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बजट वर्ष 2023-24ः ‘हर घर नल से जल’ योजना का विस्तार

बजट में किए गए प्रावधानों से यह स्पष्ट होता है कि भारत अपनी आत्मनिर्भरता के बल पर आर्थिक विकास कर रहा है। सबको साफ और पर्याप्त जल के लिए जल जीवन मिशन को और गतिमान करने हेतु इस वर्ष 70000 करोड रुपए का बजट आवंटित किया गया है। - डॉ. दिनेश प्रसाद मिश्र

 

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने वर्ष 2023-24 के बजट में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लिए 7192 करोड रुपए और जल जीवन मिशन के लिए 70 हजार करोड़ का बजट आवंटित किया है, वहीं देश की नदियों को जोड़ने की योजना के लिए 3500 करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में किया गया है, जबकि अटल भूजल योजना के लिए 1000 करोड रुपए, नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के लिए 500 करोड़ रुपए तथा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए 8587 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं।

बजट में किए गए प्रावधानों से यह स्पष्ट होता है कि भारत अपनी आत्मनिर्भरता के बल पर आर्थिक विकास कर रहा है। सबको साफ और पर्याप्त जल के लिए जल जीवन मिशन को और गतिमान करने हेतु इस मिशन को इस वर्ष 70000 करोड रुपए का बजट आवंटित किया गया है। इससे हमें ‘घर-घर नल से जल’ के संकल्प को पूरा करने में ओर अधिक गति मिलेगी। इस क्रम में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के लिए हुए आवंटन से संपूर्ण स्वच्छता की बुनियाद को और अधिक मजबूती मिलेगी। चूंकि मोदी सरकार स्वच्छता और विकास को समान रूप से देखती है, इसलिए आजादी के इस अमृत काल में भारत की समृद्धि में प्राकृतिक संसाधनों की अहम भूमिका है। सरकार द्वारा देश की नदियों को जोड़ने की योजना के लिए 3500 करोड़ रू. का प्रावधान आने वाले समय में देश की उन्नति के लिए निर्णायक होगा। बजट में सोच विचार कर किए गए प्रावधान से भी यह लगता है कि जल समानता से सुरक्षित, संरक्षित और वितरित होगा। इसी संकल्प के लिए अटल भूजल योजना के लिए 1000 करोड़ रुपए, नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के लिए 500 करोड़ रुपए तथा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए 8587 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में जब जल जीवन मिशन योजना की शुरुआत की थी। इसके पहले तक इस मद में मात्र 11139 करोड रुपए का प्रावधान तय किया गया था। वर्ष 23-24 के आम बजट में इसे बढ़ाकर 70 हजार करोड़ कर दिया गया है। जल जीवन मिशन सिर्फ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ही नहीं है, अपितु एक ईमानदार संकल्प है।

कोरोना महामारी ने हमें सिखाया कि इस वायरस के डर से उबरने के लिए साफ और पर्याप्त पानी की कितनी जरूरत है। पानी पर हमारी रोजमर्रा की जिंदगी के साथ-साथ आर्थिक विकास भी निर्भर है। इस समय देश में कुल 1123 बिलियन क्यूबिक मीटर जल उपलब्ध है, जिसमें 609 बिलियन क्यूबिक मीटर सतही जल और शेष भूजल है। जलाशयों की भंडारण क्षमता सीमित है। इसके साथ ही हमारे देश में पानी की एक स्थानीय भिन्नता है यानि अर्ध शुष्क क्षेत्र को मानसून में कम मात्रा में पानी मिलता है, तो पूर्वी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को अधिक। साल के लगभग 4 महीनों ही मानसून का पानी मिल पाता है।एक आंकड़ा यह भी है कि वर्ष 2050 तक पानी की मांग इसकी आपूर्ति से अधिक हो जाएगी। इस अतिरिक्त आपूर्ति के लिए पानी कहां से आएगा? पानी का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों जैसे कृषि, उद्योग और घरेलू क्षेत्रों में मुख्य रूप से किया जाता है। विभिन्न क्षेत्रों द्वारा इसके उपयोग के दौरान पानी को बचाने की आवश्यकता है।पानी का संरक्षण  सिर्फ वर्तमान पीढ़ी के लिए नहीं बल्कि भविष्य की पीढ़ी के लिए भी आवश्यक है। अगस्त 2019 में लगभग 14 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल का कनेक्शन (55 लीटर पानी प्रति कर प्रतिदिन) देने के लिए प्रधानमंत्री की पहल पर हर घर जल कार्यक्रम शुरू किया गया था।केंद्र सरकार के वर्ष 2021 22 के वित्तीय बजट में शहरी क्षेत्र में भी पानी की पहुंच की परिकल्पना की गई थी। यह माना गया था कि मेक इन इंडिया के लिए पानी की उपलब्धता आवश्यक होगी। यह पानी कहां से आएगा? हमें पानी बचाने और बढ़ी हुई पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए संरक्षण की आवश्यकता है।

बजट के प्रावधानों पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा हुई। सरकार की ओर से राज्यसभा में 8 करोड़ तथा लोकसभा में 11 करोड़ घरों तक पहुंचाने का दावा किया गया है। हालांकि आंकड़ों की यह गड़बड़ी मानवीय भूल भी हो सकती है लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि 2019 में शुरू किया गया जल जीवन मिशन आखिर कहां तक पहुंचा है? अक्टूबर 2019 तक देश में हर किसी के लिए शौचालय की व्यवस्था कर देना सरकार की एक बड़ी सफलता थी। ऐसे में इसके बाद हर घर तक साफ पानी पहुंचाना ग्रामीण भारत के लिए एक बड़ा वादा है, जिसकी सख्त जरूरत भी है। ऐसे में इस मिशन के लिए आवंटन भी साल दर साल लगातार बढ़ता गया।बजट आवंटन के बढ़ने से एक अर्थ यह भी निकलता है कि भारत में घरेलू पेयजल की सतत आपूर्ति अभी पूरी तरह से नहीं हो पाई है। भारत हमेशा से लीकेज की समस्या से ग्रस्त रहा है जिसका मतलब है कि जिन गांवों और बस्तियों तक सुरक्षित पेयजल की सुविधा पहुंच चुकी थी वह विभिन्न कारणों के चलते फिर से फिसल कर नॉट कवर्ड में आ जाते हैं। ऐसा कई कारणों से हो सकता है जिसमें पानी के स्रोतों का सुख जाना और सुविधाओं का रखरखाव ना करना भी शामिल है। वर्ष 2013 से 2019 के बीच ग्रामीण जलापूर्ति की स्थिति का विश्लेषण करने वाली कैग रिपोर्ट से पता चलता है कि इस अवधि में लगभग 5 लाख बस्तियां पूर्ण रूप से कवर की कोटि से आंशिक रूप से कवर की श्रेणी में चली गई है। ऐसी बस्तियों की संख्या आंध्र प्रदेश बिहार कर्नाटक झारखंड उड़ीसा राजस्थान उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में अधिक हैं। ऐसे में देश के ग्रामीण घरों में नलों की संख्या बढ़ाने के बावजूद ग्रामीण जलापूर्ति की स्थिति में कोई ज्यादा बदलाव नहीं आया है।

ऐसे में हमें मुख्य रूप से चार स्तरों पर जल संरक्षण के लिए अहम प्रयास करने होंगे। पहला, चूकि जल संसाधन राज्य का विषय है इसलिए राज्यों की इकाइयों को सक्रिय होना होगा। जल संरक्षण और जल संचयन का प्रयास स्थानीय स्तर पर होना चाहिए क्योंकि स्थानीय प्रयासों के बिना जल संरक्षण के प्रयास व्यापक अभियान का रूप नहीं ले पा रहे हैं। दूसरा, पानी की बचत और संरक्षण के लिए पानी के पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग को अपनाया जाना चाहिए। अगर हम दिल्ली को उदाहरण के रूप में देखें तो यहां प्रतिदिन 3420 मिलियन लीटर पानी की खपत होती है जिसमें मात्र 1600 मिनियन लीटर पानी का उपयोग होता है बाद बाकी सीवेज में चला जाता है। तीसरा जल संरक्षण को एक बड़ा अभियान बनाने के लिए विभिन्न भागीदारों की भागीदारी की आवश्यकता होगी। केंद्रीय अभियान पर्याप्त नहीं है, गैर सरकारी संगठनों, स्थानीय लोगों और व्यक्तियों को स्थानीय पंचायतों के साथ गहनता से शामिल किए जाने पर विचार करना चाहिए। चौथा, जल प्रबंधन और जल संसाधन दोनों पर एक साथ ध्यान दिए जाने की जरूरत है। लोगों में यह भाव आना चाहिए कि पानी एक मूलभूत अधिकार है और इसे हर व्यक्ति तक पहुंचाना नैतिक जिम्मेदारी है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले 8-9 वर्षों में सार्वजनिक सेवा, वितरण, सरकारी योजनाओं और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन में एक आदर्श बदलाव देखा गया है। पहले लगभग असंभव माने जाने वाले कठोर लक्ष्यों को अपनाना और उन्हें समय पर पूरा करना अब एक सामान्य बात हो गई है। सरकार के प्रयासों से लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिली है। अगस्त 2019 में जब जल जीवन मिशन का प्रारंभ किया गया था उस समय लगभग 3.2 करोड ग्रामीण परिवारों के पास नल से जल आपूर्ति की सुविधा थी। आज 11 करोड़ परिवारों को उनके घरों में नल से पानी की आपूर्ति हो रही है यानी 3 वर्ष में लगभग 3 गुना से अधिक घरों तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। यह एक अच्छी रफ्तार है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार जल जीवन मिशन के तहत हर घर  नल और हर नल जल का लक्ष्य प्राप्त करने में समर्थ होगी।      

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