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चंद्रयान और अंतरिक्ष अनुसंधान के नये क्षितिज

आगामी दषकों में भारत अंतरिक्ष अनुसंधान एवं विष्व भर के लिए एक प्रक्षेपण हब बनेगा, जो देष में रोजगारी, तकनीकी विकास व आर्थिक संवृद्धि का आधार बनेगा। - डॉ. जया शर्मा

 

भारत के चन्द्रयान-3 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सुरक्षित उतरना एक विष्व कीर्त्तिमान है। उसके उपरांत सौरयान का प्रक्षेपण और उस यान द्वारा चित्रों का प्रेषण भी एक बड़ी उपलब्धि है। आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र विष्व में सर्वाधिक द्रुत विस्तार के साथ 100 अरब डालर के उद्योग का रूप ले रहा है। चंद्रयान-3 की सफलता के साथ भारत अब अमेरिका, रूस व चीन के बाद चौथी अंतरिक्ष शक्ति के रूप में ही नहीं, चंद्रमा के दक्षिण धु्रव पर लेंड करने वाला पहला देष बन गया है। भारत विष्व में अंतरिक्ष के क्षेत्र में अंतरिक्ष उत्पादों और सेवाओं के निर्माण के लिए लागत दक्षता, उच्च तकनीक कौषल एवं उन्नत तकनीक के आधार पर निर्माण के क्षेत्र में उच्च प्रतिष्ठा के साथ अब स्टार्टअप और बड़े उद्यमों की भागीदारी के साथ उन्हें और अधिक निवेष हेतु अत्यन्त द्रुत गति से प्रेरित करेगा। स्वतंत्र निजी अंतरिक्ष उद्यम भी इस क्षेत्र में प्रवेष कर सकते हैं। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत आज विष्व की सर्वाधिक द्रुत गति से आगे बढ़ रही अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था या स्पेस इकानॉमी है। 

वैष्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत का अंष वर्तमान 2.5 प्रतिषत से बढ़कर इस दषक के अंत तक ही 12 प्रतिषत हो जाएगा। मौद्रिक दृष्टि से हमारा 12 अरब डालर का अंतरिक्ष उद्योग बढ़कर 2025 तक 25 अरब डालर व 2030 तक 150 अरब डालर अर्थात 12 लाख करोड़ रूपये के तुल्य हो सकता है। चंद्रयान-3 की सफलता हमारी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को पंख लगा देगी। परिणामतः वैष्विक अंतरिक्ष उद्योग की औसत 2.5 प्रतिषत की वार्षिक वृद्धि की तुलना में भारतीय अंतरिक्ष उद्योग 5 प्रतिषत वार्षिक दर से बढ़ रहा है। आगामी वर्षों में अन्य देषों से जो प्रक्षेपण का व्यवसाय प्राप्त होगा, इससे यह दर 7.5 से 10 प्रतिषत तक जा सकती है। 

चंद्रयान की सफलता से नयी आर्थिक उछाल

भारतीय चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैडिंग के पहले ही इस ऐतिहासिक घटना का असर शेयर बाजार पर दिखने लगा था। जिन कंपनियों की अंतरिक्ष के क्षेत्र में गतिविधियां हैं उनके शेयरों में अग्रिम उछाल आ गया। लैंडिंग के उपरांत उनके शेयरों में भारी तेजी देखी गई है। आगामी वर्षों में नये स्टार्टअप और उपक्रम इस क्षेत्र में प्रवेष करेंगे, उससे देष में एक नयी आर्थिक उछाल अपेक्षित है। लार्सन और टूब्रो, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, भारत फोर्ज, लिंडे इंडिया, सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स, अवांटेल, और एलएंडटी टेक्नोलॉजी सर्वे इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट्स या अंतरिक्ष क्षेत्र में इंजीनियरिंग सर्विसेज और साल्यूषन की आपूर्ति करने के कारोबार में हैं, उन सभी ने शेयर मार्केट में ताज़ा 52 सप्ताह के उच्चतम स्तर को छू लिया। इनसे प्रेरित होकर 50 से अधिक छोटी बड़ी कंपनियाँ इस क्षेत्र में मूल्य संवर्द्धन हेतु आगे आने के लिये पहल कर रही हैं। 

चन्द्रयान से विकास को नयी गति

चन्द्रयान की सफलता भारत को कई क्षेत्रों में बढ़त दिलाएगी। देष की ख्याति, तकनीक व अनुसंधान आदि में एक नई गति मिलेगी। यथाः

1.    अंतर्राष्ट्रीय ख्याति व सीमा पार से कामः विष्व के कई देष अब भारत से सीमा पार सहयोग के लिए आगे आयेंगे व कई कम्पोनेन्ट आऊटसोर्स करेंगे।  

2. प्रौद्योगिकीय का आधुनिकीकरणः चंद्रयान-3 की सफलता से भारतीय उद्योग में नई तकनीकों और प्रौद्योगिकियों के विकास में प्रोत्साहन मिलेगा। यह सूचित करेगा कि भारत स्वयं विकसित और उन्नत तकनीकी समाधानों के लिए सक्षम है, जो उद्योग में नवाचार और विकास की दिषा में महत्वपूर्ण है।

3.     रोजगार के अवसरों में वृद्धिः चंद्रयान-3 की सफलता से नये उद्यमों व स्टार्टअप्स की शुरूआत होगी और नौकरियों के नये स्रोत उत्पन्न होंगे। विदेषों से जो काम मिलेगा, उससे व्यापक रोजगार सृजन होगा।

4.     विज्ञान मे षिक्षा व शोध को प्रोत्साहनः चंद्रयान-3 की सफलता भारतीय विज्ञान और अंतरिक्ष षिक्षा और वैज्ञानिक शोध और अनुसंधान के लिए प्रेरित करेगी। नयीं पीढ़ी इन विषयों की ओर अनुसंधान के लिये आगे आयेगी।

5. अंतरिक्ष उद्योग का विकासः चंद्रयान-3 की सफलता से भारतीय आंतरिक्ष उद्योग को नई गति मिलेगी। अब यह सिद्ध हो गया है कि भारत विश्व स्तर पर उच्च-तकनीकी आंतरिक्ष मिषनों को सफलतापूर्वक पूरा करने की क्षमता रखता है। इससे अंतरिक्ष अनुसंधन एक उदीयमान उद्योग का रूप ले सकेगा।

6. समग्र आर्थिक विकास को गतिः चंद्रयान-3 की सफलता से भारतीय उद्योग में निवेष बढ़ने से आर्थिक विकास दर पर भी सकारात्मक प्रभाव होगा। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग, डिजाइन उद्योग आदि तेजी से बढे़ंगे। 

अंतरिक्ष नीति 2023 देगी नया सम्बल 

नवीन अंतरिक्ष नीति-2023 अंतरिक्ष अनुसंधान को नवीन आयाम देगी। नवीन अंतरिक्ष नीति में निजी क्षेत्र को भी बड़ी भूमिका प्रदान की गई है। इससे पूर्व भी तेजी से बढ़ रहे अंतरिक्ष विज्ञान स्टार्टअप्स भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान उद्योग में द्रुत बढ़ावा देते रहे हैं। नई भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 में गैर-सरकारी संस्थाओं (नॉन गवर्नमेंट एण्टाइटीज) या निजी कंपनियों या स्टार्टअप को देष में और देष से बाहर रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट सिस्टम स्थापित करने और उन्हें संचालित करने की छूट दी गई है। अब निजी कंपनियां और स्टार्टअप दोनों ही अपने स्वामित्व वाली और बाहर से खरीदे गए या लीज पर लिये गए उपग्रहों को संचालित कर सकेंगे। इस क्षेत्र की उपलब्धियों को देखते हुए, उद्यम पूंजीपति (वेंचर केपिटलिस्ट) भी भारत के अंतरिक्ष-तकनीक क्षेत्र को लाभदायी निवेष के लिए उत्साहित हैं। इससे देष में निवेष के नये आयाम विकसित होंगे।

भारत में निजी क्षेत्र में विकसित रॉकेट लॉन्च करने की भी परम्परा स्थापित हो रही है। घरेलू एयरोस्पेस कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस इस दिषा में पहल भी कर चुकी है। ऐसे ही अंतरिक्ष विज्ञान आगे बढ़ रहे उद्यमियों की नई पीढ़ी भारत को निजी अंतरिक्ष-तकनीक पारिस्थितिकी तंत्र में नये अवसर प्रदान कर रही है। वर्तमान में, देष में 140 से अधिक पंजीकृत अंतरिक्ष-तकनीकी स्टार्टअप हैं, जिनमें स्काईरूट, सैटष्योर, धुं्रव स्पेस और बेलाट्रिक्स जैसे कई स्टार्टअप शामिल हैं, जो उपग्रह- आधारित फोन सिग्नल, ब्रॉडबैंड, ओटीटी और से लेकर वास्तविक दुनिया की उपयोगिता वाली तकनीक बनाने की दिषा में काम कर रहे हैं। 5-जी से लेकर सौर फार्मों का संचालन और भी कई क्षेत्रों में अनुसंधान, संघटक विकास व उत्पादन के क्षेत्र में सक्रिय है। इसके अतिरिक्त धातु विज्ञान से सेंसर विकास तक अनेक नये क्षेत्र विकसित होंगे।

अंतरिक्ष विज्ञान के बाजार के बढ़ते पैमाने, व आकार और 2022 में इस वर्ष की उपलब्धियों में एक निजी रॉकेट लांच और कई अन्य उपग्रह लांच शामिल थे। अब चंद्रयान-3 की सफलता अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में उच्च निवेष को आकर्षित करेगा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक स्टार्टअप ईकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा। 

संयुक्त भागीदारीयुक्त वैष्विक केन्द्र की पहल 

भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 से अब अंतरिक्ष उद्योग में निजी भागीदारी से 2023 में भारतीय अंतरिक्ष-तकनीक पारिस्थितिकी तंत्र को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। इस हेतु ‘‘भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र’’ और ‘‘इन एण्ड स्पेस-ई’’ जैसी पहल पहले ही हो चुकी है। यह लागत-कुषल और अत्यधिक विष्वसनीय अंतरिक्ष-ग्रेड हार्डवेयर विकास, प्ररचना व उत्पादन को बढ़ावा देगा। यह हमारे उद्योग को अन्य देषों के चंद्र कार्यक्रमों सहित सभी प्रकार के अंतरिक्ष अभियान की आपूर्तिकर्ता बनने के लिए भी अवसर प्रदान करेगा। गूगल जैसी कई अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां पहले से ही भारत के अंतरिक्ष- तकनीक स्टार्टअप में व्यापक निवेष कर रही हैं। चंद्रयान-3 के मिषन की सफलता के बाद भारतीय साज सामानों की मांँग बढ़ेगी और विदेषी कंपनियों द्वारा भारत से आदायों की सोर्सिंग की जाएगी। 

स्टार्टअप्स एवं संयुक्त क्षेत्र से नयी गति 

चंद्रयान-3 मिषन ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारतीय कंपनियों और स्टार्टअप्स के लिए कई नवीन व्यावसायिक अवसर उपलब्ध कराये हैं। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की बढ़ती साख भविष्य में संयुक्त उद्यमों को आकर्षित कर सकती है और भारतीय कंपनियों और स्टार्टअप्स को दुनिया के लिए अंतरिक्ष प्रणालियों और उप प्रणालियों के डिजाइन और निर्माण भागीदार बनाएगी। हाल ही में इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के बीच आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। नये समझौतों पर और भी बातचीत चल रही है। 

नई नीति निजी कंपनियों को अपनी अंतरिक्ष संपत्ति स्थापित करने की व्यापक स्वतंत्रता देती है। अब ‘‘नॉन गवर्नमेंटल एंटिटीज को अंतरिक्ष वस्तुओं, जमीन-आधारित संपत्तियों को स्थापित कर सकते हैं और संबंधित सेवाओं जैसे संचार, रिमोट सेंसिंग, नेविगेषन इत्यादि की स्थापना और संचालन के माध्यम से अंतरिक्ष क्षेत्र में एंड-टू-एंड गतिविधियां करने की अनुमति सरकार द्वारा दी जाएगी। 

भविष्यदर्षी रणनीति और वाणिज्यिक पहल

नई नीति में कई प्रकार की नई सेवाओं को अनुमोदन दिया गया है। नई नीति के अनुसार उपग्रहों के एक समूह के माध्यम से अंतरिक्ष-आधारित ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने पर, ‘‘एनजीई स्व-स्वामित्व या खरीदे गए या जीएसओ/एनजीएसओ संचार उपग्रहों के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष-आधारित संचार सेवाओं प्रस्तुत की जा सकती हैं।‘‘ नई नीति ने इसरो के अंतरिक्ष नियामक प्राधिकृति ‘‘इन एण्ड स्पेस-ई’’ और उसकी वाणिज्यिक शाखा ‘‘न्यू स्पेस इण्डिया लिमिटेड’’ को भी नई भूमिकाएँ देकर उन्हें विस्तार देने के साथ और भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है। नई नीति में विभाग की वाणिज्यिक कम्पनी ‘‘न्यू स्पेस इण्डिया लिमिटेड’’ के बारे में स्पष्ट किया गया है कि यह सार्वजनिक व्यय के माध्यम से बनाई गई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों और प्लेटफार्मों के व्यावसायीकरण का कार्य करेगी। 

वैष्विक शक्ति की ओर कदम 

भारत अपनी लागत कुषलता, तकनीकी उत्कृष्टता, प्रक्षेपण सेवाओं की विष्वसनीयता से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक अग्रणी शक्ति बनने की दिषा में आगे बढ़ रहा है। इससे देष को भारी विदेषी मुद्रा भी प्राप्त हो सकेगी और देष में अंतरिक्ष विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेकाट्रोनिक्स रिमोट सेंसिग आदि अनेक क्षेत्रों में रोजगार सृजन हो सकेगा। आगामी दषकों में भारत अंतरिक्ष अनुसंधान एवं विष्व भर के लिए एक प्रक्षेपण हब बनेगा, जो देष में रोजगारी, तकनीकी विकास व आर्थिक संवृद्धि का आधार बनेगा।         

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