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विकसित भारत की संकल्पना

विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने के लिये राजनीतिक स्थिरता की आवश्यकता है जिससे कि बिना व्यवधान के भारत 2047 तक समृद्धि के शिखर तक पहुंच सके। - विनोद जौहरी

 

‘विकसित भारत@2047’ अभियान स्वतंत्रता की शताब्दी तक राष्ट्र को एक विकसित देश के रूप में तैयार करने के लिए के लिए चलाया जा रहा है। इसमें आर्थिक समृद्धि, सामाजिक उन्नति के साथ प्रभावी शासन जैसे विकास के विविधपक्षों को सम्मिलित किया गया है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं और देश के अन्य नागरिकों को इससे जुड़ने और परिवर्तन में सक्रिय रूप से सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किया है।

विकसित भारत@2047ः वॉयस ऑफ यूथ को विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए प्रारम्भ किया गया था, जो भारत की नियति में दृढ़ विश्वास, अटूट समर्पण और लोगों, विशेषकर युवाओं की विशाल क्षमताओं और प्रतिभा की गहन पहचान की अपेक्षा करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं को ’आइडियाज फ्रॉम यूथ फॉर विकसित भारत@2047’ नामक युवा आंदोलन के माध्यम से परिवर्तनकारी एजेंडे में सम्मिलित होने का निमंत्रण भी दिया। उन्होंने सभी से अपनी सीमाओं से परे जाकर विकसित भारत@2047 के दृष्टिकोण में अपने विचारों का योगदान करने का आग्रह किया। माय-गॉव (MyGov) के भीतर विकसित भारत@2047 अनुभाग प्रारंभ हुआ है। इसमें विकसित भारत के विजन के लिए विचारों का एक खंड है। ऑनलाइन माय-गांव पोर्टल पर 5 अलग-अलग विषयों पर सुझाव दिए जा सकते हैं

विकसित भारत के चार स्तंभ हैं युवा, गरीब, महिला और किसान। हर देश को इतिहास एक ऐसा कालखंड देता है, जब वो अपनी विकास यात्रा को कई गुना आगे बढ़ा लेता है। यह उस देश का अमृतकाल होता है। भारत के लिए अमृतकाल इस समय आया है। ये भारत के इतिहास का वो कालखंड है, जब देश, एक ऊंची उड़ान लगाने जा रहा है। ऐसे अनेक देशों के उदाहरण हैं, जिन्होंने एक तय समय में ऐसी ही ऊंची उड़ान लेकर खुद को विकसित बना लिया। विकसित भारत के निर्माण का ये अमृतकाल वैसा ही है, वैसा ही समय है, जैसे हम परीक्षाओं के दिनों में देखते हैं। विद्यार्थी अपने परीक्षा के प्रदर्शन को लेकर बहुत आत्मविश्वासी होते हैं, लेकिन फिर भी अंतिम समय तक वो कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ता है। हर विद्यार्थी अपना सब कुछ झोंक देता है, समय का पल-पल एक ही ध्येय से जोड़ देता है। और जब परीक्षा की तिथियां निकट आ जाती हैं। तिथि घोषित हो जाती है, तो ऐसा लगता है कि पूरे परिवार की परीक्षा की तिथि आ गई है। सिर्फ विद्यार्थी ही नहीं, बल्कि पूरा परिवार ही एक अनुशासन के दायरे में हर काम करता है। हमारे लिए भी देश के नागरिक के तौर पर परीक्षा की तिथि घोषित हो चुकी है। हमारे सामने 25 साल का अमृतकाल है। हमें चौबीसों घंटे, इसी अमृतकाल और विकसित भारत के लक्ष्यों के लिए काम करना है। यही वातावरण हमें एक परिवार के रूप में बनाना ये हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।

विकसित भारत के विभिन्न पहलुओं पर नगर डालें तो संरचनात्मक रूपांतरण, श्रम बाज़ारों का निर्माण, प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना, वित्तीय और सामाजिक समावेशन में सुधार, शासन में सुधारवादी दृष्टिकोण, हरित क्रांति के तहत अवसरों का लाभ उठाने की प्रवृत्ति और ईज आफ डूइंग बिजनेस में सुधार की बातें सहज की दिख जाती है। कारोबारी सुगमता यानी ईज आफ डूइंग बिजनेस के मामले में हमने काफी बेहतर किया है। विश्वु बैंक की ईज आफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत 2014 की 142वीं रैंकिंग से 2020 में 63वीं रैंकिंग पर पहुंच गया।

विकास के विभिन्न पक्ष

भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए छह महत्वपूर्ण कारक हैं -

1. डिजिटल प्रतिस्पर्धा - भारत में 90 करोड़ काम करने वाली जनसंख्या, विश्व में सबसे सस्ती इंटरनेट दरें, 65 करोड़ स्मार्टफोन, टैक्नोलॉजी आधारित 150 बिलियन डॉलर के निर्यात (2022) और भारत में 1500 ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर जिनमें फार्च्यून 500 की कंपनियां सम्मिलित हैं, भारत को विश्व में अग्रणी रखते हैं। भारत ने वैश्विक नवोन्मेष इंडेक्स में 41 अंक की बढ़त लेकर सात वर्षों में 40वां स्थान प्राप्त किया है। स्टार्ट अप इकोसिस्टम में भारत विश्व में तीसरा स्थान रखता है।

2. परिवर्तनकारी पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश - एविएशन क्षेत्र में भारत विश्व में तीसरा स्थान रखता है और यह 17 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा है। विश्वस्तरीय परिवहन नेटवर्क के लिए रेलवे, पोर्ट, राजमार्ग निर्माण, लॉजिस्टिक्स के लिए सरकार द्वारा विशाल स्तर पर निवेश किया जा रहा है। केंद्र सरकार का पोर्ट हैंडलिंग क्षमता को बढ़ाकर 10 मिलियन मैट्रिक टन प्रतिवर्ष का लक्ष्य प्राप्त करने का है।

3. औद्योगिक उत्पादन में अभूतपूर्व अवसर - वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में औद्योगिक उत्पादन क्षेत्र की 15 प्रतिशत की भागीदारी है जिसको उत्पादन लिंक्ड इंसेंटिव योजना, करों में राहत जैसे उपायों से उत्तरोत्तर बढ़ाना है। वित्तीय वर्ष 2026 तक औद्योगिक निर्यात को 600 बिलियन डॉलर का लक्ष्य प्राप्त करने का ध्येय है। वैश्विक व्यापार में भारत की भागीदारी 2 प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2047 में 10 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। भारत की 100 अंतरराष्ट्रीय ब्रांड वैश्विक व्यापार में स्थापित हों, यह भी ध्येय है। चीन से विस्थापित हो रही आपूर्ति श्रंखला का लाभ भारत को होना चाहिए। 

4. ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता- ऊर्जा के क्षेत्र में लक्षित वर्ष 2047 में भारत को पूर्णतया आत्मनिर्भर करने की योजना है जिससे आयात में होने वाले 100 बिलियन डॉलर के खर्च को बचाया जा सके। वर्ष 2030 तक भारत में नवीकरणीय और हाइड्रोजन से 500 गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 300 बिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है। भारतीय रेल का 83 प्रतिशत विद्युतीकरण हो चुका है जो वर्ष 2024 में ही शत प्रतिशत हो जायेगा।

5. बड़े आर्थिक, प्रशासनिक, संवैधानिक, व्यापार, कृषि, शिक्षा, भूमि, श्रम और स्वास्थ्य के सुधारों के लिए राजनीति स्थिरता की बहुत आवश्यकता है। 

6. विश्व का फूड बास्केट - भारत अनाज, डेयरी, मसाले, फल, सब्जी, चाय, खाद्य तेल, मछली, चीनी, चावल के उत्पादन और निर्यात से विश्व की आवश्यकता का 17.8 प्रतिशत आपूर्ति करता है।

आने वाले समय में केंद्र सरकार को बहुत समय से लंबित भूमि सुधारों पर योजनाबद्ध होकर काम करना होगा जिसमें भूमि का रिकार्ड, कृषि, किरायेदारी, शहरी, ग्रामीण एवं वन भूमि के उपयोग, औद्योगीकरण एवं इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भूमि का अधिग्रहण, भूमि संबंधित वादों का निपटान आदि सम्मिलित हैं। पिछली यूपीए सरकार में 2013 में पारित “राइट टू फेयर कंपेनसेशन एंड ट्रांसपेरेंसी इन लैंड एक्विजिशन, रिहैबिलिटेशन एंड रिसैटिलमेंट एक्ट 2013” को संशोधित करने के लिए मोदी सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया था जिसके विरोध के कारण वापस लेना पड़ा। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, एफोर्डेबिल भवन निर्माण, औद्योगिक कॉरिडोर, विनिर्माण के लिए सहमति की आवश्यकता नहीं होने के लिए प्रावधान किया जाना था। इसी प्रकार तीन किसानों बिल दृ “किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा समझौता अधिनियम, और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम” भी सरकार को वापस लेने पड़े। छोटे किसानों के हित मेंघ् केंद्र सरकार ने “मॉडल एग्रीकल्चर लैंड लीजिंग एक्ट 2016” पारित किया। इस दिशा में केंद्र सरकार को किसानों, विनिर्माण, औद्योगीकरण के हितों के लिए बड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। भारतीय दिवालिया और शोधन अक्षमता कोड यानी दिवालिया कानून में भी साहसी संशोधन की आवश्यकता है कि बैंक भी रिज़ोल्यूशन प्रक्रिया में ऋण को पूंजी में विस्थापित करके निवेश करें जिससे दिवालिया कंपनियों के केसों का शीघ्रता से और सकारात्मक रूप से निपटारा हो सके।

भारत को कम से कम तीन दशकों तक  सकल घरेलू उत्पाद में 9-10 प्रतिशत की वृद्धि दर जारी रखनी होगी, तभी भारत का सकल घरेलू उत्पाद 35 ट्रिलियन डॉलर हो सकेगा और प्रति व्यक्ति आय 24000 डॉलर होगी। तभी भारत की अर्थव्यवस्था शिखर पर होगी। भारत को विनिर्माण, टैक्नोलॉजी, त्वरित औद्योगिक प्रगति, पर्यावरणीय सुरक्षा, स्मार्ट शहरीकरण और कृषि के बलबूते आगे बढ़ना होगा। भारत केवल केंद्र सरकार के बलबूते नहीं बल्कि राज्यों के बढ़ने से ही देश आगे बढ़ेगा।

विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने के लिये राजनीतिक स्थिरता की आवश्यकता है जिससे कि बिना व्यवधान के भारत 2047 तक समृद्धि के शिखर तक पहुंच सके।      

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