्ता, 2. संगठनात्मक विस्तार व 3. प्रवास योजना।

सत्र-6 (24 दिसंबर 2023)

इस सत्र का विषय ‘स्वावलंबी भारत अभियान एवं हमारी कार्य पद्धति’ रहा। सत्र में श्री सतीष कुमार ने कहा कि देष को विकास के पथ पर लेकर जाने एवं स्वावलंबी बनाने का प्रथम सूत्र युगदृष्टा दत्तोपंत ठेंगड़ी जी ने स्वदेषी जागरण मंच की स्थापना के समय ही दिया था। आज श्छंजपवद थ्पतेजए ैंकमेप उनेजश् का नारा स्वावलंबी भारत अभियान के माध्यम से स्वदेषी के मूल भाव का ही प्रत्यक्ष विस्तार है। स्वदेषी, सहकारिता, उद्यमिता और विकेंद्रीकरण के चतुष्पंक्ति मार्ग के माध्यम से देष को रोजगारयुक्त, गरीबी मुक्त, समृद्धियुक्त बनाया जा सकता है। इसके लिए हमें भाव जागरण, मानसिकता परिवर्तन के लिए संकल्पित होकर, संवेदना के साथ कार्य करने की आवष्यकता है।

स्वाभाविक रूप से हमारे पास “संस्कार-उद्देष्य की पवित्रता-उद्देष्य की व्यावहारिकता-दृढ़ निष्चय” अवष्य है, जो हमारे लक्ष्य प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे। यह सत्र चर्चात्मक था, जिसमें प्रष्नोत्तरों का क्रम भी रहा। सत्र का संचालन अ.भा. सह व्यवस्था प्रमुख श्री दीपक शर्मा ’प्रदीप’ ने किया।

सत्र-7

इस सत्र में सर्वप्रथम अ.भा. सह-संयोजक डॉ धनपतराम अग्रवाल ने अपनी विषय प्रस्तुति में बताया कि वर्तमान में भारत जीडीपी अनुसार विश्व की पाचंवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमें दो बातों को ध्यान में रखकर आगे बढना चाहिए, पहला- पर्यावरण और दूसरा- भौतिक संपदा। वर्तमान में भारत की कार्यषील जनसंख्या विश्व में सबसे अधिक है, परन्तु समृद्धषाली राष्ट्र बनने के लिये हमें टेक्नोलॉजी में और आगे बढ़ना होगा, नए अनुसंधान व अविष्कार करने होंगे।

श्री हार्दिक सोमानी ने स्वावलंबी भारत अभियान के डिजिटल स्वरूप माई-एसबीए के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि माई-एसबीए प्लेटफार्म के माध्यम से जॉब सीकर और जॉब प्रोवाइडर दोनों ही सरलता से अपना पंजीकरण कर सकते हैं, और रोजगार सृजन के अवसरों की जानकारी के साथ जुड़ सकते है। 12 जनवरी से एसबीए वालंटियर बनाने का अभियान प्रारंभ करना है, प्रत्येक जिले में न्यूनतम 1000 वालंटियर बनाने का लक्ष्य लिया गया है।

श्री ज्वाला प्रसाद (विद्या भारती के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य) ने बताया कि भारतवर्ष में विद्या भारती एक मात्र ऐसी गैर सरकारी संस्था है जिसके द्वारा देष भर में 28,000 विद्यालय संचालित किए जाते हैं। गाँधी स्मृति एवं दर्षन समिति और विद्या भारती के द्वारा अभियान को किस प्रकार गति दी जा रही हैं, इसका भी उल्लेख किया। इन विद्या मंदिरों में युवाओं के लिये रोजगार एवं उद्यमिता के कार्यक्रम भी संचालित किए जाते हैं।

डॉ. धर्मेंद्र दुबे (अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख ) ने प्रचार तंत्र के विषय में बताया कि प्रांत स्तर पर प्रचार टोली में न्यूनतम पांच कार्यकर्ता और जिला स्तर पर न्यूनतम तीन कार्यकर्ता होने चाहिए, संगठनात्मक प्रचार-प्रसार करने के लिए मंच एवं अभियान सोषल मीडिया एकाउंट्स को स्वयं भी फॉलो करें व इसके फॉलोअर्स बढ़ाएं। इंस्टाग्राम पर माई-एसबीए और ज्वाइन स्वदेषी के नाम से अकाउंट है। फेसबुक पर जॉइन स्वदेषी और यूट्यूब पर भी जॉइन स्वदेषी, एक्स (टविट्र) पर स्वदेषी योद्धा के नाम से अकाउंट है।

स्वदेषी पत्रिका के लिए सदस्यता अभियान एवं डिजिटल स्वरूप के लिए भी सदस्यता शुल्क 50 रू. लेकर डिजिटल सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। 

डॉ अश्वनी महाजन ने कहा कि देष के अंदर देष विरोधी ताकते अपना सर उठा रही है, जिसे प्रचार के माध्यम से कमजोर किया जा सकता है। हमें संगठन में समवैचारिक, बुद्धिजीवियों को जोड़ना चाहिये। सत्र का संचालन अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख डॉ राजकुमार चतुर्वेदी ने किया।

सत्र-8 

श्री सतीष चावला (अ.भा. वित्त प्रमुख) ने वित्त संबंधी विषयों पर जानकारी देते हुए बताया कि 1 जून 2023 को अर्थ संग्रह अभियान आरंभ किया गया था। इसकी विषेषता यह है कि यह पूर्ण रूप से कैषलैस और पेपरलैस उपक्रम है। जिला स्तर तक अभियान के प्रत्यक्ष और सफल संचालन हेतु अर्थ की आवष्यकता रहेगी, जिसे कार्यकर्ताओं के माध्यम से अर्थ संग्रह करके ही सरल किया जा सकेगा। सीएसआर, संस्थागत एवं व्यक्तिगत तीनों प्रकार से हम योगदान ले सकते हैं। जितना धन संकलित होगा उसमें से 85 प्रतिशत जिला का, 10 प्रतिशत प्रांत का, और 5 प्रतिशत केंद्र का हिस्सा होगा। इस वर्ष धन संग्रह अभियान अप्रैल माह में किया जाएगा। प्रो. प्रदीप चौहान (जेएनयू) ने स्वदेषी शोध संस्थान की प्रगति के बारे में बताया।

श्री रवि कवि ने इंटरप्रिनोयर चेंपियनशिप अवार्ड के सम्बंध में एक डोक्यूमेंट्री के माध्यम से बताया, जो कि मार्च के प्रथम सप्ताह में  भारत मंडपम, प्रगति मैदान, दिल्ली में आयोजित होने वाला है। इसके उपरांत सभी प्रांतों और जिलों में भी उद्यमिता अवॉर्ड की योजना को लागू किया जाये, ऐसा विचार सभी के समक्ष रखा गया।

अ.भा. सह व्यवस्था प्रमुख श्री दीपक शर्मा ‘प्रदीप’ ने परिसंपतियों के संबंध में एवं केंद्रीय कार्यालय प्रमुख श्री लक्ष्मण भावसिगंका ने कार्यालय के संबंध में जानकारी दी। सत्र का संचालन डॉ एस. लिगामूर्ति ने किया।

सत्र- 9

इस सत्र में श्री शषांक मणि त्रिपाठी, जो देवरिया उत्तर प्रदेष में जाग्रति उद्यम केंद्र एवं युवा जाग्रति यात्रा का संचालन करते हैं, ने उद्यमिता के संबंध में युवाओं को पर्याप्त जानकारी उपलब्ध कराने पर बल दिया। नेशनल इंटरप्रिनोयरशिप सर्विस का प्रचलन बढ़ाना होगा, ताकि युवा पीढ़ी को पर्याप्त जानकारी एवं मार्गदर्षन मिल सके और उनके मन-मस्तिष्क में उद्यमी बनने के गुणों का विकास हो।

श्री सुरेन्द्रन, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, भारतीय मजदूर संघ, ने बताया कि 2 करोड़ सदस्यों के साथ भारतीय मजदूर संघ सबसे बड़ा ट्रेड यूनियन है। कोरोना महामारी के बाद आजीविका का महत्व अधिक समझ में आया है, सगठन सरकारी, गैर सरकारी, सगठित एवं असंगठित क्षेत्र में मजदूरों के हितों की रक्षा के लिये सतत् प्रयत्नषील है। सत्र का संचालन डॉ सुनीता भरतवाल ने किया।

सत्र- 10

‘पूर्ण रोजगारयुक्त भारत, समद्ध भारत’ विषय पर आधारित इस सत्र में विविध संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ तरंग माध्यम से जुड़कर उनके संगठनों में रोजगार सृजन की गतिविधियों पर चर्चा हुई। जिसमें विश्व हिन्दू परिषद, सेवा भारती, ग्राहक पंचायत, सहकार भारती, किसान संघ, वनवासी कल्याण आश्रम, विद्या भारती, हिन्दू जागरण मंच, सक्षम, पर्यावरण गतिविधि, भारतीय षिक्षण मण्डल, गायत्री परिवार, वक्रांगी ग्रुप, आईआईडी इत्यादि प्रमुख रहें। श्री आर. सुन्दरम, श्री सुरेन्द्रन, प्रो. भगवती प्रकाष शर्मा, श्री श्याम मनोहर मंचासीन रहे। डॉ भगवती प्रकाष शर्मा ने विषय पर प्रकाष डाला। सत्र का संचालन अभियान के सह समन्वयक श्री जितेन्द्र गुप्त ने किया।

सत्र- 11 (24 दिसंबर 2023)

इस सत्र में महिला कार्य एवं अभियान का आगामी कैलेंडर पर चर्चा हुई। श्रीमती अर्चना मीना (अ.भा. महिला सह समन्वयक) ने स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत केंद्र से जिला स्तर तक महिलाओं की अभियान में अधिक से अधिक भागीदारी, तंत्र समन्वय, डिजिटल प्लेटफार्म का पूर्ण उपयोग विषय पर जानकारी रखी।

श्रीमती अमिता पत्की ने कहा कि हर परिवार की मानसिकता, आर्थिक स्थिति अलग-अलग होती है, इसलिए हमें अपनी रचनात्मकता से तय करना है कि स्वदेषी का विस्तार कैसे परिवारों तक करें। उन्होंने इस विषय पर प्रभावी उदाहरणों के द्वारा कार्यकर्ताओं का मार्गदर्षन किया।

डॉ. राजीव कुमार (अ. भा. सह समन्वयक) ने आगामी वर्ष 2024 (जनवरी से दिसंबर) का कार्यक्रमों का वार्षिक कलेण्डर विस्तार से सबके सामने रखा। सत्र का संचालन डॉ प्रतिभा चतुर्वेदी ने किया।

सत्र -12 

प्रो. राजकुमार मित्तल ने “ब्रेन ड्रेन एंड ब्रेन गैन” जो भारतीय विदेषों में हैं, जब वे भारत वापस आएंगे तो उनका संपर्क/अनुभव/अर्थ भारत के काम आयें, इस पर प्रभावी ढंग से विषय सबके समक्ष रखा।

श्री एस. लिंगामूर्ति (क्षेत्र समन्वयक) ने मंदिर आधारित अर्थव्यवस्था पर बताया कि “सुख का मूल धर्म है और धर्म का मूल अर्थ” भारत में 1500 तक 21000 उत्सव मनाये जाते थे और उत्सवों से ही प्रत्येक व्यक्ति को रोज़गार मिल जाता था। उदाहरण- मुंबई, हैदराबाद का गणेष उत्सव, बंगाल का दुर्गा उत्सव इत्यादि। देष के ऐसे स्थानों को चिन्हित करना और वहाँ रोजगार सृजन की उचित योजना बने।

श्री कष्मीरी लाल ने संगठन एवं कार्यकर्ता विषय पर कहा कि कार्यकर्ता पैदा नहीं होता, बनाना पड़ता है। कार्यकर्ता, कार्यक्रम, कोष, कार्यालय इन चार बातों पर उदाहरणों के साथ प्रभावी विषय रखा। रोज़गार सृजन केंद्र को स्वदेषी का कार्यालय बनायें, साथ ही कार्यकर्ताओं के पाँच करणीय कार्य बताये। सत्र का संचालन डॉ धर्मेन्द्र दुबे ने किया।

सत्र-13 (समापन सत्र)

श्री भानुदास (महामंत्री, विवेकानंद केन्द्र) ने विवेकानंद षिला स्मारक और विवेकानंद केन्द्र का विस्तृत इतिहास पटल पर रखा। श्री सतीष कुमार ने ’भारतीय युवा की जीवन शैली-उद्यमिता विषय पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि आने वाला समय भारत का है। आने वाले दिनों में उद्यमिता भारत के युवाओं की जीवन शैली बनने वाली है। उस विचार को कोई नहीं रोक सकता, जिसका समय आ गया हो। 

अ.भा. संगठक श्री कष्मीरी लाल ने अखिल भारतीय संयोजक श्री आर. सुन्दरम की ओर से नवीन दायित्वों की घोषणायें की।

अंत में श्री आर. सुंदरम् ने कन्याकुमारी से नयी उर्जा एवं संकल्प के साथ अपने गन्तव्यों पर कार्य विस्तार करने के आह्वान के साथ सभी अतिथियों, अधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। इस सत्र का संचालन डॉ राजीव कुमार ने किया।
अंत में कल्याण मंत्र के साथ बैठक संपन्न हुई।

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