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पाकिस्तान की आर्थिक हालत बदतर, इमरान अपनी जिद पर

अब चुनौती भारत की नहीं पाकिसतान की है कि वह इस नये माहौल को बनाये रखे और अपने तथा भारत के विकास के लिए मार्ग प्रशस्त कर सके। वैसे वहां जो भी भारत के समर्थन में बोलता है, ज्यादा दिन टिक नहीं पाता। देखें इमरान खान का हश्र क्या होता है। — विक्रम उपाध्याय

 

पाकिस्तान कैबिनेट ने भारत के साथ अपने व्यापार या बातचीत को दुबारा शुरू करने के फैसले को 24 घंटे से भी कम समय में रद्द कर दिया। पाकिस्तान के नये वित्तमंत्री ने खुद ही कहा था कि ईसीसी ने वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए कोटा के आधार पर 30 जून, 2021 तक भारत से सफेद चीनी और कपास के वाणिज्यिक आयात की अनुमति भूमि और समुद्री मार्गों से दी है। यह निर्णय समय और लागत प्रभावी होगा और घरेलू बाजारों में चीनी की कीमतों को स्थिर करेगा। प्रधानमंत्री इमरान खान, जो कि वाणिज्य और टेक्सटाइल के प्रभारी मंत्री भी हैं, वह भी पहले भारत से आयात पर प्रतिबंध हटाने के समर्थन में थे।

पाकिस्तान अपनी उस जिद पर वापिस आ गया हैं कि जब तक जम्मू कष्मीर में धारा 370 फिर से बहाल नहीं हो जाती और राज्य को विषेष दर्जा प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक भारत से कोई व्यापार या बातचीत नहीं करेगा। नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने 5 अगस्त 2019 को धारा 370 को समाप्त कर जम्मू कष्मीर और लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेषों में बदल दिया था। उसके बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ हर प्रकार के व्यवसायिक संबंध तोड़ दिये थे।  

पाकिस्तान यदि चीनी और कपास भारत से आयात करता तो उसे ही सहूलियत होती। चीनी के आयात से उपभोक्ता के लिए स्थिति को कुछ हद तक आसान होती और भारत से कपास खरीदने का उद्देष्य पाकिस्तान के कपास की फसल में कमी के कारन छोटे और मध्यम निर्यातकों की मदद करना था। कपड़ा निर्यात पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए कपास व्यापार दोनों देषों के व्यापारियों को लाभ पहुंचा सकता है। 

पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है। वहां आटा 75 रू. और चीनी 120 रू. किलो बिक रही है। पाकिस्तान में गेहूं और कपास की पैदावार भी काफी गिर गयी है, जिस कारण वहां खाने के लाले पड़े है और कपड़े के निर्यात में पाकिस्तान बुरी तरह से पिछड गया है।  भारत ही उसके लिये सबसे नजदीक और उपयुक्त देष है, जहां से वह अपनी आवाम को बचाने के लिये सहयोग प्राप्त कर सकता है।

पिछले दिनों पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने आगे बढ़कर यह बयान दिया कि पाकिस्तान पुरानी बातों को भूलकर आगे अच्छा संबंध स्थापित करना चाहता है। बैक चैनल डिप्लोमेसी के जरिये पाकिस्तान के हुक्ममरानों ने भारत सरकार के साथ वार्ता शुरू की और उसी का नतीजा रहा कि दोनों देषों के बीच पहले युद्व विराम की घोषणा हुई और उसके बाद औपचारिक पत्रों का आदान-प्रदान हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान दिवस पर वहां की जनता को बधाई दी और उनके साथ अच्छे संबंध स्थापित करने के संदेष भेजें। बदले में पाकिसतान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी पत्र भेजकर भारत के लोगों के साथ मधुर संबंध स्थापित करने की इच्छा जताई। 

यह हकीकत है कि पाकिस्तान में इमरान की सरकार जब से आयी है तब से उनकी आर्थिक हालत बद से बदत्तर होती जा रही है। पाकिस्तान पर इस समय 120 अरब डालर का विदेषी कर्जा है जो उसकी कुल जीडीपी का 87 प्रतिषत है। पाकिस्तान जितना राजस्व बसूलता है उसका 50 प्रतिषत से अधिक हिस्सा विदेषी कर्ज की ब्याज अदायगी में खर्च हो जाता है। उस पर से आईएमएफ का 6 अरब डालर का कर्जा उसके लिये मुसीबत बनता जा रहा है। आईएमएफ की शर्तों के कारण पाकिस्तान में हाहाकार मचा है। बिजली, गैस और आर्थिक सुविधाओं की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है। यहां तक कि पाकिस्तान अपनी जरूरतों के लिए पार्क ओर मैदान भी गिरवी रखने लगा है। 

अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने भी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी बजाते हुए कहा है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान देष में मुद्रास्फीति और बेरोजगारी बढ़ेगी।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर अंतरराष्ट्रीय मनी लेंडर की रिपोर्ट में यह कहा गया था। इसने कहा कि देष की विकास दर इस साल 1.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जबकि सरकार ने अपनी विकास दर 2.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।

पाकिस्तान में इमरान खान ने तीन-तीन वित्तमंत्री बदल दिये, लेकिन हालात में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा। अब पाकिस्तान स्टेट बैंक के प्रबंधन को भी आईएमएफ के हवाले करने जा रहा है। इस संबंध में अध्यादेष या बिल की तैयारी की जा रही है। उद्योगों को मिल रही कर छूट की सुविधा भी समाप्त कर दी गयी है और विदेषी कर्ज वापिस के लिये नये कर्ज पाकिस्तान को मिल नहीं रहा है। ऐसे में उसके सामने सिर्फ एक ही विकल्प था कि भारत के साथ संबंध सुधारे और बंद व्यापार को दोबारा चालू करे। यही कारण है कि कुछ समय के लिये ही सही पाकिस्तान सभी विवादित मुददों पर खामोषी ओढ़ने के लिये तैयार था।

पाकिस्तान में हमेषा भारत विरोधी अभियानों को हवा मिलती रही है। कभी पाकिस्तानी आर्मी की तरफ से, तो कभी वहां पल रहे आतंकवादी गुटों के समर्थन से। पहली बार ऐसा हुआ है कि पाकिस्तान की सरकार और आर्मी एक पेज पर है और दोनों अपने मुल्क को बचाने के लिये भारत से दोस्ती चाहते हैं। लष्कर-ए-तइबा के प्रमुख हाफिज सईद जेल में है। तो मौलाना अजहर मसूद अंडरग्राउंड। भारत फिलहाल इस स्थिति में है कि वह पाकिस्तान से अपनी शर्तों पर बातचीत कर सकता है।

अब चुनौती भारत की नहीं पाकिसतान की है कि वह इस नये माहौल को बनाये रखे और अपने तथा भारत के विकास के लिए मार्ग प्रषस्त कर सके। वैसे वहां जो भी भारत के समर्थन में बोलता है, ज्यादा दिन टिक नहीं पाता। देखें इमरान खान का हश्र क्या होता है। 

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है।)

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