चुनावी चक्कर में नहीं फंसी सरकार
कोरोना महामारी की चुनौतियों के बाद यह बजट अर्थव्यवस्था को गतिशीलता देने वाला महत्वपूर्ण बजट सिद्ध होगा। — अनिल तिवारी
वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट आज से ज्यादा आने वाले कल के भारत का बजट दिखता है। इसमें अगले 25 वर्ष में आजादी के 100 साल पूरे होने पर एक नए भारत के पुनर्निर्माण का विजन दिख रहा है। यह बजट भारत और भारतवासियों के भविष्य को लेकर एक उम्मीद जगाता है। प्रधानमंत्री ने अपनी प्रारंभिक प्रतिक्रिया में दावा किया है कि यह बजट 100 साल के बाद आयी भयंकर आपदा यानी कोरोना महामारी के बीच विकास का नया विश्वास लेकर आया है, जो अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ ही सामान्य मानव के लिए अनेक नए अवसर बनाएगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के शब्द भले अलग रहे हो, लेकिन बजट को लेकर भी उनके बोल प्रधानमंत्री की सोच से मिलते-जुलते हैं।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया गया बजट कोरोना की चुनौतियों से उभरती भारतीय अर्थव्यवस्था को गतिशील करने और विभिन्न वर्गों की मुश्किलों को कम करने के लिए आशा और विश्वास से लबालब है। बजट के तहत कृषि और किसान हितों, बुनियादी ढांचे की मजबूती, उद्योग कारोबार की गतिशीलता, निर्यात वृद्धि, शेयर बाजार को प्रोत्साहन, रोजगार के नए अवसर, महंगाई पर नियंत्रण, नई मांग का निर्माण, टीकाकरण एवं अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ाने के साथ-साथ सामाजिक न्याय के लिए भी प्रावधान सुनिश्चित किए गए हैं। वित्तमंत्री ने अर्थव्यवस्था के लिए प्रोत्साहन का बूस्टर डोज देते समय राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.4 फीसद तक विस्तारित करने में कोई संकोच नहीं किया है, इससे अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने की प्रबल संभावना है।
मौजूदा बजट बनाते हुए वित्तमंत्री के समक्ष कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों, महंगाई, आय की असमानता, ऊंची बेरोजगारी दर, सरकारी विभागों की कमजोर ब्याज क्षमता, निजीकरण पर कम सफलताएं, जैसी विभिन्न आर्थिक एवं वित्तीय मुश्किलें मुंह बाए खड़ी थी, लेकिन नए बजट में खेती और किसानों के हितों को उच्च प्राथमिकता दी गई है। कृषि की विकास दर बढ़ाने और छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि सुधारों को व्यापक प्रोत्साहन दिया गया है। बजट में प्राकृतिक खेती और मांग आधारित खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष घोषणा की गई है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाने वाली सरकारी खरीद के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
किसानों की गैर कृषि आय बढ़ाने के लिए पशुधन, विकास, डेरी, पोल्ट्री, मत्स्य पालन और बागवानी जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहन के साथ सकल घरेलू किसानों को आधुनिक तकनीक मुहैया कराने के लिए नई व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई है। उच्च दाम वाली विविध फसलों के उत्पादन के लिए विशेष प्रोत्साहन और छोटे किसानों की आमदनी में वृद्धि जैसे कदमों की घोषणा भी बजट में की गई है। बजट में वित्तमंत्री ने बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत व्यय बढ़ाकर आर्थिक गतिविधियों, खपत और नौकरियों के सृजन को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई है। 2022-23 में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पीएम आवास योजना के तहत 80 लाख घरों के निर्माण को पूरा करने के लिए 48000 करोड रुपए का आवंटन किया गया है। सरकार चाहती है कि आने वाले वर्षों में दुनिया भर में भारत मैन्युफैक्चरिंग हब बनकर उभरे, तो ऐसे में इस परिपेक्ष्य में वित्तमंत्री ने बजट में बड़ा ऐलान किया है। रिकॉर्ड निर्यात का लक्ष्य रखते हुए विभिन्न कच्चे मालों पर आयात शुल्क घटते हुए दिख रहा है। बजट में वोकल फार लोकल को प्रोत्साहन देने के लिए भी कई अच्छे कदम दिखाई दे रहे हैं।
प्रस्तुत बजट में देश में खुदरा कारोबार और स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन देने और कारोबार करने के लिए आवश्यक लाइसेंस की संख्या घटाकर उसका अनुपालन बोझ हल्का करने के तरीके भी सुनिश्चित किए गए हैं। स्टार्टअप के लिए टैक्स छूट 31 मार्च 2023 तक के लए बढ़ाई गई है। साथ ही एमएसएमई के लिए दो लाख करोड़ रुपए का विशेष राहत पैकेज दिया गया है। नई शिक्षा प्रणाली और कौशल विकास डिजिटल विकास पीएम ‘ई-विद्या’ का विस्तार किया गया है। शासकीय स्कूलों की गुणवत्ता, सार्वजनिक परिवहन जैसे विभिन्न आवश्यक क्षेत्रों के साथ-साथ रोजगार वृद्धि के लिए टैक्सटाइल सेक्टर को भी भारी प्रोत्साहन दिए गए हैं। शोध और नवाचार, निर्यात डेवलपमेंट फंड तथा फार्मा उद्योग आदि के लिए विशेष प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है। स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे और टीकाकरण के लिए अधिक निवेश किया गया है। डिजिटल करेंसी लाए जाने का भी ऐलान किया गया है। बजट में सामाजिक क्षेत्र पर आवंटन को प्राथमिकता दी गई है। सामाजिक क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, खेलकूद, संस्कृति के साथ-साथ गरीबों और अन्य वर्गों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाएं प्रमुखता से शामिल की गई है। महिला और बाल विकास मंत्रालय की मिशन शक्ति, मिशन वात्सल्य और आंगनबाड़ी तथा पोषण-टू को एक नया रूप दिया गया है।
हालांकि करदाताओं को उम्मीद थी कि सरकार टैक्स में छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख कर सकती है लेकिन छोटे और मझोले करदाताओं को बजट से थोड़ी निराशा हुई है। बजट की एक बड़ी कमी छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा राहत के प्रावधान का न होना भी है।
बजट बनाते समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 70 से 75 लाख डॉलर प्रति बैरल थी, उसी को आधार बनाकर बहुतायत बजट तैयार किया गया है। लेकिन आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 94 डालर प्रति बैरल के आसपास पहुंच चुकी है।
तमाम एमएसएमई इकाइयां अभी भी लाभ नहीं कमा पा रही हैं, ऐसे में इस क्षेत्र को इस नए बजट से उम्मीद थी कि उन्हें कारोबार चलाने में मदद के लिए कोई सीधा लाभ दिया जाएगा लेकिन एक बार फिर उन्हें उधारी की उम्मीद पकड़ा दी गई है। सरकार ने माना है कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम पर महामारी का बड़ा असर हुआ है। अभूतपूर्व बेरोजगारी के समय में छोटे उद्यमों को तत्काल ऑक्सीजन की जरूरत है।
कुल मिलाकर मोदी सरकार की इस बात के लिए आलोचना की जा सकती है कि उसने लोकलुभावन बजट नहीं बनाया है लेकिन इस बात के लिए तारीफ भी करनी पड़ेगी कि कई महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव के बावजूद वह लोकलुभावन बजट बनाने के चक्कर में फंसने से बच गई है। उम्मीद करनी चाहिए कि बजट से एक ओर आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़ेगी, नई मांग का निर्माण होगा, वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 के अब तक विकास दर करीब 9 फ़ीसदी के स्तर पर पहुंचते हुए दुनिया में अव्वल दिखाई दे सकेगी। कोरोना महामारी की चुनौतियों के बाद यह बजट अर्थव्यवस्था को गतिशीलता देने वाला महत्वपूर्ण बजट सिद्ध होगा।
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