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‘शून्य-वर्ष’ घोषित हो साल 2020

कभी-कभी, हम एक ऐसी कालावधि में होते हैं जिसे हम भूल जाना चाहते हैं। साल 2020 भी ऐसा ही साल है। आईए आत्मनिर्भरता के संकल्प के साथ आगे बढ़ें। महामारी से नए सबक सीखते हुए, 2020 को पीछे छोड़ते हुए, एक बड़ी छलांग लगाने की जरूरत है। - डॉ. अश्वनी महाजन

 

अर्थषास्त्री इन दिनों कोरोना अवधि के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नुकसान की गणना में व्यस्त हैं। भारत के केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (सीएसओ) ने जुलाई और सितंबर, 2020 के बीच जीडीपी में 15.7 प्रतिषत (वार्षिक आधार पर) के संकुचन की गणना की है। इससे पहले सीएसओ ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (यानी अप्रैल से जून 2020) में जीडीपी के संकुचन का अनुमान 23.9 प्रतिषत लगाया था। भारत सरकार के पिछले मुख्य सांख्यिकीविद्, प्रोनाब सेन ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष (2020-21) में भारत की जीडीपी में में लगभग 10 प्रतिषत का संकुचन हो सकता है, और उनके अनुसार वृहद आर्थिक स्थिति बहुत अनिष्चित है। भारतीय रिजर्व बैंक ने हालांकि, 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद के इस संकुचन को 7.5 प्रतिषत होने का अनुमान लगाया है।

जीडीपी में इस संकुचन के कारण को समझने के लिए किसी रॉकेट विज्ञान की आवष्यकता नहीं है। हम समझते हैं कि किसी देष की जीडीपी उस देष की भौगोलिक सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है, जो कि आम तौर पर एक वर्ष के लिए मापी जाती है। चूंकि आर्थिक गतिविधियां विषेष रूप से विनिर्माण और सेवाएँ इस वर्ष बुरी तरह से प्रभावित हुई और महामारी के कारण लोगों की आवाजाही कम हो गई है, जीडीपी में यह गिरावट स्वाभाविक ही थी। केवल कृषि क्षेत्र ही ऐसा था जो इस महामारी से प्रभावित नहीं हुआ। पिछली दो तिमाहियों में कृषि में 3.4 प्रतिषत (दोनों तिमाहियों) की सकारात्मक संवृद्धि हुई है, जबकि विनिर्माण में 39.3 प्रतिषत और 0.6 प्रतिषत की गिरावट देखी गई है। व्यापार, होटल, परिवहन, संचार ने क्रमषः 47 प्रतिषत और 15.6 प्रतिषत का संकुचन आया।

तीसरी तिमाही में, आर्थिक गतिविधियां शुरू हो गई हैं, और हम कई वस्तुओं में विनिर्माण में पुनः प्रवर्तन देख रहे हैं। एक ओर मांग बढ़ने लगी है, वहीं कई अड़चनें भी दूर हो रही हैं। उपभोक्ता मांग का एक संकेतक यात्री वाहन की बिक्री है, जहां हमें पिछले साल नवंबर की तुलना में नवंबर 2020 में 4.7 प्रतिषत की वृद्धि देख रहे है। पिछले साल नवंबर की तुलना में नवंबर 2020 में ऋण की मांग में 5.5 प्रतिषत की वृद्धि हुई है। हम पाते हैं कि खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) पिछले चार महीनों से सेवाओं और विनिर्माण क्षेत्रों दोनों के लिए 50 से ऊपर है और अक्टूबर पीएमआई 58.9 पर दर्ज किया गया था, जो 13 वर्षों में सबसे तेज वृद्धि है। हालाँकि, यह नवंबर 2020 में 56.3 तक कम हो गया है, हम यह निष्कर्ष अवष्य निकाल सकते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग चार महीनों के गंभीर आर्थिक संकट के बाद चमक वापिस आ रही है।

जहां एक ओर स्वास्थ्य समस्या (महामारी) थी और दूसरी ओर आर्थिक गतिविधियों में गिरावट और इसलिए रोजगार का नुकसान हुआ। सरकारी वित्त भी बहुत खराब हालत में था। एक ओर आर्थिक गतिविधियों के बंद होने के कारण राजस्व में गिरावट आ रही थी दूसरी ओर, सरकार पर समाज के गरीब वर्गों के कल्याण पर अधिक खर्च करने का भारी दबाव भी था। नवंबर 2020 तक, सरकार लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राषन प्रदान कर रही थी, जो आर्थिक गतिविधियों में गिरावट के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। दूसरी ओर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार विभिन्न क्षेत्रों के लिए विस्तृत बूस्टर पैकेज लेकर आई है। उनमें सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) और इलेक्ट्रॉनिक और दूरसंचार क्षेत्रों के उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं शामिल हैं। सरकार ने लाभकारी रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप दोनों से योजनाओं की घोषणा की है। सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर को प्रोत्साहन और विभिन्न वस्तुओं में आयात प्रतिस्थापन की योजनाएं भी पेष की हैं। सभी ने सरकारी वित्त पर भारी दबाव डाला है, लेकिन साथ ही इसने महामारी से त्रस्त अर्थव्यवस्था को बढ़ावा भी दिया है।

अर्थव्यवस्था में लौट रही चमक

आर्थिक विष्लेषक एकमत हैं कि अर्थव्यवस्था का तेजी से पुनरुद्धार हो रहा है। हालांकि, पुनः प्रवर्तन के आकार के बारे में अलग-अलग विचार हैं। जबकि, आधिकारिक दृष्टिकोण यह है कि अर्थव्यवस्था वी-आकार से बेहतरी की ओर बढ़ रही है, जबकि कुछ अन्य लोग यू आकार के पुनः प्रवर्तन की उम्मीद कर रहे हैं (थोड़ी देर के लिए स्थिर और फिर ठीक होने वाली अर्थव्यवस्था) या डब्ल्यू आकार (पहले ऊपर जाकर फिर डुबकी लेने के बाद, फिर से उठना) पुनः प्रवर्तन। हालांकि, सर्वसम्मति यह है कि पुनः प्रवर्तन का आकार जो भी हो, अर्थव्यवस्था निष्चित रूप से ठीक होने जा रही है।

पुनः प्रवर्तन का एक कारण, जो हो सकता है, वह है मांग में तेजी। महामारी के अधीन आर्थिक गतिविधियों में गिरावट के कारण जो मांग गायब हो गयी थी है, वह वापिस आ रही है।

दूसरा, घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों के कारण सुधार अपेक्षा से अधिक तेजी से हो रहा है।उल्लेखनीय है कि अर्थव्यवस्था को महामारी से संबंधित आर्थिक नुकसान से बाहर लाने और आत्मानिभर भारत को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लगभग 20 लाख करोड़ रुपये का एक बेलआउट पैकेज दिया गया है।

तीसरा, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की नई नीति ने विषेष रूप से चीन से आयात को हतोत्साहित करके घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया है।

चौथी बात, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हम पाते हैं कि रिकवरी उम्मीद से ज्यादा तेज रही है। माना जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में भी तेजी से आर्थिक सुधार और महामारी संबंधी बेरोजगारी में कमी हो सकती है।

महामारी वर्ष हो शून्य वर्ष घोषित 

इस तथ्य को देखते हुए कि दुनिया ने एक सदी से अधिक समय के बाद एक महामारी देखी है और स्थिति कुछ ऐसी नहीं है जो सामान्य हो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास जैसे ही उसके संकुचन को देखना विवेकपूर्ण नहीं होगा। बेहतर तरीका यह है कि इस महामारी वर्ष को ‘षून्य वर्ष’ मान लिया जाए और वर्ष 2019-20 से जीडीपी वृद्धि की गणना करें, और वर्ष 2020-21 को छोड़ ही दें।

कभी-कभी, हम एक ऐसी कालावधि में होते हैं जिसे हम भूल जाना चाहते हैं। साल 2020 भी ऐसा ही साल है। आइए आत्मनिर्भरता के संकल्प के साथ आगे बढ़ें। महामारी से नए सबक सीखते हुए, 2020 को पीछे छोड़ते हुए, एक बड़ी छलांग लगाने की जरूरत है। आइए, ग्रामीण स्तर पर डेयरी, पोल्ट्री, बागवानी, फ्लोरीकल्चर, बांस की खेती, कुटीर उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण, उच्च मूल्य वाली फसलों और ग्राम स्तर पर अधिक और मूल्य वर्धन के साथ रोजगार सृजन करते हुए आत्मनिर्भर गांवों के एक नए युग में प्रवेष करें। एक नयी व्यवस्था बनाएँ जिसमें हमारी ग्रामीण आबादी शहरों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर नहीं हों। अपना देष मैन्युफैक्चरिंग में, चीन या किसी अन्य देष पर निर्भर नहीं हो। घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के लिए विष्व स्तर का सामान बनाएँ, जैसा कि प्रधानमंत्री कहते हैं, शून्य दोष और शून्य (पर्यावरण) प्रभाव के साथ। चीन से मोहभंग होने के बाद, पूरी दुनिया एक विकल्प के रूप में भारत की ओर देख रही है। आइए सब मिलकर इस संकट को अवसर में बदल दें।

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