विश्व व्यापार संगठन में राष्ट्रीय हितों की रक्षा हो (Resolution-1, NCM, Nagpur, 4-5 June 2022)
विश्व व्यापार संगठन का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 12 जून से 15 जून, 2022 तक जिनेवा, स्विट्जरलैंड में आयोजित किया जा रहा है। चर्चा के तहत कई मुद्दों में, चार मुद्दे जो दुनिया और सदस्य देशों का ध्यान आकर्षित करेंगे एवं जो कम विकसित देशों और विकासशील देशों के लोगों के लिए विशेष महत्व रखते हैं, उनमें इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर कस्टम ड्यूटी पर अस्थायी स्थगन; कोविड-19 के उपचार के लिए वैक्सीन, दवाओं और संबंधित तकनीकों पर ट्रिप्स छूट; खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग पर कृषि पर समझौते में ‘पीस क्लाज़’ हेतु स्थाई समाधान एवं मत्स्य पालन सब्सिडी के निर्णय षामिल हैं।
1. स्वदेशी जागरण मंच 1998 से जारी ई-उत्पादों के आयात पर टैरिफ पर स्थगन का विरोध करने के निर्णय के लिए भारत सरकार की सराहना करना चाहता है। हमारी भी माँग है कि ई-उत्पादों के आयात पर टैरिफ ड्यूटी पर वर्तमान स्थगन को समाप्त किया जाए। इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण पर टैरिफ ड्यूटी पर वर्तमान स्थगन, आमतौर पर विकासशील देशों और विशेष रूप से भारतीय के हितों के खिलाफ है। यह न केवल इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के विकास को बाधित कर रहा है और इससे इस क्षेत्र में रोजगार सष्जन ही नहीं बल्कि राजस्व सष्जन भी प्रभावित हो रहा है। चौथी औद्योगिक क्रांति, अर्थात् डिजिटल औद्योगीकरण में सफलता के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर टैरिफ लगाना पहली षर्त होगी। अधिक संख्या में उत्पादों के डिजिटलीकरण में बढ़ती प्रवष्त्ति, विशेष रूप से वस्तुओं की निर्मित में 3डी प्रिंटिंग का बढ़ता प्रमाण टैरिफ राजस्व के लिए ख़तरे की घंटी है।
2. मानवता पिछले दो सालों से सबसे बुरी त्रासदी से गुजरी है और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोग अभी भी निदान, दवाओं, वैक्सीन और अन्य उपचारों तक समान पहुंच के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसके लिए मुख्य दोषी मराकेश में विश्व व्यापार संगठन की षुरुआत में किया गया ‘ट्रिप्स’ समझौता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर ट्रिप्स समझौते में अनुमत अपवाद अप्रभावी थे क्योंकि उनके साथ बहुत सी षर्तें जुड़ी हुई थीं जिनका पालन करना या तो मुश्किल था या अव्यावहारिक था। दोहा घोषणा में ट्रिप्स लचीलेपन के रूप में जो कुछ भी छोटा हासिल किया गया था, उसे भी विकसित देशों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका ने अप्रभावी कर दिया है। विकसित देशों ने विकासशील देशों और कम विकसित देशों को, ट्रिप्स प्लस और डेटा एक्स्क्लूसिविटी जैसी प्रतिबंधात्मक षर्तों को षामिल करने के लिए मजबूर कर दिया है।
भारत, अफ्रीका समूह और अन्य सहायक देशों ने कोविड-19 के उपचार के लिए वैक्सीन, दवाओं और उपभोग्य सामग्रियों के लिए ट्रिप्स छूट का प्रस्ताव रखा था, जिसका षुरू में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान सहित विकसित देशों ने विरोध किया, बाद में वे दस्तावेज (टेक्स्ट) आधारित वार्ता के लिए सहमत हुए। लेकिन वर्तमान में प्रसारित दस्तावेज, ट्रिप्स छूट के भारत-दक्षिण अफ्रीका प्रस्ताव में निहित उद्देश्य के लिए बिलकुल उपयोगी नहीं है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विकसित देशों का प्रस्ताव ट्रिप्स से छूट केवल टीके और वह भी टीके के आयात और निर्यात तक सीमित करने का है। समय की मांग है कि दवाओं, नैदानिक, डिस्पोज़बल और कोविड के उपचार में उपयोग किए जाने वालेउपकरणों के लिए ट्रिप्स छूट लागू हो। स्वदेशी जागरण मंच भारत सरकार से माँग करता है कि इस मुद्दे को एमसी-12 में मजबूती से उठाये और ट्रिप्स छूट के लिए दबाव बनाने हेतु विकासशील देशों और अल्पविकसित देशों का नेतृत्व करे।
3. 2001 में दोहा घोषणा के बाद से कृषि पर विश्व व्यापार संगठन की वार्ता में गतिरोध बना हुआ है। अमेरिका और यूरोपीय संघ न केवल कृषि बल्कि गैर-कृषि बाजार पहुंच और सेवाओं जैसे अन्य वार्ता क्षेत्रों में भी एक समझौता चाहते थे। दिसंबर, 2013 में बाली में 9वें सम्मेलन में, खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग पर निर्णय लिया गया था। इस विषय में सदस्य स्थायी समाधान प्राप्त होने तक, विकासशील देशों के लिए एक अंतरिम तंत्र स्थापित करने और इसके लिए एक समझौते पर बातचीत करने पर सहमत हुए। बाली के बाद, जुलाई 2014 में जी-33 के अन्य देशों के साथ भारत से स्थायी समाधान का पहला प्रस्ताव आया, जिसने अनिवार्य रूप से खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग को ग्रीन बॉक्स में स्थानांतरित करने की मांग की। प्रस्ताव को ’स्थायी समाधान’ भी कहा गया। तब से कई साल बीत चुके हैं और भारत जैसे देश अभी भी विश्व व्यापार संगठन में आने के लिए खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग पर स्थायी समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि भारत ने 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम अधिनियमित किया था जो केंद्र और राज्य सरकारों को देश के कमजोर समाज को खाद्य सुरक्षा, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पौष्टिक भोजन और स्कूली बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन योजना को कार्यान्वित करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को लागू करने का आदेश देता है। इन योजनाओं को एग्रीमेंट ऑन एग्रीकल्चर के तहत अनुमत सब्सिडी के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है और इसका विरोध किया जा रहा है। हमने पिछले दो वर्षों में कोरोना महामारी के दौरान खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग के महत्व को समझा है। हम भारत के समर्थन के साथ अफ्रीका समूह, जी-33 और अन्य द्वारा स्थायी समाधान हेतु प्रस्ताव की सराहना करते हैं। इस स्थाई समाधान में विश्व व्यापार संगठन के प्रारंभिक समझौतों में की गई गलती को सुधारा जाना हैं, जिसमें सब्सिडी की गणना के उद्देश्य से आधार वर्ष 1986-88 में कृषि क़ीमतों को रखा गया था। हम सरकार से इस समझौते के लिए दबाव बनाने का आह्वान करते हैं जो करोड़ों भारतीय लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा के रास्ते को प्रशस्त करेगा और सब्सिडी के वर्गीकरण के मामले में ऐतिहासिक गलतियों को भी दूर करेगा। अमेरिका द्वारा 300 अरब डॉलर से अधिक की सब्सिडी की अनुमति देने और गरीब लोगों की खाद्य सुरक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा दी गई मामूली सब्सिडी का विरोध करना अनुचित ही नहीं, हास्यास्पद भी है। कोविड-19 महामारी अभी भी छोटे किसानों के जीवन और आजीविका पर कहर बरपा रही है, इस मुद्दे का स्थायी समाधान खोजना भारत के लिए आगामी 12वें मंत्रीस्तरीय सम्मेलन में प्राथमिकता होनी चाहिए।
4. मात्स्यिकी सब्सिडियों को अनुशासित करने का अधिदेश 2001 के दोहा मंत्रिस्तरीय सम्मेलन से आता है, जिसमें कुछ प्रकार की मात्स्यिकी सब्सिडी जो ओवरफिशिंग और ओवरकैपेसिटी (ओएफओसी) में योगदान करती हैं, अवैध, गैर-रिपोर्टेड और अनियमित (आईयूयू) मात्स्यिकी में योगदान करती हैं, को प्रतिबंधित करने की आवश्यकता को चिन्हित किया गया था। हानिकारक मात्स्यिकी सब्सिडी की परिभाषा सहित कई प्रमुख मुद्दों जैसे आईयूयू की परिभाषा और इसमें विकासशील देशों के छोटे मछुआरे कैसे षामिल हो सकते हैं; छोटे मछुआरों सहित विभिन्न अवधारणाओं का दायरा और परिभाषाएं और विश्व व्यापार संगठन की प्रबंधन भूमिका पर विश्व व्यापार संगठन के सदस्य राज्यों के बीच व्यापक मतभेद हैं।
स्वदेशी जागरण मंच ईईजेड में मछली पकड़ने के लिए 5 साल की सीमा के साथ 12 समुद्री मील के भीतर संचालित विकासशील देशों में कम आय, संसाधन-गरीब या आजीविका मछली पकड़ने या मछली पकड़ने से संबंधित गतिविधियों के लिए छूट के संबंध में विकसित देशों के सुझाव का कड़ा विरोध करता है। स्वदेशी जागरण मंच विश्व व्यापार संगठन में हमारी विशाल तटीय आबादी की आजीविका, हमारे छोटे मछुआरों और अन्य मछली पकड़ने की गतिविधियों में संलग्न लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए सरकार से आह्वान करता है।
Share This