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विनिर्माताओं द्वारा उत्पादों का मरम्मत योग्य प्रारूप  

प्रौद्योगिकी की प्रगति और पुनः प्रयोज्यता को विरोधाभासी नहीं माना जा सकता है। किसी एक घटक या अवयव की खराबी के कारण प्रौद्योगिकी को लगातार खारिज या बेकार नहीं किया जाता है। - विनोद जौहरी

 

हम उन दिनों को नहीं भूले हैं जब हमारे सभी इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिक उपकरण   जैसे टीवी, ट्रांजिस्टर, पंखे, एयर कंडीशनर, कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल जैसे  घरेलू सामान, माइक्रोवेव, रेफ्रिजरेटर जैसे अनेक उपकरणों की मरम्मत हमारे आस-पास के बाजारों में मरम्मत की दुकानों में की जाती थी। लंबे समय से, प्रौद्योगिकी कंपनियों ने अपने उत्पादों की मरम्मत करना असंभव नहीं तो परंतु कठिन अवश्य बना दिया है। यह उपभोक्ताओं के लिए कष्टकारी है। निर्माताओं ने आधुनिक गैजेट्स को गारंटी और वारंटी की नीति के साथ इस तरह से डिजाइन किया है कि उन मरम्मत की दुकानों को बड़ी संख्या में बंद होने को विवश कर दिया है जिससे मैकेनिक बेरोजगार हो गए हैं और गारंटी और वारंटी अवधि से परे मरम्मत या खरीद पर ग्राहकों को भारी खर्च और असुविधा के साथ-साथ नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। नए मॉडल के रूप हर साल या बार-बार बदलते हैं, जब पुराने मॉडल के पुर्जे उपलब्ध नहीं होते हैं। इस प्रकार उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा नहीं की जाती है। यह लेख उपभोक्ताओं, सरकार और विनिर्माताओं को उनके उत्पादों के मरम्मत योग्य प्रारूप को अपनाने के लिए संवेदनशील बनाने का प्रयास करता है। 

अधिक से अधिक इलैक्ट्रिक और इलेक्ट्रोनिक उत्पाद मरम्मत होने योग्य नहीं होते जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, किसी उत्पाद को नष्ट किए बिना खोलना असंभव हो सकता है, और यह भी संभव है कि ग्राहक के पास किसी अन्य उत्पादक या किसी  तृतीय-पक्ष के पुर्जों का विकल्प न हो। उपकरणों को इस तरह से डिज़ाइन किया जाना चाहिए जिससे मरम्मत की अनुमति मिल सके। यहां तक कि उपकरण, जिन्हें लंबे समय से मरम्मत योग्य माना जाता रहा है, उनके उत्पादन में कंप्यूटर चिप्स का प्रयोग कर रहे हैं, जिस से उन्हें भविष्य में मरम्मत के लिए और अधिक कठिन बना रहे हैं। इस प्रकार, मूल रूप से, मरम्मत के अधिकार के लिए निर्माताओं को ग्राहकों को उत्पाद विवरण का खुलासा करने की आवश्यकता होती है ताकि वे मूल उत्पादकों पर भरोसा करने के बजाय स्वयं या तीसरे पक्ष के माध्यम से उपकरणों की मरम्मत कर सकें। यह मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) और तीसरे पक्ष के खरीदारों और विक्रेताओं के बीच व्यापार को भी एकीकृत करता है, जिसके परिणामस्वरूप नए रोजगार का सृजन होता है। उपभोक्ता अधिकार और कल्याण में सुधार के लिए, हमारे देश को एक समर्पित मरम्मत कानून लागू करना चाहिए। शमशेर कटारिया बनाम होंडा सिएल कार्स इंडिया लिमिटेड (2017) में, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने फैसला सुनाया था कि एंड-यूज़र लाइसेंस समझौते के माध्यम से स्वतंत्र ऑटोमोटिव मरम्मत इकाइयों के लिए स्पेयर पार्ट्स तक पहुंच को सीमित करना प्रतिस्पर्धा-विरोधी था। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने यह संज्ञान लिया कि यह प्रथा उपभोक्ता अधिकार के विरुद्ध थी।

मरम्मत का अधिकार एक प्रभावी वैश्विक आंदोलन है जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उपभोक्ता अपने उपकरणों को स्वयं ठीक करने और मरम्मत करने में सक्षम हों। अन्यथा, उन गैजेट्स के निर्माता उपभोक्ता को केवल उनकी प्रस्तावित सेवाओं का उपयोग करने के लिए प्रतिबंधित करते हैं। यह अधिकार उपयोगकर्ता को निर्माता के हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर टूल तक पहुंच प्रदान करता है, साथ ही डिवाइस की मरम्मत स्वयं करने या इसे निर्माता के सेवा केंद्र या किसी तीसरे पक्ष में ले जाने का विकल्प देता है। विश्व भर में   इलैक्ट्रिक और इलेक्ट्रोनिक कचरे की बढ़ती मात्रा गंभीर चिंता का कारण है, इसलिए मरम्मत के अधिकार पर चर्चा बहुत सम्यक और आवश्यक है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने मरम्मत के अधिकार के लिए एक व्यापक रूपरेखा विकसित करने के लिए अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। “मरम्मत का अधिकार“ कानून उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रॉनिक, ऑटोमोटिव, कृषि मशीनरी जैसे उपकरणों को स्वयं के उपभोक्ता सामानों की स्वतंत्र रूप से मरम्मत और संशोधन करने में सक्षम बनाता है, जबकि ऐसे उत्पादों के निर्माता उपभोक्ता को केवल उनकी शर्तों को मानने को बाध्य करते हैं। वे निर्माता सॉफ़्टवेयर में उन बाधाओं को स्थापित करते हैं जिस से उपकरण और घटकों तक मरम्मत के योग्य न रहें। ये चुनौतियाँ उपभोक्ता के खर्च को बढ़ाती हैं और उपयोगकर्ताओं को उपकरण की मरम्मत करने के बजाय उसे बदलने के लिए मजबूर करती हैं।

हाल ही में सरकार ने राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) के माध्यम से मरम्मत के अधिकार पर पहल की है। 

हमारे देश में मरम्मत के अधिकार के लिए एक रूपरेखा विकसित करने का लक्ष्य इस प्रकार हैः

1.    स्थानीय बाजार में उपभोक्ताओं और उत्पाद खरीदारों का  सशक्तिकरण,   
2.    मूल उपकरण निर्माताओं और तीसरे पक्ष के खरीदारों और विक्रेताओं के बीच व्यापार को सुसंगत बनाना, 
3.    संवहनीय और दीर्घकालिक उत्पाद विकसित करने पर जोर देने के लिए और
4.    ई-कचरे को कम करने के लिए।

मरम्मत के अधिकार के लाभ -
–    इससे छोटी मरम्मत की दुकानों को बढ़ावा मिलेगा, जो स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
–    यह विशाल विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक कचरे को कम करने में योगदान देगा।
–    यह उपभोक्ताओं के खर्च कम करेगा।
–    यह उपकरणों के जीवन को बढ़ाकर और उनके रखरखाव, पुनः उपयोग, उन्नयन, पुनर्चक्रण और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करके सर्कुलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा।
–    ग्राहक अपने उपकरणों और गैजेट्स को मरम्मत करने में सक्षम बनाने के लिए अपने स्वयं के उपकरण खरीदने में सक्षम होंगे।
–    कंपनी आवश्यक सॉफ़्टवेयर तक पहुंच प्रदान करेगी जिसकी ग्राहक को निर्धारित समय के लिए गैजेट की मरम्मत के लिए आवश्यकता होती है
–    उपकरणों/गैजेट्स कम समय में पुराने या बेकार नहीं होंगे और उनका अप्रचलन बंद नहीं होगा।
–    कंपनी स्पष्ट रूप से निर्देशित मैनुअल प्रदान करेगी जो उपभोक्ताओं को उपकरणों और गैजेट्स की मरम्मत करने में सहायता करेगी।
–    उपभोक्ताओं के पास यह विकल्प होगा कि वे या तो गैजेट्स और उपकरणों की मरम्मत स्वयं करें या कंपनी मरम्मत केंद्र पर जाएं।
–    संगठित नवीनीकरण संभव होगा।

इस प्रकार  यह कानून लागू होने से यह तीसरे पक्ष की मरम्मत की अनुमति देकर उत्पाद स्थिरता और नौकरी सृजन के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा।

केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री श्री पीयूष गोयल ने एक पोर्टल और एनटीएच मोबाइल ऐप की मरम्मत के अधिकार सहित कई नई पहलों की शुरुआत की और राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन केंद्र का नया परिसर घोषित किया। उपभोक्ता मामलों के विभाग और आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए और साथ ही उपभोक्ता आयोगों का क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी शुरू किया गया। ये पहल राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के अवसर पर शुरू की गई थी। ’मरम्मत का अधिकार’ पोर्टल पर, निर्माता उत्पाद विवरण के मैनुअल को ग्राहकों के साथ साझा करेंगे ताकि वे मूल निर्माताओं पर निर्भर रहने के बजाय वह तीसरे पक्ष द्वारा या स्वयं मरम्मत कर सकेंगे। शुरुआत में मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, ऑटोमोबाइल और खेती के उपकरणों को कवर किया जाएगा। राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के अवसर पर “उपभोक्ता आयोग में मामलों का प्रभावी निपटान“ विषय पर बोलते हुए, श्री पीयूष गोयल ने पिछले छह महीनों में लंबित मामलों की अधिक संख्या को निपटाने के लिए उपभोक्ता आयोगों की सराहना की और मामलों के बैकलॉग को समाप्त करने का विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने आगे कहा कि उनका मंत्रालय इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रयास कर रहा है कि प्रधानमंत्री द्वारा अभिव्यक्त मूल्यों - अभिसरण, क्षमता निर्माण और जलवायु परिवर्तन - के आढ़त पर उपभोक्ताओं के जीवन को आसान बनाने और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 3टी - टेक्नालजी, ट्रेनिंग और ट्रांसपेरेंसी (पारदर्शिता) हमारे उपभोक्ताओं के लिए अधिक से अधिक उपभोक्ता जागरूकता और बेहतर सेवा प्राप्त करने में मदद करेगी। 

संक्षेप में कहा जा सकता है कि मरम्मत का अधिकार उपयोगकर्ता और पर्यावरण दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। यहां तक कि अगर एक निर्माता को उपभोक्ता के रूप में ज्यादा लाभ नहीं होता है, तब भी यह नए और बेहतर उत्पादों को विकसित कर सकता है, जबकि यह उपयोगकर्ताओं को मौजूदा उत्पादों की मरम्मत करने की स्वीकृति देता है। प्रौद्योगिकी की प्रगति और पुनः प्रयोज्यता को विरोधाभासी नहीं माना जा सकता है। किसी एक घटक या अवयव की खराबी के कारण प्रौद्योगिकी को लगातार खारिज या बेकार नहीं किया जाता है। इससे बिजली और इलेक्ट्रॉनिक कचरे और पर्यावरणीय समस्याओं को कम करने में भी मदद मिलेगी, साथ ही उपभोक्ताओं को उनके द्वारा खरीदी जाने वाली चीजों और ऐसे उपकरणों को ठीक करने की क्षमता भी प्राप्त होगी। 

विनोद जौहरीः सेवानिवृत्त अपर आयकर आयुक्त

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