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स्वतंत्र व्यापार समझौतों का मूल्यांकन जरूरीः विशेषज्ञ

निर्यात के मोर्चे पर ऊंचा मुकाम हासिल करने के लक्ष्य को आगे कर भारत भागीदार देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर आगे बढ़ा है। आस्ट्रेलिया के साथ आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (ईसीटीए) तथा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) पर हस्ताक्षर के बाद भारत ब्रिटेन, रूस, कनाड़ा, अमेरिका, इजरायल, ओमान आदि देशों के साथ इस बाबत बातचीत को आगे बढ़ा रहा है। स्वदेशी जागरण मंच की अगुवाई में गत 29 अप्रैल 2022 को दिल्ली के हरियाणा भवन में आयोजित आर्थिक विशेषज्ञों की एक बैठक में आस्ट्रेलिया तथा यूएई के साथ हुए समझौते का स्वागत किया गया। वहीं आगे अन्य देशों के साथ होने वाली बातचीत में भारतीय हितों के संरक्षण की पुरजोर वकालत की गयी। विशेषज्ञों ने पूर्व के अनुभवों के आधार पर समय-समय पर मूल्यांकन करते रहने, एक प्रभावी निगरानी तंत्र विकसित करने की भी बात प्रमुखता से रखी ताकि भविष्य में विकसित और अपेक्षाकृत धनी देश बौद्धिक संपदा कानून, पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के माध्यम से भारत के हितों के प्रतिकूल कोई समझौता न कर सकें।

बैठक में अपनी बात रखते हुए प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक डॉ. अश्वनी महाजन ने कहा कि वैश्विक व्यापार के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न  देशों के सथ मुक्त व्यापार समझौता करना देश की आर्थिकी के लिए एक सकारात्मक पहल है, किंतु हमें पश्चिमी देशों के दांव-पेंच को ध्यान में रखते हुए फूंक-फूंक कर आगे बढ़ने की नीति पर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि सरकारी खरीद पर समान व्यवहार अथवा किसी खास देश को तरजीह देने की नीति विकासशील देशों के लिए रूकावट बन सकती है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि विकसित देशों के मानक कई एक मामलों में बहुत ऊंचे है। अविकसित तथा विकासशील देश उन मानकों को पूरा करने में लगते है तो उत्पाद की लागत में वृद्धि होगी, जिसका सीधा असर छोटे तथा मध्यम श्रेणी के उद्योगों पर पड़ेगा।

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्थानीय विनिर्माण को वैश्विक बनाने के लिए पिछले दो वर्षों से भागीदार देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों पर लगातार बातचीत चल रही है। भारत का व्यापारिक निर्यात वर्ष 2021-22 में रिकार्ड 418 बिलियन डालर तक पहुंच गया जो सरकार के अनुमानित लक्ष्य से 5 प्रतिशत अधिक है। पेट्रोलियम उत्पादों, इंजीनियरिंग, रत्न और आभूषण, रसायन और फार्मास्यूटिक्लस क्षेत्र के निर्यात में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। निर्यात को और अधिक बढ़ावा देने के लिए आस्ट्रेलिया के साथ ईसीटीए के तहत कुछ क्षेत्रों में शून्य शुल्क पर सहमति बनी है। लेकिन भारत के लिए संवेदनशील माने जाने वाले कुछ उत्पादों जैसे डेयरी उत्पाद, गेहूं, चावल, छोले, बीफ, चीनी, सेब, खिलौने और लौह अयस्क पर शुल्क में छूट नहीं होगी। 

यूएई के साथ हुए समझौते के तहत माल के व्यापार, तकनीकी बाधाएं, सरकारी खरीद, व्यक्तियों की आवाजाही, आईपीआर निवेश, डिजिटल लेनदेन आदि क्षेत्रों  में सहयोग पर सहमति बनी है। वर्तमान में यूएई के 87 प्रतिशत आयात 5 प्रतिशत टेरिफ के अधीन है और 11 प्रतिशत शुन्य शुल्क वाले हैं। यूएई भारत के 15 प्रतिशत की तुलना में केवल 4.6 प्रतिशत टेरिफ लागू करता है। इसका सीधा अर्थ है कि भारतीय पक्ष से बहुत अधिक रियायतों की आवश्यकता पड़ेगी। 

मुक्त व्यापार समझौते में इसी तरह की शंकाओं को लेकर विशेषज्ञों ने सोच समझकर आगे बढ़ने की राय प्रकट की। बैठक में शामिल विशेषज्ञों ने समझौते का स्वागत किया किंतु संवेदनशील क्षेत्रों में निर्यात पर भारतीय हितों को सर्वोपरि बताते हुए संरक्षित किये जाने की मांग की। 

बैठक को गोपा कुमार, प्रो. अभीजीत दास, अजेय भारती, अनिल शर्मा,  विजय सरदाना, रंजा सेन गुप्ता, शालिनी भुटानी, अतुल भंसाली, अनिलेश महाजन आदि ने भी संबोधित किया। ढ़ेर सारे लोग बैठक में आनलाईन भी जुड़े रहे।

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