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राष्ट्रीय परिषद बैठक - 28, 29, 30 जून, 2024 (लखनऊ-अयोध्या, उ.प्र.) 

स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय परिषद बैठक 28 जून 2024 को एस.आर. ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, लखनऊ (उ.प्र.) में प्रारंभ हुई। मंच पर श्री आर. सुंदरम (अखिल भारतीय संयोजक), श्री कश्मीरी लाल (अ.भा. संगठक), डॉ धनपत राम अग्रवाल (अ.भा. सह संयोजक), श्री अजय पत्की (अ.भा. सह संयोजक), डॉ राजकुमार मित्तल (अ.भा. सह संयोजक), डा. अमिता पत्की (अ.भा. महिला संयोजक) एवं एस.आर. ग्रुप के चेयरमैन श्री पवन सिंह चौहान विराजमान थे। जिन्होंने भारत माता, दत्तोपंत ठेंगड़ी जी एवं दीनदयाल उपाध्याय जी के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्जवल एवं माल्यार्पण किया। बैठक में देशभर के सभी प्रांतों से 340 कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया, जिसमें मातृशक्ति की संख्या सराहनीय रही।

सर्वप्रथम मंचासीन अतिथियों का परिचय अखिल भारतीय विचार विभाग प्रमुख डॉ. राजीव कुमार द्वारा किया गया।

श्री आर. सुंदरम ने सर्वप्रथम देशभर से पधारे समस्त कार्यकर्ताओं का स्वागत किया। उन्होंने अपने अखिल भारतीय प्रवास के दौरान पूर्वोत्तर भारत और जम्मू कश्मीर, लेह, लद्दाख की यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि स्वदेशी के कार्यकर्ताओं के मध्य भाषा कभी भी बाधक नहीं रही। उन्होंने संपूर्ण भारत में चलाए जा रहे स्वावलंबी भारत अभियान के लिए कार्यकर्ताओं के प्रयासों की प्रशंसा की।

उन्होंने कहा कि हमारा दायित्व है कि हम देश को नई आर्थिक दिशा देने के लिए अपने सुझाव इस आग्रह के साथ प्रस्तुत करें कि देश इन पर चले। क्या नहीं करना, इस प्रतिबंधित (रिस्ट्रिक्टेड) सोच को बदलते हुए हम इस सकारात्मक सोच से अब आगे बढ़ेंगे कि क्या-क्या किया जाना चाहिए। आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में देश ने ठोस प्रगति की है तथा बहुत कुछ करना अभी बाकी है।

भविष्य में हमारा कार्य 4 क्षेत्रों में केंद्रित रहेगा :-
1.    स्वदेशी के मुख्य मामलें 
2.    स्वावलंबी भारत अभियान 
3.    स्वदेशी मेले
4.    स्वदेशी शोध संस्थान, जो कि वर्तमान एवं 2047 तक के लिए रोड मैप तैयार करेगा।

सशक्त और समृद्ध भारत बनाने के लिए अपनी यह तीन दिवसीय बैठक इन बिंदुओं पर केंद्रित रहेगी।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे एस.आर. ग्रुप ऑफ  इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन श्री पवन सिंह चौहान ने बताया कि विपरीत आर्थिक परिस्थितियों में किस तरीके से उन्होंने प्रारंभ में खेती के माध्यम से, चाय बेचने से लेकर किराने की दुकान और कपड़े की दुकान तक का काम किया, फिर बहुराष्ट्रीय कंपनियों की एजेंसी के माध्यम से अपना कारोबार खड़ा किया। परंतु बहुराष्ट्रीय कंपनियों को छोड़कर अपने ही गांव में अपना स्वयं का कार्य खड़ा करने का संकल्प लिया। अपने गांव में ही स्कूल खोला। आज इस एस.आर. ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस में लगभग 16,000 विद्यार्थी है और वर्ष में वे लगभग 7,000 के करीब युवाओं को रोजगार देने का प्रयास कर रहे हैं।

उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता श्री सतीश कुमार (अ.भा. सह संगठक) ने 2047 का भारत- समृद्ध और महान भारत का नारा देते हुए अपने विषय को प्रारंभ किया। संगठन के कार्यों का सिंहावलोकन करते हुए उन्होंने बताया कि आज देश के कुल 45 प्रांतों के 750 जिलों में से 550 जिलों में हमारी सक्रिय व सामान्य ईकाइयां कार्य कर रही। देश के 200 विश्वविद्यालय में पिछले दो-तीन वर्षों में कुछ न कुछ कार्यक्रम संपादित हुए। देश के अनेक, शिक्षाविद, उद्यमी, व्यापारी, विचारक इस अभियान के माध्यम से हमारे संपर्क में आए। पिछले वर्ष माय एसबीए के अंतर्गत 4950 संस्थानों में 550 युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित किया गया। हमने पूरे देश में 4000 उद्यमियों को अपनी सफलता के लिए सम्मानित किया।

स्वदेशी जागरण मंच के बढ़ते आयाम के अंतर्गत आगे बताया कि-
-    38 संगठनों के साथ मिलकर हम स्वावलंबी भारत अभियान चला रहे हैं। स्वदेशी शोध संस्थान का भवन निर्माण का कार्य भी चल रहा है।
-    स्वर्णिम भारत वर्ष फाउंडेशन ट्रस्ट का निर्माण किया।
-    स्वदेशी प्रकाशन का अपना काम निर्बाध गति से चल रहा है।
-    लघु ऋण वितरण योजना पर भी हम कामकर रहे है।
-    स्वदेशी पत्रिका और मीडिया काम कर रही है। प्रत्यक्ष बड़े कामों  के अंतर्गत देश में बड़े 20 स्वदेशी मेले हुए और उद्यमिता सम्मान के कार्यक्रम भी बड़ी मात्रा में संपन्न हुए।

इस वर्ष की आगामी योजना के अंतर्गत आपने बताया कि स्वदेशी व्यवहार में, परिवार में और विचार में कैसे जाए? इस पर हमें काम करना है।

भारत@2047 समृद्ध और महान भारत के लिए आपने  बिंदुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला- उसके लिए हमें चाहिएः
-    युवा गतिमान जनसंख्या 
-    पूर्ण रोजगार युक्त भारत 
-    भारत विश्व की सर्वोच्च अर्थव्यवस्था
-    अभेद्य सुरक्षा तंत्र 
-    विज्ञान तकनीकी में भारत का अग्रणी स्थान
-    पर्यावरण हितैषी भारत
-    विश्व बंधुत्व का प्रवक्ता भारत
-    उच्च जीवन मूल्य 

उद्घाटन सत्र का संचालन अखिल भारतीय सह संयोजक श्री अजय पत्की ने किया।

द्वितीय सत्र

यह पूरा सत्र क्षेत्रानुसार कार्य वृत्त प्रस्तुत करने का रहा। 

मंचासीन श्री आर. सुंदरम एवं श्री कश्मीरी लाल की उपस्तिथि में सभी 11 क्षेत्रों के क्षेत्र संयोजकों ने अपने-अपने क्षेत्रों का कार्यवृत्त प्रस्तुत किया।

दक्षिण क्षेत्र का कार्य वृत्त श्री सत्यनारायण (संगठक तमिलनाडु प्रांत), दक्षिण मध्य क्षेत्र का वृत्त श्री एस. लिंगामूर्ति (क्षेत्र समन्वयक), पश्चिम क्षेत्र का वृत्त श्री प्रशांत देशपांडे (क्षेत्र सह-संयोजक), मध्य क्षेत्र - सुधीर दाते (क्षेत्र संयोजक), राजस्थान क्षेत्र - डॉ. सतीश कुमार आचार्य (क्षेत्र संयोजक), उत्तर क्षेत्र - वृत्त प्रो. सोमनाथ सचदेवा (क्षेत्र संयोजक), पश्चिमी उत्तर प्रदेश - डॉ. अमितेश अमित (क्षेत्र संयोजक), पूर्वी उत्तर प्रदेश - श्री अनुपम श्रीवास्तव (क्षेत्र संयोजक), बिहार-झारखंड क्षेत्र - श्री अमरेंद्र सिंह (क्षेत्र संयोजक), पूर्वी क्षेत्र - श्री शत्रुघ्न तरई (क्षेत्र संयोजक), पूर्वोत्तर क्षेत्र - श्री दीपक शर्मा (क्षेत्र संयोजक) ने कार्य वृत्त प्रस्तुत किया।

सत्र का संचालन श्रीमती अर्चना मीना (अ.भा. सह महिला कार्य प्रमुख) ने किया।

तृतीय सत्र 

यह सत्र प्रस्ताव एवं विषय चर्चा का रहा। जनसंख्या का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव विषय पर प्रस्ताव डॉ. राजकुमार मित्तल (अ.भा. सहसंयोजक) ने प्रस्तुत किया। प्रस्ताव की भूमिका रखते हुए उन्होंने बताया कि एक महिला अपने जीवन काल में औसतन जितने बच्चों को जन्म देती है उसे टीएफआर (टोटल फर्टिलिटी रेट) कहते हैं। वर्तमान में भारत की यह प्रजनन दर 1.9 प्रतिशत है, भारत में यह दर विशेष कर शिक्षित परिवारों में गिर रही है। टीएफआर गिरने के कारणों में संयुक्त परिवारों का टूटना है। संयुक्त परिवार में कोई न कोई बालक का रखरखाव जरूर करता था, परंतु वर्तमान में एकल परिवारों के कारण विशेषकर शिक्षा के प्रचार-प्रसार के चलते युवा दंपत्तियों ने पिछले कुछ वर्षों से एक ही संतान उत्पत्ति की प्रवृत्ति को चला दिया है। यह आगे जाकर भारत की युवा जनसंख्या के लिए खतरा होगा।

विश्व के अनेकों देशों में टीएफआर की कमी के चलते पश्चिमी देश, जापान कोरिया जैसे देश बूढ़े होते जा रहे हैं। आज भारत विश्व की सबसे अधिक युवा जनसंख्या वाला देश है। यदि हमें आगे भी चलकर युवा बने रहना है तो इस टीएफआर को बढ़ाना होगा। स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय सभा, देश के लिए युवा जनसंख्या को बनाए रखने के लिए इसके सुधार का आह्वान करती है।

जनसंख्या संबंधी इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया।

इसी सत्र में डॉ राजकुमार चतुर्वेदी (अ.भा. संपर्क प्रमुख) ने ‘युवा भारत - भारत की प्रगति का आधार’ विषय पर एक पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में प्रजनन दर 2.1 प्रति महिला होना आवश्यक है। भारत में यह दर 2023 के अनुसार 1.9 हो चुकी है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में कमी हो रही है, यह वैश्विक जनसंख्या संबंधी नीतियों के कारण हो रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जहां पति-पत्नी कमा रहे हैं, वहां बच्चे जन्म नहीं ले रहे हैं। पढ़ा-लिखा जवान, युवक और युवती अब सामाजिकता में रुचि नहीं ले रहा। गर्भपात की दर भी बढ़ रही है। हालांकि भारत में सबसे कम विवाह विच्छेद होते हैं, फिर भी इस प्रवृत्ति पर रोक आवश्यक है।

इसी सत्र में डॉ. मधुर महाजन (पंजाब प्रांत विचार विभाग प्रमुख) ने विमर्श के अंतर्गत विकास की भारतीय अवधारणा विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में ऐसे नॉरेटिव खड़े किए जा रहे हैं जिनमें यह कहा जाता है कि भारत की यह ग्रोथ फेक है, झूठी है। यह विमर्श की लड़ाई है, इसलिए भारत के विकास की अवधारणा के आधार पर जमीन स्तर पर कार्य करने के लिए कुछ स्थानों पर आर्थिक समूह बनाकर सकारात्मक विमर्श पर कार्य शुरू किया है इनमें उदयपुर, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई है।

इसी सत्र में आई.आई.डी. के प्रमुख श्री मुकेश शुक्ला ने अपने समूह समाधान के माध्यम से बताया कि हम उद्यमी थे, कर्म आधारित हमारी पहचान थी, वहीं हम अंग्रेज़ां के समय जातियां बन गए, जैसे- सुनार, लुहार, तेली और बाद में हम सब अंग्रेज़ों के नौकर बनकर रह गए। इसलिए यदि हमें देश की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाना है तो हर घर में एक उद्यमी होना आवश्यक है। हमें युवाओं को उद्यम की ओर मोड़ना होगा और उसके लिए हमारा संगठन समाधान प्रस्तुत करता है। 

इसी सत्र में श्री अजय उपाध्याय द्वारा लिखित पुस्तक ‘ग्लोबल मार्केट फोर्सज’ का विमोचन किया गया। सत्र का संचालन डॉ एस. लिंगामूर्ति ने किया।

चतुर्थ सत्र

इस सत्र में क्षेत्रानुसार बैठकें आयोजित की गई, जिसमें चर्चा के निम्न बिंदु रहेः
1.    पूर्णकालिक कार्यकर्ता
2.    महिला कार्य और उसकी स्थिति 
3.    स्वदेशी मेला 
4.    केंद्रीय पदाधिकारी प्रवास 
5.    प्रांत के विचार एवं प्रशिक्षण वर्ग 
6.    जैविक उद्यमिता पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम 
7.    उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन

क्षेत्र अनुसार इन बैठकों में केंद्रीय अधिकारी के रुप में श्री जितेन्द्र गुप्त, श्री दीपक शर्मा ‘प्रदीप’, डॉ अमिता पत्की, श्रीमती अर्चना मीना, श्रीमती विजया रश्मी, डॉ. राघवेंद्र चंदेल, श्री बलराम नन्दवानी, श्री अनिल शर्मा, श्री धर्मेन्द्र दुबे ने उक्त विषयों पर कार्यकर्ताओं से चर्चा की।

बैठकों का संचालन संबंधित क्षेत्र संयोजकों द्वारा किया गया।

पंचम सत्र

यह सत्र भी प्रस्ताव एवं विषय चर्चा का रहा। इस सत्र में श्री आर. सुन्दरम, प्रो. प्रदीप चौहान (जेएनयू) व डॉ धनपत राम अग्रवाल मंचासीन रहे।

प्रो. प्रदीप चौहान ने 2047 का समृद्ध एवं महान भारत विषय पर प्रस्ताव रखते हुए कहा कि सरकार के नीति आयोग ने भी विकसित भारत के नाम से एक रिपोर्ट तैयार की है परंतु हमारा प्रस्ताव समृद्धि एवं महान भारत का है, इन दोनों में थोड़ा सा अंतर है। भारत सरकार मुख्यतः आर्थिक विषयों पर बल दे रही है, परंतु हमारा प्रस्ताव सामाजिक सांस्कृतिक ऐतिहासिक और नैतिक मूल्यों के विषय पर भी बल देगा। जिससे भारत 2047 में अमेरिका जैसा भौतिकवादी देश न बने। आर्थिक विकास की होड़ में पश्चिम देशों के जैसे प्रकृति का शोषण न हो। 

पहले कहा जाता था, भारत एक कृषि प्रधान देश है परंतु ऐसा नहीं कृषि उत्पादन तो होता ही था परंतु हम कृषि के साथ-साथ एक समृद्ध उद्योग व्यवस्था के संचालक भी थे।

भारत कोविड के दौरान ग्लोबल फार्मेसी बनकर सामने आया। अब हम डिफेंस के क्षेत्र में भी निर्यात करने लग गए हैं। विश्व के अन्य देशों को भारत की आंतरिक शक्ति की ताकत पता है अब भारत की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। वैश्विक समूह में भारत को अपने साथ रखने की होड़ मची है। पहले हमें दृढ़ विश्वास बनाना है कि हम  भारत को विश्व की प्रथम शक्ति बनाकर रहेंगे ।

भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास भारतीय चिंतन शैली के आधार पर हो प्रस्ताव के मुख्य बिंदु इस प्रकार है।
-    युवा एवं गतिमान जनसंख्या
-    कौशल एवं नवाचार युक्त भारत
-    मजबूत सुरक्षा तंत्र 
-    तकनीकी नेतृत्व 
-    पर्यावरण संधारित सतत विकास
-    उच्च जीवन मूल्य 

बैठक में सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को पारित किया गया।

डॉ धनपत राम अग्रवाल ने ‘ब्रेन ड्रेन नहीं, ब्रेन गेन’ विषय पर अपने विचार रखते हुए बताया कि भारतीय मूल के जो भी लोग संपूर्ण विश्व के लगभग 189 देशों में रह रहे हैं, यह 3.25 करोड़ लोग हैं जिन्हें हम एनआरआई के नाम से जानते हैं। ये भारतीय लोग भारत से बाहर है परंतु भारत को लगभग 125 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष भारत को भेजते हैं।

आज हमारा केंद्र बिंदु उद्यमिता है। क्या हम विदेशों में बसे भारतीयों की प्रतिभा का उपयोग कर समृद्ध भारत की परिकल्पना से जोड़ सकते हैं या उनकी सहभागिता का उपयोग किया जा सकता है। 105 ट्रिलियन डॉलर की दुनिया की इकोनॉमी में वर्तमान में भारत की लगभग चार ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था है जबकि विश्व की जनसंख्या में हमारा 18 प्रतिशत हिस्सा है। परंतु विश्व जीडीपी में हम 3.5 प्रतिशत पर है। भारतीयों के भारत से बाहर जाने के अनेक कारण रहे होंगे। वर्तमान में हमारी नीतियों में स्थिरता आवश्यक है। हमारी प्राथमिकता में रिसर्च एंड डेवलपमेंट नहीं होगा तो हम ब्रेन गेन नहीं कर सकते। हमें भी रिसर्च और डेवलपमेंट में आगे बढ़ाना है तो ब्रेन ड्रेन को रोककर ब्रेन गेन करने की आवश्यकता है। इसका उपयोग करते हुए एक समृद्धशाली भारत की आधारशिला तैयार कर सकते हैं।

सत्र का संचालन अ.भा. सघर्षवाहिनी प्रमुख श्री अन्नदा शंकर पाणिग्रही ने किया।

षष्ठम सत्र

इस सत्र में अनेक विषयों पर चर्चा हुईः

1. डॉ विकास ने उद्यमिता के जैविक पथ विषय पर अपने विचार रखते हुए बताया कि जैविक उद्यमिता के टारगेट समूह में 90 प्रतिशत वह लोग हैं जो युवा हैं या नारी शक्ति है जो रोजगार की तलाश में है। जैविक उद्यमिता का विचार इसलिए भी आया कि हमें पश्चिम के कॉरपोरेट और उद्यमिता मॉडल से दूरी बनाए रखते हुए हमारे युवा जैविक उद्यमिता के आधार स्थानीय संसाधनों का प्रयोग करके अपने उद्यम शुरू कर सकते हैं। इस जैविक उद्यमिता के पथ को अपनाते हुए हम बड़ी मात्रा में युवाओं को रोजगार दे सकते हैं।

2. प्रो. सोमनाथ सचदेवा (कुलपति कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय) ने विकसित भारत /2047 का समृद्ध और महान भारत के निर्माण में विज्ञान एवं तकनीकी का योगदान विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी युवा एवं गतिमान जनसंख्या आज विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में अग्रणीय है। स्कूल शिक्षा के समय ही बच्चों की मानसिकता बनाना आवश्यक है। एजुकेशन सिस्टम में ही प्रोजेक्ट बनाना, उद्योगों से जोड़ना, नवाचार आधारित इन्वेस्टमेंट करना इत्यादि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अन्तर्गत नवाचार लागू किए गए हैं उन्हें धरातल पर उतारना ,रिसर्च को बढ़ावा देना, इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महिलाओं की सहभागिता बढ़ाना ,अनुसंधान केर्न्दों की स्थापना करना आवश्यक है।

3. श्री अन्नदा शंकर पाणिग्रही ने पर्यावरण संरक्षण विषय पर अपनी बात पंच महाभूतों-पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश से आरम्भ करते हुए कहा कि आज प्रत्येक देश ग्रीन गैसों का उत्सर्जन कर रहा है। हमारी दैनिक दिनचर्या, हमारी जीवन चर्या, समाज चर्या में पर्यावरण के प्रति हमारी कित

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