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अमृतकाल का पहला बजट 

भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर वापस लौट रही है और दुनिया के मुक़ाबले में अच्छा प्रदर्शन कर रही है। सप्तर्षि में अपेक्षित सभी ध्येय महत्व के है। इस सरकार की अब तक की योजनाएँ सफल होती दिख रही है इसलिए नए बजट में कही बातों पर काम होगा और अपेक्षित लक्ष्य प्राप्त होगा ऐसा कहा जा सकता है। - अनिल जवलेकर

 

एक फरवरी को 2023-34 के लिए संसद में बजट पेश हुआ। भाजपा जब से सत्ता में आयी है बजट में भविष्य की बाते ज्यादा होने लगी है। इस बार के बजट के बारे में भी यही कहा जा सकता है। भविष्य में बहुत कुछ करने की बाते सुनने को अच्छी लगती है लेकिन यह भी सही है की भविष्य की बातों का इंतजार करना पड़ता है। भविष्य की बातों में आज की बात ढूँढना भी एक कठिन काम होता है। इसलिए बजट में सरकार आज के लिए क्या कर रही है यह भी महत्व का माना जाना चहिए। 

सप्तर्षि का मार्गदर्शन 

भाषण की शुरुआत में ही वित्तमंत्री ने बजट को अमृतकाल का पहला बजट कहा और इस काल के मार्गदर्शक तत्वों को सप्तर्षि कह दिया। आजकल के विकास साधने वाले जो मार्गदर्शक तत्व रहेंगे वह है - समावेशी विकास, अंत्योदय, अवसंरचना में निवेश, सक्षमता को सामने लाना, हरित विकास, युवा शक्ति और वित्तीय क्षेत्र का विकास। निश्चित ही यह मार्गदर्शक तत्व के बारे में किसी को आपत्ति होने की जरूरत नहीं है क्योंकि अगर नीतियों का आधार अच्छा है तो विकास होगा ही। लेकिन बजेट में ऐसा क्या है जो अर्थव्यवस्था को विकास की ओर ले जाएगा यह भी देखना जरूरी है।  

सभी वर्गों के लिए कुछ न कुछ 

पहली बार सरकार ने जेल में पड़े हुए गरीबों के बारे में विचार किया है और उनके  बेल वगैरेह के लिए वित्तीय सहायता देने की बात की है। वैसे ही सरकार 1 जनवरी 2023 से अंत्योदय और अग्रक्रम में शामिल परिवारों को एक साल के लिए अनाज मुफ्त देगी जिसका खर्चा केंद्र सरकार करेगी।  पर्यटन बढ़ाने के जो प्रयास बजट में किए है उसमें रास्ते पर व्यवसाय करने वालों को लाभ हो सकता है। साथ ही गरीब वर्ग को सब्सिडी दी जाती है वह मिलती रहेगी जिसमे मुख्यता, कम कीमत में अनाज मिलना, एलपीजी के लिए मिलने वाली सब्सिडी वगैरह शामिल है।  

इस बार वितमंत्री ने कर दाताओं के लिए निश्चित ही कुछ किया है। कस्टम डयूटी के स्लैब 21 से 13 किए है। आयात किए जाने वाली कुछ वस्तु पर की डयूटी कम की है। इससे भारत में बनने वाले मोबाइल फोन में लगने वाले पार्ट, लैब में बनने वाले डायमंड के सीड्स इत्यादि है। वैसे कुछ की डयूटी बढ़ाई है जैसे की सिल्वर बार, कम्पौंडेड रबर वगैरह। प्रत्यक्ष करो में छोटे उद्योग एवं व्यवसाय करने वालों को कर अनुमानित आय की सीमा 2 करोड़ तथा 50 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 करोड़ तथा 75 लाख रुपए की है। सहकारी और चीनी उद्योग को भी राहत दी गई है। प्राथमिक सहकारी समिति जैसी समितियों के सदस्य अब 2 लाख रुपए तक नगद रूप में पैसे जमा करा सकते है। मकान में निवेश करनेवालों तथा बीमा पॉलिसी धारको को अब कैपिटल गेन में 10 करोड़ रुपए तक ही छूट मिलेगी। 

आय कर की रेबेट रु 5 से 7 लाख की है। अब रु 3 लाख तक कोई कर नहीं होगा। रेट भी  कम किए है। रु 3-3 लाख से स्लैब बढ़ेगा और रेट 5 प्रतिशत से बढ़ेंगे। स्टैंडर्ड घटाव अब नई टैक्स प्रणाली में भी मिलेगा और यह अच्छा प्रस्ताव है। लीव एन्कैशमेंट की लिमिट भी रु 3 लाख से रु 25 लाख की है जो उपयुक्त सीध होगी। विशेष वरिष्ठ नागरिकों की पोस्ट डिपॉज़िट की सीमा रु 15 लाख  से रु. 30 लाख की है यह भी अच्छा दिलासा होगा। महिला बचत योजना भी जाहीर की है जो जरूरी थी। 

कृषि क्षेत्र 

कृषि विभाग की लगभग सारी योजनाएँ पूर्ववत चालू रहेंगी। जैसे कि फसल बीमा योजना, इंटरेस्ट सबवेंशन योजना, किसान सन्मान योजना (इसमे कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई। रुपए 6000 प्रति वर्ष किसान परिवार को मिलते रहेंगे), किसान मानधन योजना (वृद्ध किसान को रु 3000 प्रति माह पेंशन), एफ़पीओ को बढ़ावा देने वाली योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना वगैरह चालू रहेंगी। नई योजना की बजेट में जो घोषणा हुई है उनमें कृषि के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना और कृषि वर्धक निधि स्थापन करना और भारत को ‘श्री अन्न’ (मिलेट) का ग्लोबल केंद्र बनाने की बात मुख्य है। इसका मतलब किसान को यह बजेट में अप्रत्यक्ष लाभ हुआ है। किसान सम्मान में बढ़ोत्तरी और फसल बीमा योजना में बदलाव की अपेक्षा थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर से निश्चित किसान को  भविष्य में लाभ होगा और ग्रामीण विभाग में रोजगार भी बढ़ेंगे। 

इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा एक अच्छी बात 

यह बजेट में इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात प्रमुखता से की है। ट्रांसपोर्ट सैक्टर पर ज़ोर साफ है। करीब 100 प्रोजेक्ट इसमे शामिल किए जाएंगे। 50 नए एयरपोर्ट, वॉटर एरोड्रम वगैरह निर्माण किए जाएंगे। शहरी विभाग का इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की बात कर इस बजेट ने एक कदम आगे बढ़ाया है। अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड एक नया फंड होगा जो वरीयता ऋण देने में जो कमी आएगी उससे बनाया जाएगा और राज्य सरकार इसमे सहयोग करेगी। शहर-शहर में  इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने में यह निधि सहायक होगा ऐसी अपेक्षा है। इसमें भी महा पालिका और राज्य सरकारे कितनी दिलचस्पी दिखाते है यह देखने वाली बात होगी। 

खर्चा ज्यादा आमदनी कम 

वित मंत्री ने बहुत से बाते कही जिसमें शिक्षकों की ट्रेनिंग से लेकर सरकारी कर्मचारियों कि ट्रेनिंग तक की बाते शामिल है। नर्सिंग कोलेज खोलेने की बात और कई संशोधन करने की बात भी उन्होने की जो सराहनीय है। ई-कोर्ट की स्थापना करने की भी बात आगे चलकर उपयुक्त होगी। और भी बहुत सारी बाते वित्त मंत्री ने की, लेकिन सरकार की माली हालत इतनी अच्छी नहीं है की जो सारे काम कर सके। सरकार के आय के हर रुपए में 34 पैसे  उधार के है। 30 पैसे आय कर से और 17 पैसे जीएसटी से आते है। कस्टम ड्यूटी से सिर्फ 4 पैसे और यूनियन एक्साइज़ से 7 पैसे आते है। खर्चा देखा जाए तो 20 पैसे उधार का ब्याज देना पड़ता है। सब्सिडी पर 7 पैसे और डिफेंस पर 8 पैसे खर्च होते है। रु  45 लाख करोड़ के खर्चे में रु 35 लाख करोड़ राजस्व खाते में खर्च होंगे। 10 लाख करोड़ कैपिटल अकाउंट का है जिससे कुछ संपतिया बनेगी। करीब रु 18 लाख करोड़ का वित्तीय घाटा है जिसमें राजस्व घाटा ही रु 8.70 लाख करोड़ है। निश्चित ही वित्त मंत्री चाहे घाटा घटने या घटाने की बात कर रही हो लेकिन महंगाई के बढ़ते माहौल में यह नुकसान करेगा इस में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। 

यह सही है कि अंतर्राष्ट्रीय माहौल अच्छा नहीं है और सभी देश आत्म रक्षात्मक कदम उठा रहे है उससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर असर हो रहा है। यह बात अच्छी है की भारत एक अकेला देश है जिसकी विकास की पैठ अच्छी है और सभी सकारात्मक घट रहा है। लेकिन इससे भारतीय व्यवस्था का खतरा कम नहीं हो जाता। इसलिए वित्तमंत्री जो करना चाहती है वैसा होगा ऐसा कहना मुश्किल है। यह जरूर है की भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर वापस लौट रही है और दुनिया के मुक़ाबले में अच्छा प्रदर्शन कर रही है। सप्तर्षि में अपेक्षित सभी ध्येय महत्व के है। इस सरकार की अब तक की योजनाएँ सफल होती दिख रही है इसलिए नए बजट में कही बातों पर काम होगा और अपेक्षित लक्ष्य प्राप्त होगा ऐसा कहा जा सकता है।   

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