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आतंक के रक्तबीज हमास के इज़राएल पर आक्रमण की पृष्ठभूमि-2

आतंकवाद विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है लेकिन हमास, हिजबुल्लाह, आईएसआईएस, बोको हराम, तालिबान, लश्कर ए तैयबा आदि जैसे आतंकवादी संगठन शत्रु देशों में न्रशंस हमले, क्रूर अत्याचार और मौत का तांडव फैलाने के  लिए किसी भी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं। - विनोद जौहरी

 

(गतांक से आगे .....)

स्वदेशी पत्रिका के नवंबर अंक में हमास द्वारा इजराएल पर 7 अक्तूबर 2023 के आतंकवादी हमले की पृष्ठभूमि पर चर्चा की गयी थी। इस अंक में आगे की परिस्थितियों और अल्प युद्ध विराम के बाद फिर से हमास द्वारा फिर से इजराएल पर हमलों की वर्तमान विभीषिका पर चर्चा की गयी है। 

53 दिन पुराने इज़राइल-हमास युद्ध की भयावहता 7 अक्टूबर 2023 को अपहृत बंधकों की रिहाई के लिए 7 दिनों के नाजुक संघर्ष विराम के बाद भी जारी है। यह हमास के उसी आतंकवादी आक्रमण की परिणिति है जब हमास के आतंकवादियों ने गाजा की सैन्यीकृत सीमा को तोड़ते हुए दक्षिणी इज़राइल में प्रवेश किया। इजरायली आधिकारिक सूचना के अनुसार लगभग 1,200 लोगों की हत्या कर गयी, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे, और लगभग 240 का अपहरण कर लिया था। इज़राइल ने गाजा में एक निरंतर सैन्य अभियान के साथ जवाबी हमला किया, जिसमें हमास शासित क्षेत्र के अधिकारियों का कहना है कि लगभग 15,000 लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर नागरिक भी शामिल थे।

इजरायल के राष्ट्रपति श्री इसहाक हर्ज़ोग ने संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से निवेदन किया था कि वह अपने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग करके गाजा में फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास द्वारा बंधक बनाए गए सभी इजरायली बंधकों को मुक्त कराने में सहायता करें।  

यूनाइटेड अरब अमीरात, कतर और मिस्र बंधकों की रिहाई के लिए इजरायल और हमास के बीच मध्यस्थता कर रहे थे, जिसके कारण अब तक 99 इजरायलियों और विदेशियों को रिहा किया जा चुका है। संघर्ष विराम के परिणामस्वरूप 240 फिलिस्तीनी कैदियों के बदले में 80 इजरायली बंधकों को रिहा किया गया था। अन्य 25 बंधकों, जिनमें अधिकतर थाई लोग थे, को युद्धविराम समझौते के दायरे से बाहर मुक्त कर दिया गया। अन्य 25 बंधकों, जिनमें अधिकतर थाई लोग थे, को युद्धविराम समझौते के अनुसार मुक्त कर दिया गया।

इज़राइल के प्रधानमंत्री के कार्यालय ने शुक्रवार (1 दिसंबर 2023) को हमास पर इज़राइली क्षेत्र में गोलीबारी करके संघर्ष विराम की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और कहा कि वह अभी भी युद्ध के हमास को समाप्त करने के अपने लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध है। वक्तव्य में आरोप लगाया गया कि हमास ने  सभी महिला बंधकों को मुक्त करने के अपने दायित्व को पूरा नहीं किया और इजरायली नागरिकों पर रॉकेट दागे। 

इज़राइल की सेना ने 1 दिसंबर 2023 को कहा कि उसने हमास पर शर्तों का उल्लंघन करने और इज़राइली क्षेत्र की ओर गोलीबारी करने के कारण फिर से युद्ध प्रारम्भ कर दिया है। इजरायली अधिकारियों ने कहा कि गुरुवार प्रातः (30 नवंबर 2023) भीड़ भाड़ के समय के दौरान हमास द्वारा यरूशलेम में एक बस स्टॉप पर गोलीबारी में तीन लोग मारे गए।  

इज़राइल सरकार ने युद्ध के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है। बंधकों को मुक्त करना, हमास को खत्म करना और यह सुनिश्चित करना कि गाजा फिर से इज़राइल के निवासियों के लिए खतरा न बने, यही हमास के विरुद्ध युद्ध के लक्ष्य हैं। इजरायल सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा था कि गाजा पट्टी में संघर्ष विराम समाप्त होने और शत्रुता फिर से प्रारम्भ होने के बाद हमास सबसे भयंकर हमले करेगा। सरकार के प्रवक्ता इलोन लेवी ने एक विनिर्देशन में कहा, “दुर्भाग्य से  हमास ने सभी अपहृत महिलाओं को रिहा करने में विफल होकर विराम समाप्त करने का फैसला किया।“ “हमारी महिलाओं को अपहरण में रखने के निर्णय के बाद, हमास अब सबसे भयंकर प्रताड़नाओं को अंजाम देगा।“ लेवी ने कहा कि सप्ताह भर चलने वाले समझौते को बढ़ाया जा सकता था, क्योंकि इजरायली सरकार ने रिहाई के लिए फिलिस्तीनी कैदियों की एक सूची को पहले ही स्वीकृति दे दी थी तथा कैदी और बंधकों का आदान-प्रदान अगले दो दिनों तक और जारी रहता।

हमास ने कहा कि संघर्ष विराम विस्तार पर सहमत होने में विफलता का दोष इज़राइल पर है जिसने बंधकों की रिहाई के प्रस्तावों को लगातार अस्वीकार कर दिया था। इजराएली प्रवक्ता लेवी ने कहा कि हमास ने अभी भी 137 लोगों को बंधक बना रखा है, जिनमें से 10 की उम्र 75 या उससे अधिक है। उस संख्या में 117 पुरुष और 20 महिलाएं शामिल थीं, जिनमें 126 इजरायली और 11 विदेशी नागरिक, आठ थाई, एक नेपाली नागरिक, एक तंजानिया और एक फ्रांसीसी-मैक्सिकन शामिल हैं । 

इज़राइल जेल विभाग ने शुक्रवार (1 दिसंबर 2023) को कहा कि उसने हमास के साथ संघर्ष विराम समझौते के तहत बंधकों के लिए नवीनतम विनिमय के रूप में इजरायली जेलों से 30 फिलिस्तीनियों को मुक्त कर दिया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइल जेल सेवा ने कहा कि सातवें अदला-बदली के तहत फिलिस्तीनियों को इजरायल, वेस्ट बैंक (इजरेली अधिकृत क्षेत्र) और यरूशलेम की जेलों से मुक्त कर दिया गया।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने गुरुवार (30 नवंबर 2023) को तेल अवीव में कहाः “स्पष्ट रूप से, हम इस प्रक्रिया को आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं।“ ब्लिंकन ने इजराइल से अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने और गाजा में हमास के खिलाफ युद्ध में नागरिकों को रक्षित करने की मांग भी तेज कर दी। ब्लिंकन ने यह भी कहा कि इज़राइल को “मानवीय नागरिक सुरक्षा योजनाएँ बनानी चाहिए जो निर्दोष फ़िलिस्तीनियों के हताहत होने को कम करें, जिसमें दक्षिणी और मध्य गाजा में क्षेत्रों नागरिकों के सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करें। युद्ध को स्थायी रूप से रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ गया है।  संयुक्त राष्ट्र के सीओपी 28 के आयोजन के अवसर पर, फ्रांस ने इज़राइल और हमास के बीच संघर्ष विराम की समाप्ति पर खेद व्यक्त किया। जर्मनी के विदेश मंत्रालय का कहना है कि गाजा में संघर्ष विराम बहाल करने के लिए राजनयिक प्रयासों को दोगुना किया जाना चाहिए।

इज़राइल - हमास युद्ध की पृष्ठभूमि 

1949 के बाद के वर्षों में, इज़राइल और मिस्र, जॉर्डन और सीरिया के बीच तनाव बढ़ गया। 1956 के स्वेज संकट और सिनाई प्रायद्वीप पर इजरायल के आक्रमण के बाद, मिस्र, जॉर्डन और सीरिया ने इजरायली सैनिकों की संभावित लामबंदी की प्रत्याशा में आपसी रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। जून 1967 में, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल गमाल नासिर के युद्धाभ्यास की एक श्रृंखला के बाद, इज़राइल ने छह दिवसीय युद्ध शुरू करते हुए, मिस्र और सीरियाई वायु सेना पर पूर्व अनुमानित खतरों को भाँप कर हमला किया। 

युद्ध के बाद  इज़राइल ने मिस्र से सिनाई प्रायद्वीप और गाजा पट्टी पर, जॉर्डन से वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम और सीरिया से गोलान हाइट्स अधिकृत कर लिए। छह साल बाद, जिसे योम किप्पुर युद्ध या अक्टूबर युद्ध कहा जाता है, मिस्र और सीरिया ने अपने खोए हुए क्षेत्र को वापस पाने के लिए इज़राइल पर दो-मोर्चे से आश्चर्यजनक हमला किया; संघर्ष से मिस्र, इज़राइल या सीरिया को कोई महत्वपूर्ण लाभ नहीं हुआ, लेकिन मिस्र के राष्ट्रपति अनवर अल-सादत ने युद्ध को मिस्र की जीत घोषित कर दिया क्योंकि इससे मिस्र और सीरिया को पहले से सौंपे गए क्षेत्र पर बातचीत करने का अवसर मिल गया।

अंततः, 1979 में, संघर्ष विराम और शांति वार्ता की एक श्रृंखला के बाद, मिस्र और इज़राइल के प्रतिनिधियों ने कैंप डेविड शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जिससे  मिस्र और इज़राइल के बीच तीस साल के संघर्ष को समाप्त कर दिया। भले ही कैंप डेविड समझौते से इज़राइल और उसके पड़ोसियों के बीच संबंधों में सुधार हुआ, परंतु फ़िलिस्तीनी आत्मनिर्णय और स्वशासन का विवाद बना रहा। 1987 में, वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में रहने वाले हजारों फिलिस्तीनियों ने इजरायली सरकार के खिलाफ विद्रोह किया, जिसे पहले इंतिफादा के रूप में जाना जाता है।

1993 में, ओस्लो-प् समझौते ने संघर्ष में मध्यस्थता की। फिलिस्तीनियों के लिए वेस्ट बैंक और गाजा में स्वशासन करने के लिए एक रूपरेखा स्थापित की, और नव स्थापित फिलिस्तीनी प्राधिकरण और इज़राइल की सरकार के बीच पारस्परिक मान्यता स्थापित की। 1995 में, ओस्लो-प्प् समझौते ने पहले समझौते का विस्तार किया, जिसमें  प्रावधान किया गया जिनके अनुसार वेस्ट बैंक के 6 शहरों और 450 कस्बों से इज़राइल की पूर्ण वापसी अनिवार्य थी।

वर्ष 2000 में, वेस्ट बैंक पर इज़राइल के नियंत्रण पर विरोध के फलस्वरूप सितंबर 2000 में पूर्व इज़राइली प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने इस्लाम में तीसरा सबसे पवित्र स्थल अल-अक्सा मस्जिद का दौरा किया जिस के बाद फिलिस्तीनियों ने दूसरा इंतिफादा शुरू किया, जो 2005 तक जारी रहा। जवाब में, इजरायली सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के विरोध के बावजूद, 2002 में वेस्ट बैंक के चारों ओर एक बाधा दीवार के निर्माण को स्वीकृति दी।

फ़िलिस्तीनियों के बीच गुटबाजी भड़क उठी जब 2006 में हमास ने फ़िलिस्तीनी संसदीय चुनावों में जीत हासिल की और लंबे समय से बहुमत वाली पार्टी फ़तह को अपदस्थ कर दिया। इससे फिलिस्तीनी मुस्लिम ब्रदरहुड से प्रेरित एक राजनीतिक और उग्रवादी आंदोलन हमास को गाजा पट्टी पर नियंत्रण मिल गया। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ  हमास की चुनावी जीत को स्वीकार नहीं किया क्योंकि हमास को 1990 के दशक के अंत से पश्चिमी सरकारों द्वारा एक आतंकवादी संगठन माना जाता है।

इज़राइल ने 2005 में गाज़ा और वेस्ट बैंक से अपने सैनिकों और निवासियों को वापस ले लिया, हालांकि उसने अपने हवाई क्षेत्र, साझा सीमा और समुद्री तटरेखा पर नियंत्रण जारी रखा। संयुक्त राष्ट्र अभी भी इस क्षेत्र को इजराइल के कब्जे वाला मानता है। हमास के नियंत्रण के बाद, हमास और फ़तह के बीच हिंसा भड़क उठी। वर्ष 2006 और 2011 के बीच, असफल शांति वार्ता और हिंसा का अंत एक समझौते के बाद हुआ। इसके अंतर्गत फतह और हमास ने वर्ष 2014 में साझा सरकार बनाई।

इज़राइल ने सदियों से अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष किया है। यहूदियों को सदियों विनाश, अत्याचार, सामूहिक हत्याओं का सामना करना पड़ा है। हमास या हिजबुल्लाह या अरब देश कभी भी यहूदियों का विनाश नहीं कर पाएंगे। आतंकवादी संगठनों की आड़ में इजराइल के खिलाफ युद्धरत अरब देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय समझौतों की धज्जियां उड़ाई गयी हैं। 

संयुक्त राष्ट्र संघ की संधियां और समझौते, युद्धविराम और शांति की पहल आतंकवादियों पर लागू नहीं होती हैं। आतंकवाद विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है लेकिन हमास, हिजबुल्लाह, आईएसआईएस, बोको हराम, तालिबान, लश्कर ए तैयबा आदि जैसे आतंकवादी संगठन शत्रु देशों में न्रशंस हमले, क्रूर अत्याचार और मौत का तांडव फैलाने के  लिए किसी भी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं। यह इस्लामिक देशों का अपने आतंकवादी संगठनों की आड़ में शत्रु देशों के विरुद्ध छद्म युद्ध है जो उनकी सेनाएँ सामने से नहीं लड़ती परंतु इस्लामिक देश अपने आतंकवादी संगठनों को अपनी सभी सैन्य हथियार, मिसाइल, सैन्य नेटवर्क, संचार सुविधाएं, लॉजिस्टिक्स, लॉंच पेड उपलब्ध कराते हैं। ऐसे भी समाचार मिलते हैं जब इन आतंकवादियों को घातक विदेशी हथियार, मिसाइल, ड्रोन, फाइटर जेट आदि सप्लाइ होते है। यह किसी अंतर्राष्ट्रीय नियमों, समझौतों से बाध्य नहीं होते। इन युद्धों के परिणाम भयानक हैं और लाखों नागरिकों की हत्याएँ होती हैं और वैश्विक अशांति और युद्धोन्माद बना रहता है।      

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