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महंगाई में नरमी, अब नौकरी और ग्रोथ बढ़ाने पर जोर

अन्य बड़ी अर्थव्यवस्था में नरमी के संकेतों के बीच भारत की वृद्धि दर बेहतर होने से वैश्विक निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और देश में निवेश आकर्षित करने में काफी मदद मिलेगी। — स्वदेशी संवाद

 

भारत डिजिटल पेमेंट सिस्टम में जिस तेजी से आगे बढ़ा है, उसके मुकाबले विकसित देश बहुत पीछे रह गए हैं। कोरोना महामारी में भारत के मजबूत डिजिटल सिस्टम ने बिना किसी खामी के भारतीय लाभार्थियों तक सही तरीके से और तेजी से मदद पहुंचाने में भी अहम भूमिका निभाई है। अमेरिका और जर्मनी समेत यूरोपीय देश भले ही विकसित और धनी देशों की सूची में शामिल हों, लेकिन डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी देशवासियों तक ऑनलाइन फायदे पहुंचाने के मामले में भारत का कोई मुकाबला नहीं है। हाल ही में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जर्मनी में लोगों के बैंक खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर करने का कोई ठोस इंतजाम नहीं है। जर्मन बैंक एक दिन में महज एक लाख लोगों को ही उनके खाते में पैसा भेज सकते हैं। वहां के बैंकों में खातों को पेन जैसे आईडी से लिंक करने में दो साल का समय लग सकता है। भारत में वित्त वर्ष 2021-22 में रोज 90 लाख लोगों के खातों तक सरकार ने सीधे पैसा पहुंचाया, इस ट्रांसफर की गति में अमेरिका भी भारत से पीछे है।

जो लोग भारत में मंदी की अफवाहें फैलाते हैं उन्हें राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी जीडीपी के आंकड़ों पर गौर कर लेना चाहिए। विपक्ष के नेता सरकार पर आरोप लगाते हैं कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो रही है और बेरोजगारी बढ़ रही है तो उन्हें सबसे पहले एनएसओ के आंकड़े देखने चाहिए। यह आंकड़े बताते हैं कि भारत दुनिया में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। यही नहीं देश में बेरोजगारी भी कम हो रही है, क्योंकि सरकार की नीतियों की बदौलत रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहा है, इसके अलावा जीएसटी कलेक्शन का भी देश में नया रिकॉर्ड बनने वाला है। यानी विकास परियोजनाओं के लिए सरकार के पास पैसों की कमी नहीं होगी। माना जा रहा है कि आरबीआई ने जो कदम पिछले दिनों उठाए हैं उसके चलते महंगाई भी धीरे-धीरे कम हो रही है। बहुत सी वस्तुओं के दामों में कमी आनी शुरू हो चुकी है। जरूरी खाद्य वस्तुओं के निर्यात पर रोक लगाने के अलावा जिस तरह दलहन और चना का आवंटन राज्यों को बढ़ाया गया है उससे लोगों को बड़ी राहत मिल रही है। यही नहीं खाद्य तेलों के दामों में कमी के सरकारी प्रयास भी धीरे-धीरे रंग ला रहे हैं।

भारत में रोज औसतन 28.4 करोड़ डिजिटल लेनदेन होते हैं या दुनिया भर में सबसे ज्यादा है। साल 2021 के आंकड़े बताते हैं कि ग्लोबल रियल टाइम ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में अकेले भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है। वर्ष 2021 में भारत ने 48.0 अरब रियल टाइम ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की है जो चीन से 2.6 गुना ज्यादा थे। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के कुल ट्रांजैक्शन को मिला दे तो भारतीय ट्रांजैक्शन उससे 6.5 गुना अधिक रहे।

दरअसल भारत में मोबाइल फोन, पहचान पत्र और बैंक अकाउंट की लिंकिंग से देशवासियों के खाते तक सीधे पैसा ट्रांसफर करना अब बहुत आसान हो गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को ही अगर देखें तो बस एक क्लिक में लगभग 10 करोड लाभार्थियों में से प्रत्येक के खाते में 6000 रू. की मदद पहुंच जाती है। एक महीने पहले ही इस योजना में 1900 करोड़ रुपए किसानों के बीच पल भर में बांट दिए गए थे। वित्त वर्ष 2021-22 में 8800 करोड़ से ज्यादा डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए हैं। मौजूदा वित्त वर्ष में ही जुलाई तक तीन हजार तीन सौ करोड़ से ज्यादा के लेनदेन पूरे हुए। चालू वित्त वर्ष 2022-23 में अब तक 566 लाखों रुपए का डिजिटल ट्रांजैक्शन किया जा चुका है, यह ट्रांजैक्शन लगातार बढ़ भी रहे हैं। यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस यानी यूपीआई ट्रांजैक्शन को देखें तो इस साल अगस्त में 10.72 लाख करोड रुपए के कुल 6.57 अरब ट्रांजैक्शन हुए, यह जुलाई से 4.62 प्रतिशत ज्यादा है। बीते साल अगस्त से तुलना करें तो 85 प्रतिशत ट्रांजैक्शन बढ़ गए हैं। डिजिटल लेनदेन ही नहीं बिना पेनाल्टी इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई को देश में 72.42 लाख रिटर्न दाखिल हुए, एक दिन में इतनी तादाद में रिटर्न फाइल होने का यह एक रिकॉर्ड है। आधार बनवाने में भी लोग पीछे नहीं है, इसे जारी करने वाली संस्था यूआईडीएआई ने कहा है कि जुलाई में 53 लाख नए आधार कार्ड बने हैं, इस दौरान 1.47 करोड आधार कार्ड अपडेट किए गए।

कोविड के दौरान भी देश में डिजिटल मुहिम जारी रही। भारत सरकार ने कोविड टीका लगवाने वालों के लिए कोविड प्लेटफार्म बनाया, इसमें टीके का सेंटर तारीख और समय चुनने की ऑनलाइन व्यवस्था की गई। आज देश में 100 करोड़ से ज्यादा डोज बिना किसी परेशानी के लग चुके हैं, जो डिजिटल मीडिया की सफलता का परिचायक है। इसका लोहा दुनिया ने माना है और कई देशों ने भारत से सीख ली है।

इस बीच वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि महंगाई कम होकर सहन करने के स्तर पर आ गई है। सरकार अब यह सुनिश्चित करेगी कि रोजगार का सृजन अधिक संख्या में हो, धन का समान वितरण हो ताकि विकास में तेजी का लाभ सभी तक पहुंच सके। वही वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि साल 2047 से 2050 तक जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे कर रहा होगा तब भारत कम से कम 30 हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था होगा और सरकार की योजनाएं काम कर गई तो अर्थव्यवस्था कम से कम 35 हजार से 45 हजार अरब डालर की होगी।

वित्तमंत्री ने एक कार्यक्रम के दौरान जोर देकर कहा कि महंगाई में मौजूदा नरमी का रुख यह बताता है कि अब देश में आर्थिक ग्रोथ को बढ़ाने वाले काम को गति मिलेगी। आधिकारिक आंकड़ों को देखें तो जुलाई में खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी से रिटेल महंगाई दर कम होकर 6.71 प्रतिशत पर आ गई है। हालांकि यह आरबीआई की संतोषजनक स्तर की उच्च सीमा 6 प्रतिशत से लगातार ऊपर बनी रही। जून 2022 में रिटेल महंगाई दर 7.01 प्रतिशत थी।

मालूम हो कि भारत की जीडीपी अब कोरोना काल से पहले के स्तर से करीब 4 प्रतिशत अधिक है, इसके अलावा जिस तरह से वृद्धि को खपत से गति मिली है उससे संकेत मिलता है कि खासकर सेवा क्षेत्र में घरेलू मांग पटरी पर आ रही है। महामारी के असर के कारण दो साल तक विभिन्न पाबंदियों के बाद अब खपत बढ़ती दिख रही है। लोग खर्च के लिए बाहर आ रहे हैं। सेवा क्षेत्र में तेजी देखी जा रही है और आने वाले महीनों में त्योहारों के दौरान इसे और अधिक गति मिलने की उम्मीद है। अब जीडीपी का आंकड़ा बेहतर होने से रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को काबू में लाने पर ध्यान दे सकेगा। यहां उल्लेखनीय यह भी है कि खुदरा महंगाई दर अभी आरबीआई के संतोषजनक स्तर यानी 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है, लेकिन इसके लगातार नीचे आने के संकेत मिल रहे हैं।

जहां तक बेरोजगारी के आंकड़े की बात है तो शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर अप्रैल-जून 2022 के दौरान सालाना आधार पर 12.6 प्रतिशत से घटकर अब 7.5 प्रतिशत रह गई है। वर्तमान आंकड़े यह इशारा कर रहे हैं कि कोरोना महामारी से बढ़ी बेरोजगारी के दुष्चक्र से अब धीरे-धीरे बाहर निकल रहे हैं।

बहरहाल इन आंकड़ों पर गौर करें तो माना जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 7 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर हासिल करने की ओर बढ़ चली है। सरकार को बस चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.4 प्रतिशत पर बनाए रखना होगा। यह आंकड़े यह भी बताते हैं कि अन्य बड़ी अर्थव्यवस्था में नरमी के संकेतों के बीच भारत की वृद्धि दर बेहतर होने से वैश्विक निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और देश में निवेश आकर्षित करने में काफी मदद मिलेगी।  

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