किसान की स्थिति पर देश की अर्थव्यवस्था निर्भर
कोरोना काल में किसानों ने प्रचुर अन्न पैदा कर हर थाली को भोजन देने में जो अहम योगदान किया राष्ट्र सदैव आभारी रहेगा। सरकारें यदि ठीक ढ़ंग से किसान व कृषि की समस्याओं को दूर कर दें तो देश के आर्थिक कल्याण व आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। — डॉ. सूर्य प्रकाश अग्रवाल
भारत एक कृषि प्रधान देश है अर्थात देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कृषि पर ही निर्भर है। भारत में किसान, कृषि व उनसे संबंधित नीतियां देश की अर्थव्यवस्था को बदलने में सक्षम है। वर्तमान में जिस प्रकार दिसम्बर 2019 से देश में चीन आयातित कोरोना वायरस का प्रकोप चल रहा है उससे अभी तक देश के अधिकांश गांव व किसान अछूते रहे है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के अनुसार देश का कृषि क्षेत्र कोविड़ 19 महामारी से उत्पन्न आर्थिक संकट से काफी हद तक अछूता रहा है। चालू खरीफ सीजन अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है। किसान रबी फसलों की पूर्ण कटाई करने में सक्षम थे। कोरोना काल में ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्थिर रही और खरीफ फसलों की बंपर पैदावार हुई। खरीफ सीजन में भी अच्छी प्रगति हुई है। सरकार पुरजोर कोशिश कर रही है कि ग्रामीण क्षेत्र के लिए बनायी गई योजनाऐं और कार्यक्रम लोगों तक पंहुचें। डीबीटी के माध्यम से 17,500 करोड़ रुपये किसानों के खाते में हस्तांतरित किया गया है। किसानों को उपज के अच्छे दाम दिलाने के लिए सरकार जैविक खेती पर बल दे रही है। अब किसान निर्यात को भी प्रेरित हो सकेंगे। राज्य व केन्द्र सरकारें किसानों को सीधे उद्योगों से जोड़ने की तैयारी में है।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिन रविवार दिनांक 09 अगस्त 2020 को हलषष्ठी के शुभ अवसर पर एक लाख करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष (एग्री फंड़) लांच किया तथा इस अवसर पर कहा कि सरकार किसानों को बिचौलिये और कमीशनखोरों से मुक्त कर रही है। एग्री फंड़ इस दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना में किसान समूहों को कोल्ड़ स्टोरेज, वेयर हाउस, खाद्य प्रसंस्करण व अन्य से जुड़े उद्योग लगाने के लिए दो करोड़ रुपये तक का ऋण उपलब्ध करायेगी। इस ऋण का लाभ कृषि से जुड़े र्स्टाट अप्स को भी मिलेगा। इस ऋण की समय पर वापसी पर ब्याज पर तीन प्रतिशत की छूट भी मिलेगी। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि वे व उनकी सरकार चाहती है कि किसान उद्योगपति बने तथा छोटे किसानों को मुश्किलों से निकाला जाय। खेती, किसान व कृषि नीतियों में किसी प्रकार भी अर्थनीतियों व राजनीतिक संवेदनशील मुद्दे बना कर राजनीतिक दलों को इसकी प्रगति अवरुद्ध नहीं करनी चाहिए।
कृषि अवसंरचना कोष से गांव में कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना होगी। देश में 10 हजार नए किसान उत्पादक संगठन का निर्माण किया जा रहा है। ताजे फल, सब्जी, दूध और मछली एक स्थान से दूसरे स्थान पर पंहुचाने के लिए किसान रेल की शुरुआत की गई है। वातानुकूलित यह रेल महाराष्ट्र से बिहार के बीच चल रही है। इसका लाभ बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के किसानों को मिलेगा। सरकार किसानों के लिए समस्या पैदा करने वाले कानूनों को भी समाप्त कर रही है। आवश्यक वस्तु कानून का बाबुओंने दुरुपयोग किया और इससे व्यापारियों को भयभीत किया। यह कानून उस समय बना था जब देश में अनाज की भारी किल्लत थी। सरकार द्वारा मंड़ी कानून को समाप्त किया जा रहा है जिससे किसानों को देश के किसी भी भाग में अपनी उपज में बेचने अधिकार होगा। किसान उद्योगों से सीधी साझेदारी भी कर सकते है।
किसानों ने कोरोना के संक्रमण काल में देश के किसी भी हिस्से में खाद्यान्न की केई कमी नहीं होने दी। यह विचार किसानों की सबसे बड़ी देश शक्ति प्रदर्शित करती है जिसका राष्ट्र सदैव आभारी रहेगा। सरकारें यदि ठीक ढ़ंग से किसान व कृषि की समस्याओं को समय पर दूर कर दें तो उससे देश के आर्थिक कल्याण व आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
डॉ. सूर्य प्रकाश अग्रवाल सनातन धर्म महाविद्यालय मुजफ्फरनगर 251001 (उ.प्र.), के वाणिज्य संकाय के संकायाध्यक्ष व ऐसोसियेट प्रोफेसर के पद से व महाविद्यालय के प्राचार्य पद से अवकाश प्राप्त हैं तथा स्वतंत्र लेखक व टिप्पणीकार है।
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