swadeshi jagran manch logo

अमृत सरोवर योजना 

अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत देश के प्रत्येक जिले में 75 सरोवरों का निर्माण किया जाना अपेक्षित है, साथ ही प्रत्येक जिला पंचायत द्वारा भी पांच अमृत सरोवरों का निर्माण कराया जाएगा। - डॉ. दिनेश प्रसाद मिश्र

 

देश में 25,000 से अधिक अमृत सरोवर का निर्माण पूरा कर लिया गया है। 15 अगस्त 2023 तक 50000 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। 20 दिसंबर 2022 तक अमृत सरोवरों के निर्माण के लिए लगभग 90540 स्थलों की पहचान की गई है जिनमें 52,255 स्थलों पर काम शुरू हो गया है। सरकार के दृष्टिकोण पर आधारित इस मिशन में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ जल शक्ति मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा तकनीकी सहयोग के लिए भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू सूचना विज्ञान संस्थान मिलकर एकसाथ काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के भोपाल में आयोजित अखिल भारतीय जल सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल दृष्टिकोण 2047 पर राज्यों के जल मंत्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि हर घर को पानी उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन एक प्रमुख विकास का पैमाना बन गया है। उन्होंने जियोसेंसिंग और जियोमैपिंग जैसी तकनीकों का उपयोग करने की जरूरत का ज़िक्र किया वहीं हाल ही में संपन्न हुए मन की बात कार्यक्रम में जल मिशन के लिए जन भागीदारी का आह्वान किया है।

मालूम हो कि जल संरक्षण एवं संवर्धन की दृष्टि से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता प्राप्ति के 75  वें वर्ष में आयोजित आजादी अमृत महोत्सव के अवसर पर 24 अप्रैल सन 2022 को देश के प्रत्येक जनपद में 75 अमृत सरोवर बनाए जाने की योजना की घोषणा की है, जिन्हें अगस्त 2023 तक निर्मित कर राष्ट्र को समर्पित करना है। किंतु दुर्भाग्य से दिनांदिन जल एवं वायु के प्रदूषित होने के साथ ही साथ उनकी उपलब्धता भी निरंतर कम होती जा रही है। जिसके दृष्टिगत जल संरक्षण तथा संवर्धन हेतु अमृत सरोवर योजना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।

भारत में प्राचीन काल से ही जल स्थानों यथा वापी कूप सरोवर के निर्माण की प्रवृत्ति एवं परंपरा रही है । कठोपनिषद में जल संस्थानों  के निर्माण को लोक और परलोक दोनों के लिए ही कल्याणकारी तथा पुण्यदायक माना गया है। महाकवि बाण द्वारा रचित कादंबरी मैं सरोवरों की जल धारण की क्षमता के आधार पर उनके अनेक प्रकार बताए गए तथा वापी कूप तड़ाग आदि के निर्माण को लोक कल्याणकारी बताया गया है। सिंधु घाटी सभ्यता के अंतर्गत लोथल में भी एक प्राचीन कुंवां तथा जल प्रवाह प्रणाली प्राप्त हुई है, जो जल संरक्षण कार्य को अभिव्यक्त करती है। इसी परंपरा में प्रधानमंत्री ने प्रत्येक जिले में कम से कम 75 तालाबों का निर्माण या विकास करने की योजना प्रस्तुत की है। इस योजना के अंतर्गत निर्मित या विकसित किए जा रहे प्रत्येक तालाब में कम से कम 1 एकड़ अधिकतम 5 एकड़ जल क्षेत्र अवश्य होगा , जिसमें लगभग 10,000 घन मीटर तक की जल धारण क्षमता होगी।

अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत देश के प्रत्येक जिले में 75 सरोवरों का निर्माण किया जाना अपेक्षित है, साथ ही प्रत्येक जिला पंचायत द्वारा भी पांच अमृत सरोवरों का निर्माण कराया जाएगा। पूरे देश में इस योजना के अंतर्गत 50,000 सरोवरों का निर्माण न्यूनतम 1 एकड़ तथा 5 एकड़ से कम भूमि में किया जाएगा। सरोवर के चारों ओर मजबूत बांध बनाकर उसमें पौधारोपण किया जाएगा तथा सरोवर के माध्यम से प्रत्येक वर्ष वर्षा जल को संरक्षित किया जाएगा। इन सरोवरों का नामकरण शहीदों  के नाम पर किया जाएगा तथा यहां पर 15 अगस्त को एक उत्सव के रूप में झंडारोहण संपन्न किया जाएगा। 

अमृत सरोवरों के निर्माण हेतु भूमि चयन करते समय  पुराने तालाबों का विकास संरक्षण भी इस योजना के अंतर्गत सम्मिलित है, जिसके अंतर्गत 1 एकड़ से अधिक तथा 5 एकड़ से कम जल ग्रहण क्षमता की भूमि वाले तालाबों का भी विकास अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत किया जाना है, जिससे मृत प्राय तालाबों का भी संरक्षण एवं संवर्धन सुनिश्चित हो सकेगा। उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अब तक लगभग 40,000 तालाब लुप्त हो चुके हैं। ऐसे विलुप्त तालाबों की स्थिति को देखते हुए समय-समय पर देश के न्यायालयों ने निर्णय पारित कर उन्हें पुनर्जीवित करने के आदेश भी दिए हैं। 

इन सरोवरों के निर्माण में मनरेगा तथा 15वें वित्त आयोग की राशि का उपयोग हो रहा है। उत्तर प्रदेश में राजस्व अभिलेखों के अनुसार 6 लाख तालाब हैं, जिनमें से अपेक्षित  क्षेत्रफल में भूमि रखने वाले 6000 तालाबों का अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत विकास मनरेगा के अंतर्गत किया जाना है। कार्य की दृष्टि से  उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। उत्तर प्रदेश में अब तक कुल 8462 झीलों के निर्माण हुए हैं। देश में  निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष निर्मित सरोवरों की संख्या की दृष्टि से देश के सर्वोत्तम 10 प्रदेशों मं हुए निर्माण की स्थिति इस प्रकार है;- उत्तर प्रदेश- 15415 : 8462, मध्य प्रदेश- 5974 : 1566, जम्मू-कश्मीर- 3586 : 1383, राजस्थान- 5049 : 833, तमिलनाडु- 3739 : 799, गुजरात- 2776 : 742, बिहार- 3374 : 719, महाराष्ट्र- 3469 : 629, हिमाचल प्रदेश- 1457 : 615, कर्नाटक- 4703 : 589। 

अमृत सरोवर योजना से जहां एक ओर वर्षा का जल संरक्षित होगा वहीं दूसरी ओर भूगर्भ का जल भी वर्षा जल के भूगर्भ में समाहित हो जाने से संवर्धित होगा, किंतु ऐसा होने के लिए आवश्यक है कि प्रशासनिक व्यवस्था के साथ-साथ समाज भी अमृत सरोवरों के निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें तथा अपने स्तर पर योगदान देते हुए इनके निर्माण में भी अपनी सतर्क दृष्टि रखें, जिससे सरकार की योजना के अनुसार ही सरोवरों का निर्माण किया जाए, क्योंकि व्यवहार में इसके विपरीत देखने को मिल रहा है। 

उल्लेखनीय है कि 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री द्वारा योजना की घोषणा के 20 दिन के अंदर उत्तर प्रदेश के रामपुर में प्रथम अमृत सरोवर का उद्घाटन संपन्न हो गया। निश्चित रूप से इस सरोवर का निर्माण एवं विकास अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत न होकर पूर्व से संचालित किसी अन्य योजना के अंतर्गत किया जा रहा था, जिसका निर्माण ग्राम निधि से किया जा रहा था, क्योंकि इसका क्षेत्रफल अमृत सरोवर योजना के लिए निर्धारित न्यूनतम क्षेत्रफल 1 एकड़ से कम है, जिसमें वर्षा जल के पहुंचने की सम्यक् व्यवस्था नहीं है। सूखे तथा भीषण गर्मी से उत्पन्न जलाभाव में वर्षा की प्रतीक्षा किए बिना तालाब में ट्यूबवेल आदि से भूगर्भ  के जल को निकाल कर भरा गया है,किंतु वाह वाही लूटने के उद्देश्य से संबंधित निर्माण एवं विकास को अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत बताकर उसका उद्घाटन करा दिया गया। यह तो एक तथ्य है किंतु इसके विपरीत वर्षों से गंदे गड्ढे के रूप में विद्यमान कचरा संग्रहित किए जाने वाले गड्ढे को तालाब के रूप में पुनर्जीवित कर जिला प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण कार्य किया है। इसी प्रकार बदायूं जनपद के अमृतसर सरोवरों की भी लगभग स्थिति यही है, पूर्व वर्षों में मनरेगा के अंतर्गत बनाए गए तालाबों में खर्च की गई धनराशि के सापेक्ष वर्षा जल संकलित नहीं हो सका और आज भी पूर्व निर्मित तालाब पानी से पूर्णरूपेण रिक्त हैं। मनरेगा के अंतर्गत पूर्व वर्षों में अनेक जनपदों में बनाए गए तालाबों की भी लगभग यही स्थिति है जहां मनरेगा के कार्य के नाम पर भारी धनराशि खर्च कर दी गई  किंतु तालाबों में पानी इकट्ठा नहीं हो सका, जो जांच का विषय हो सकता है। आवश्यकता है मनरेगा के अंतर्गत पूर्व में खोदे गए तालाबों की स्थिति का भली-भांति परीक्षण कर उनके निर्माण में व्यय किए गए धन के दुरुपयोग एवं सदुपयोग का आकलन कर ही नव निर्माण कराया जाए। 

अमेठी जनपद में अमृत सरोवरों का निर्माण रात के अंधेरे में जेसीबी मशीन द्वारा कराए जाने की बात सामने आ रही है, जो अमेठी जनपद के साथ ही साथ देश के अन्य जनपदों में भी हो सकती है, जिससे अमृत सरोवरों के निर्माण में निहित मनरेगा के माध्यम से श्रमिक वर्ग को रोजगार दिए जाने की अवधारणा एवं विचार के मूल को ही नष्ट करने जैसा है। इसलिए प्रशासनिक व्यवस्था के साथ ही साथ समाज के लिए यह आवश्यक है कि वह अमृत सरोवरों के निर्माण एवं विकास पर दृष्टि रखें, जिससे उनके द्वारा सृजित रोजगार को भी अमृत सरोवर योजना की मूल भावना के अनुरूप मनरेगा द्वारा आम श्रमिक के लिए सुलभ बनाया जा सके।

Share This

Click to Subscribe