लापरवाही हुई तो तहलका मचा सकता है ओमिक्रान
टीकाकरण नहीं कराने वाले लोगों को शत प्रतिशत खतरा है। यही कारण है कि भारत सरकार ऐसे समय पर टीकाकरण पर बहुत ज्यादा जोर दे रही है और बहुत सरकारी सेवाओं में टीकाकरण प्रमाण पत्र को अनिवार्य किया जा रहा है। — अनिल तिवारी
कोरोना के नए वेरिएंट ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया है, यह एक चिंता का बड़ा कारण बनता जा रहा है। शुरुआत में ओमिक्रान से कोई विशेष जनहानि नहीं हो रही थी। उससे यह आशा बंधी थी कि कोरोना का यह रूप अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर जल्दी ही विदा हो जाएगा, पर भारत में जिस तरह से यह पांव पसारने लगा है उसे लेकर आमजन में चिंता और घबराहट बढ़ती जा रही है। दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में इसके फैलने की रफ्तार दिन दूनी रात चौगुनी है।
ओमिक्रान का पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में 24 नवंबर 2021 को सामने आया था। अब यह भारत सहित पूरी दुनिया में केवल एक महीने के अंदर ही 110 से भी ज्यादा देशों में फैल चुका है। ओमिक्रान के फैलने की रफ्तार के आंकड़ों पर नजर डाले तो दक्षिण अफ्रीका में कोरोना संक्रमण के 95 फ़ीसदी मामलों की प्रमुख वजह ओमिक्रान ही है। ब्रिटेन में जहां 29 नवंबर तक ओमिक्रान के 0.17 प्रतिशत मामले आ रहे थे, वही 23 दिसंबर तक इसके 38 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए। कमोवेश यही हाल अमेरिका का भी है। जहां ओमिक्रान की वजह से संक्रमण दर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और 22 दिसंबर तक हर चौथा मामला ओमिक्रान की वजह से ही सामने आ रहा है। भारत में भी यह संक्रमण फैलने की रफ्तार काफी तेज हो गई है, दिल्ली और मुंबई सबसे ऊपर है।
दुनिया भर में फैलते ओमिक्रान के कहर को लेकर चिंताजनक स्थिति यह है कि इसमें अब तक कुल 53 मियुटेशन हो चुके हैं। यह डेल्टा के मुकाबले बहुत तेजी से फैलता है। डेल्टा में कुल 18 और इसके स्पाइक प्रोटीन में दो म्यूटेशन होते लेकिन वह भी अब बढ़कर स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन हो चुके हैं जबकि इसके रिसेप्टर बैंडिंग डोमेन में भी 10 म्यूटेशन हो चुके हैं। वायरस स्पाइक प्रोटीन के जरिए ही मानव शरीर में प्रवेश कर रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ओमिक्रान को कई दिनों पहले ही वैरीअंट आफ फंक्शन घोषित करते हुए कह चुका है कि तेजी से फैलने वाला यह वैरीअंट लोगों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। यूके की सुरक्षा एजेंसी ने भी कोरोना के इस वैरिएंट को दुनिया भर में प्रमुख डेल्टा स्ट्रेन सहित अन्य किसी भी वैरीअंट के मुकाबले बदर होने की क्षमता रखने वाला बताया है। इसका अर्थ यह है कि ओमिक्रान का यह वैरिएंट पुराने वैरिएंटां की तुलना में 6 से 7 गुना ज्यादा तेजी से बढ़ेगा।
भारत में ओमिक्रान का पहला मामला 2 दिसंबर को सामने आया था और उसके बाद से मूल वायरस के मुकाबले 3 गुना से भी ज्यादा तेज रफ्तार से फैल रहा है। दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रान का सबसे पहले पता लगाने वाली साउथ अफ्रीकन मेडिकल एसोसिएशन ने भारत के संदर्भ में कहा है कि कोरोना वायरस के इस नए वेरिएंट के कारण यहां संक्रमण के मामलों में बहुत बढ़ोतरी दिखेगी, लेकिन मौजूदा टीकों से इस रोग को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी। ऐसे में टीकाकरण नहीं कराने वाले लोगों को शत प्रतिशत खतरा है। यही कारण है कि भारत सरकार ऐसे समय पर टीकाकरण पर बहुत ज्यादा जोर दे रही है और बहुत सरकारी सेवाओं में टीकाकरण प्रमाण पत्र को अनिवार्य किया जा रहा है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि यह म्युटेंट बच्चों को ज्यादा प्रभावित कर रहा है। हालांकि संक्रमित बच्चे औसतन 5 से 6 दिन में ठीक भी हो जा रहे हैं लेकिन यह स्वरूप बदलकर कई बार घातक साबित हो रहा है। इसलिए बेहद सतर्क सावधान और सुरक्षित रहने की राय दी जा रही है। भारत के विशेषज्ञों का मानना है कि टीकाकरण के अलावा कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन विक्रांत संक्रमण को नियंत्रित करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। हालांकि भारत के संदर्भ में यह स्थिति चिंतनीय इसलिए है क्योंकि कोविड-19 प्रोटोकाल के पालन का सारा ठीकरा और सारी जिम्मेवारी यहां केवल जनता के सिर मट दिया जाता है। कई राज्यों में चुनाव हो रहे हैं जाहिर सी बात है कि वहां लोगों की भीड़ जुटेगी और सुरक्षा प्रोटोकाल की खुलकर धज्जियां उड़ाई जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोरोना के बीच चुनाव को लेकर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया गया, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल ने आगे बढ़कर दृढ़ इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने के निर्देश दिए हैं। लापरवाही के चलते भारत कोरोना की दूसरी लहर के दौरान तबाही का मंजर देख चुका है, ऐसे में यदि चुनावी रैलियों में सभी राजनीतिक दलों द्वारा इसी प्रकार भारी भीड़ जुटाई जाती रही तो डर यह है कि कहीं फिर से वही हालात न पैदा हो।
दरअसल कोरोना को लेकर जितने कयास लगाए जा रहे थे सब निर्मूल सिद्ध हुए। जब 2019 में कोरोना संक्रमण शुरू हुआ तो यह माना जाना लगा कि गर्मी आते ही अपने आप दफन हो जाएगा, पर ऐसा नहीं हुआ। 2020 में तो भयावह दूसरी लहर हमारे देश सहित दुनिया के देशों ने कहर भुगता है और इन सब हालातों को देखते हुए समझना होगा कि एक-दो साल तो कोरोना के साथ ही जीना मरना है। इसमें कोरोना कोई नया अवतार लेकर आए, उससे पहले ही सतर्कता ही हमारे जीवन को बचा सकती है। 2 गज की दूरी और जरूरी मास्क जीवन में रच बस जाना चाहिए। सैनिटाइजर और बार-बार हाथ धोने की बात, जो लोग हाल के दिनों में भूल गए थे, उन्हें फिर से उसे अपनाना चाहिए।
बार-बार हाथ धोने और सावधानी तथा सतर्कता बरतने से ही इस पर काबू पाया जा सकता है और इसका ध्यान कोई सरकार नहीं बल्कि व्यक्ति को खुद ही रखना होगा। टीका लगवाने के साथ-साथ सरकार द्वारा जारी नई कोविड-19 गाइडलाइन को मानते हुए अतिरिक्त सतर्कता तथा सावधानी बरते जाने की जरूरत है।
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