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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवसः योग से महिलाएं भी रहे निरोग

योग किसी के भी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है, जो महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। — विनोद जौहरी

 

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।

जहां नारी की पूजा होती है अर्थात स्त्रियों का सम्मान किया जाता है, वहां पर देवता निवास करते हैं अर्थात उस कुल के सभी कार्य संपन्न हो जाते है। भगवान की सर्वश्रेष्ठ रचना है-नारी! 

भगवान ने नारी को भावनात्मक रूप से बहुत दृढ़ बनाया है कि उसमें पीढ़ा सहकर एक नए जीव को जन्म देने की अद्भुत क्षमता होती है। और दूसरी ओर उसमें अभिव्यक्ति के माध्य म से अपनी संतान को समझने वाली संवेदनशील भावना भी है। परंतु दुर्भाग्यपूर्ण है कि परिवार में व्यस्त महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं रह पातीं। महिलाएं शारीरिक रूप से बहुत संवेदनशील होती हैं। प्रकृति ने उनको अपनों की देखभाल करने के लिए ही बनाया है इसलिए महिलाओं का हृदय प्रेम, दया, संवेदना और अनुभूति का सागर है। इसी कारण से उनके जीवन में योग का बहुत महत्व है। आधुनिक समय में महिलाएं अपने व्यवसाय, जीविका और परिवार दोनों का दायित्व बहुत सुंदरता से निभा रही हैंॉ इसलिए, जीवन के सभी पहलुओं को संतुलित करने में सक्षम होने के लिए और अपने ऊपर कार्य का अधिक बोझ होने पर भी शांत रहने के लिए योगाभ्यास आवश्यक हो जाता है। परिवार और घर का प्रबंधन करते समय उन्हें मानसिक और शारीरिक समस्याएं, जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं, हार्मोनल एवं थायराइड विकार, स्थूलता, तनाव,उत्कंठा और व्यग्रता हो सकती है। मन, शरीर और आत्मा के संतुलन को बनाए रखने के लिए योगाभ्यास करना आवश्यक है। यह जीवन के सभी पहलुओं में संतुलन लाने में मदद करता है। योग किसी के भी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है, जो महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। महिलाओं को परिवार चलाने में तनाव का सामना करना पड़ता है, और कुछ महिलाओं को तो अपने व्यावसायिक और पारिवारिक जीवन दोनों में समन्वय स्थापित करना पड़ता है। एक शोध के अनुसार महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ज्यादा अवसाद और तनाव देखा गया है। समाज और परिवार का भी कर्तव्य है कि हमारी मातृशक्ति स्वस्थ रहे। 

अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को भारत की पहल और सुझाव के बाद विश्व भर में मनाया जाता है। योग एक प्राचीन भारतीय प्रथा है जो शारीरिक मुद्राओं, श्वसन विधियों और ध्यान को समन्वित करती है। योग में विभिन्न प्रकार के प्राणायाम और कपाल-भाति जैसी योग क्रियाएं शामिल हैं, जो सबसे ज्यादा प्रभावी सांस की क्रियाएं हैं। इनका नियमित अभ्यास करने से लोगों को सांस संबंधी समस्याओं और उच्च व निम्न रक्तदाब जैसी बीमारियों में आराम मिलता है। योग का प्रतिदिन नियमित रुप से अभ्यास किया जाए, तो यह बीमारियों से धीरे-धीरे छुटकारा पाने में काफी सहायता करता है। यह हमारे शरीर में कई सकारात्मक बदलाव लाता है और शरीर के अंगों की प्रक्रियाओं को भी नियमित करता है। विशेष प्रकार के योग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किए जाते हैं। 

व्यावसायिक जीवनमें काम के दीर्घ कालांश और अपने परिवार की देखरेख का अतिरिक्त दबाव महिलाओं के भावनात्मक स्वास्थ्य, फिटनेस के स्तर और नींद के चक्र को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। योग इन सभी चीजों को वापस सामान्य होने में मदद करता है। कुछ योगासन जो व्याकुलता, व्यग्रताॉ अवसाद और तनाव से संबंधित समस्याओं से निपटने में मदद कर सकते हैं, वे हैं- बालासन, वृक्षासन, और मत्स्यासन।

एंडोक्राइनल चक्र 

शरीर की  एंडोक्राइनल पद्धति  बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि सभी हार्मोन स्राव इस सिस्टरम के माध्यम से नियंत्रित और स्रावित होते हैं। योग आसन एंडोक्राइनल चक्र को व्यवस्थित और नियमित करते हैं। सभी योग आसन वजन कम करने में मददगार होते हैं।

मेटाबॉल्जिम (चयापचय)  में सुधार

’सर्वांगासन’ थायरॉयड और पैराथायरॉयड ग्रंथि को उत्तेजित और मेटाबॉल्जिम में सुधार करता है। महिलाओं में हार्मोंस के बदलाव से होने वाली समस्याएं आम है लेकिन इसे हल्के में लेना भी उचित नहीं है। मासिक धर्म के समय होने वाली समस्याएं जैसे अनियमित चक्र, पेट में होने वाली ऐंठन या मरोड़ और शरीर में ऊर्जा की समस्या को दूर करने में योग से काफी सहायता  मिलती है। नियमित योग के अभ्यास से अनिद्रा, चिंता, अवसाद और स्वभाव में बेचैनी जैसी परेशानियों से राहत मिलती है।

योग निद्राचक्र को नियंत्रित करता है

पर्याप्त नींद के बिना, कोई भी व्यक्ति अपने उच्चतम स्तर पर कार्य नहीं कर सकता है, और सिद्धासन, विपरीत करिणी और सुप्तअर्ध दंडासन जैसे योग हमारे नींद चक्र, नींद की गुणवत्ता और अनिद्रा को दूर करने में मदद करते हैं।

रजोनिवृत्ति का समाधान

रजोनिवृत्ति एक ऐसी अवस्था है जो महिला के प्रजनन चक्र के अंत का संकेत देती है और यह महिलाओं के लिए कठिन चरण है, क्योंकि इसमें कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन भी होते हैं जो समस्याएं पैदा कर सकते हैं। थकावट, मूड में उतार-चढ़ाव और दर्द कुछ ऐसी समस्याएं हैं जिनसे महिलाओं को जूझना पड़ता है। यहां योग उपचार की भूमिका निभाता है ताकि महिलाएं इन मनोवैज्ञानिक और शारीरिक परिवर्तनों से निपट सकें। रजोनिवृत्ति एक बदलाव वाला चरण है, लेकिन इससे प्रभावी ढंग से निपटने में योग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कुछ आसन जो इस अवधि के दौरान मदद कर सकते हैं वे हैं मार्जरी आसन, अंजनेयासन और भुजंगासन। योग हार्मोन को संतुलित करने और महिला को शांत रखने और उनकी समस्याओं से निपटने के लिए तैयार करने में भी मदद करता है।

इनके अलावा, ऐसे कई आसन हैं जो माइग्रेन, थायराइड और पीठ दर्द के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं, जो एक सामान्य बीमारी है जिससे सभी उम्र की महिलाएं पीड़ित होती हैं। माइग्रेन के लिए सुझाए गए आसन अधोमुखासवन आसन और प्रसरितापद्दोत्तन आसन (पैर को चौड़ा करके आगे की ओर झुकना) हैं। थायराइड ग्रंथि को संतुलित करके अच्छे स्वास्थ्य के लिए, सर्वांगासन और धनुरासन (हल वाली मुद्रा) कर सकते हैं। पीठ दर्द को कम करने के लिए भुजंगासन और सलंब भुजंगासन को सबसे प्रभावी पाया गया है।

योग- महिलाओं के चरम प्रजनन समय के लिए उत्तम

वर्तमान में यह देखा जा रहा है की आधुनिक जीवन शैली, कामकाजी महिलाओं में व्यस्तता, मानसिक उद्विग्नता आदि के कारण प्रजनन क्षमता में क्षीणता आई है। इसी कारण से आईवीएफ (इन विटरो फर्टिलाइजशन-महिला प्रजनन संबंधी) क्लीनिक हर गली मोहल्ले में खुल गए है। नवजात शिशुओं को गोद लेने के लिए लंबी कतार है। महिलाएं गर्भ धारण तथा मां बनने के समय पर बहुत सारे शारीरिक बदलावों से गुजरती हैं। योग से महिलाओं का प्रजनन स्तर अच्छा हो जाता है। यह आवश्यक है कि वह इस समय पर अच्छा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करें। इस समय पर बहुत से हार्मोन परिवर्तन होते हैं, जिनको कई बार रोकना कठिन होता है। विशेषज्ञ इस समय पर कुछ विशेष आसनों को करने की सलाह देते हैं, जो कि उनको शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर स्वस्थ रख सकें। 

शारीरिक आवश्यकता और क्षमताओं के अनुसार शरीर को तैयार करने में पूर्व प्रसव योग बहुत लाभदायक है। इससे महिलाओं की गर्भाशय की मांसपेशियां मजबूत हो जाती हैं तथा रीढ़ की हड्डी अतिरिक्त दबाव झेलने के लिए मजबूत हो जाती है। प्रसव पूर्व योग करने से प्राणायाम और यौगिक श्वासों के द्वारा महिलाएं जल्दी ही प्रसव की पीड़ा से बाहर निकल जाती हैं। मांसपेशियों में जल्दी मजबूती आ जाती है तथा स्तनपान कराने में वृद्धि हो जाती है।

योग सर्व सुलभ है। स्वामी रामदेव, इस्कॉन, श्री श्री रवि शंकर, मोरारजी देसाई योग संस्थान और बहुत से सरकारी, स्वयंसेवी संस्थान योग प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहे है। टेलिविजन पर विभिन्न चेनेल प्रतिदिन प्रातः योग का प्रशिक्षण देते हैं। हर जगह पार्कों में स्वयं सिद्ध योग शिक्षक सभी को योग सिखाते हैं। परिवार के सभी सदस्यों का कर्त्तव्य है कि माताओं, बहनों, अर्धांगिनी का स्वास्थ्य उत्तम रखने के लिए उनको यथायोग्य योग प्रशिक्षण उपलब्ध कराएं।          

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