प्रौद्योगिकी में लंबी उड़ानः नेशनल क्वांटम मिशन
कई दशक पूर्व कंप्यूटरों का अविष्कार हुआ। इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर के विकास के साथ-साथ कंप्यूटर प्रौद्योगिकी में भारी सुधार भी हुआ, जिसके चलते संचार, स्वास्थ्य, ऊर्जा, ऑटोमोबाइल, अंतरिक्ष आदि में अभूतपूर्व प्रगति हुई। इस प्रगति को आज की भाषा में चौथी औद्योगिक क्रांति भी कहते हैं। लेकिन इस विकास की अपनी सीमाएं रही। यहीं नहीं इसकी सबसे बड़ी समस्या यह रही कि कंप्यूटरों को विभिन्न प्रकार के वायरस और मेलवेयर भेजकर अथवा हैक करके कब्ज़ाया जा सकता है। इससे पूरी व्यवस्था ठप्प हो सकती है। पूर्व में ऐसा हुआ भी है। वित्तीय धोखा धड़ी तो रोज़मर्रा का विषय है। इससे देशों की सुरक्षा पर भी लगातार ख़तरा मंडरा रहा है। क्वांटम प्रौद्योगिकी कंप्यूटर प्रणाली में एक बड़े बदलाव और विकास के रूप में देखी जा रही है, जिससे कंप्यूटरों को पहले से कहीं ज़्यादा तीव्र, प्रभावी और सुरक्षित बनाया जा सकता है।
अप्रैल 19, 2023 को केंद्रीय केबिनेट द्वारा नेशनल क्वांटम मिशन के लिए 6003 करोड़ रूपये की अनुमति के बाद भारत दुनिया में 7वां देश बन गया है, जिसका अपना एक क्वांटम मिशन है। इससे पहले संयुक्त राज्य अमरीका, ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, फ्रांस, कनाडा और चीन का ही अपना समर्पित क्वांटम मिशन है। इस विषय की शुरूआत दिसंबर 2018 में हुई थी, जब नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ‘नेशनल मिशन ऑन साइबर फिजिकल सिस्टम्स’ हेतु 3660 करोड़ रूपये की घोषणा की गई थी। अप्रैल 2023 से प्रारंभ नेशनल क्वांटम मिशन के 4 हिस्से होंगे। पहले तीन हिस्से हैं- क्वांटम कम्प्यूटिंग, क्वांटम कम्युनिकेशन (संचार) एवं क्वांटम सेंसिंग (संवदेन) एवं चौथा हिस्सा उपरोक्त तीनों कार्यक्रमों हेतु उपकरणों का निर्माण है।
माना जा रहा है कि इससे पूर्व क्वांटम मिशन अपनाने वाले देश भी अभी शोध एवं विकास के स्तर पर ही हैं, और इनमें से किसी ने भी क्वांटम तकनीकी का अनुप्रयोग शुरू नहीं किया है। इस प्रकार नेशनल क्वांटम मिशन को अपनाने के कारण भारत भी इन देशों के समकक्ष आ गया है। क्वांटम कंप्यूटर आधुनिक कंप्यूटरों की तुलना में बहुत तीव्र और अद्यतन हैं। कंप्यूटिंग शक्ति में इससे अभूतपूर्व विकास होगा। इनमें जटिल समस्याओं को हल करने की भी क्षमता है जो वर्तमान में हमारी पहुँच से परे हैं। क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों पर आधारित होने के कारण क्वांटम एन्क्रिप्शन तकनीकें पारंपरिक एन्क्रिप्शन विधियों की तुलना में अधिक सुरक्षित होती हैं। क्वांटम संचार नेटवर्क पारंपरिक नेटवर्क की तुलना में द्रुत गति से और अधिक सुरक्षित रूप से सूचना प्रसारित कर सकते हैं, जिनमें पूरी तरह से हैकिंग से मुक्त होते हैं। इसमें सुरक्षित संचार की क्षमता होती है। इसलिए इस मिशन के कार्यों में एक महत्वपूर्ण कार्य है - एक लंबी दूरी का संचार।इस मिशन के फलस्वरूप संचार व्यवस्था में अभूतपूर्व क्रांति तो आयेगी ही, भारत विश्व में इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका में आ सकता है।
गौरतलब है कि वर्तमान समय की कम्प्यूटर प्रक्रिया दो अंकों ‘एक’ और ‘शून्य’ पर आधारित है। लेकिन इस मिशन के अंतर्गत बनाए जा रहे क्वांटम कम्प्यूटरों की प्रक्रिया में ‘क्यूबिट्स’ अथवा ’क्वांटम बिट्स’ इकाईयां रहेंगी। पहले 5 वर्षों में 50 से 100 क्यूबिट्स वाले कम्प्यूटर बनेंगे और 8 वर्षों में 50 से 1000 क्यूबिट्स वाले कम्प्यूटरों का निर्माण शुरू हो जाएगा। इन क्वांटम उपकरणों के निर्माण हेतु साजो-सामान तैयार करने में यह मिशन काम करेगा। इस प्रकार के कम्प्यूटरों के निर्माण से सेटेलाईट आधारित संचार व्यवस्था संचालित होगी और अन्य देशों के साथ सुरक्षित क्वांटम संचार संभव हो पाएगा।
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से भारत ने डिजिटलाइजेशन में अभूतपूर्व प्रगति की है। जनधन खाते, आधार और मोबाईल की तिगड़ी यानि ‘जैम ट्रिनिटी’ के कारण न केवल सरकार द्वारा लोक कल्याण सेवाओं की डिलीवरी, बल्कि प्रत्यक्ष नकद राशि का लाभार्थियों को सीधा भुगतान भी संभव हो सका है। उधर जो भुगतान पूर्व में बैंकिंग व्यवस्था के माध्यम से अथवा नकद के लेनदेन से होते थे, वे अब बेहद आसान तरीके से युनिफाईड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से होने लगे हैं। उधर ई-कॉमर्स ने जहां लोगों के लिए जीवन आसान बना दिया है, वहीं उसके रोजगार आदि पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के कारण उससे आशंकांए भी निर्माण हो रही हैं। इसके समाधान के लिए सरकार ओपन नेटवर्क डिजिटल कॉमर्स के नाम से एक नई व्यवस्था की तरफ आगे बढ़ रही है।
शिक्षा हो, लैंड रिकॉर्ड हो, चिकित्सा एवं जनस्वास्थ्य या बड़े पैमाने पर नागरिकों को सेवा प्रदान करने का कार्य हो, इन सबको आधुनिकतम तरीके की कम्प्यूटर व्यवस्था से ही अंजाम दिया जा सकता है। लेकिन पिछले समय में कंप्यूटर व्यवस्था में वायरस, मेलवेयर आदि और अपराधिओं और दुश्मन देशों द्वारा हैकिंग के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि इन सबसे निपटने के कारगर उपाय करने के बावजूद कई बार निजी व्यक्तियों, कारपोरेट एवं सरकारी संस्थानों, सरकारी विभागों, वायुयान व्यवस्था आदि को उनके भारी नुकसान वहन करने पड़े हैं।
एक ऐसी कम्प्यूटर व्यवस्था जो तीव्र हो, जिसमें बहुआयामी प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जा सके, जो बिग डाटा को समाहित कर सके और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिसकी हैकिंग न हो सके, उसकी जरूरत महसूस की जा रही थी। ऐसे में क्वांटम फिजिक्स में हो रही शोध और नवाचार से भारत अलग नहीं रह सकता। भारत सरकार का राष्ट्रीय क्वांटम मिशन भारत को डिजिटलाईजेशन, शोध एवं विकास, अंतरिक्ष विज्ञान, नागरिक सेवाओं के बेहतर निष्पादन समेत कई मामलों में दुनिया से आगे ले जाएगा। कम्प्यूटर और सॉटवेयर के क्षेत्र में भारत की अभी तक की प्रगति यह इंगित कर रही है कि हम आगे आने वाले कुछ ही वर्षों में इस क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व कर सकते हैं।
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