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चंद्रयान-3 के वैज्ञानिक और आर्थिक पहलू

रुस, अमेरिका, चीन जापान तथा अन्य देशों ने भी समय-समय पर अपने मिशन भेजे हैं, परंतु चन्द्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने वाला भारतीय वैज्ञानिकों का सर्वप्रथम सफल मिशन है। - डॉ. धनपत राम अग्रवाल

 

भारत अंतरिक्ष अन्वेषण क्षेत्र में वर्ष 1969 से कार्यरत है। विक्रम साराभाई द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना की गई। भारत ने चाँद पर खोजबीन करने के लिए पहले भी कई बार प्रयास किये हैं। भारत ने चंद्रमा पर तीन मिशन भेजे हैं। 2008 में, भारत द्वारा “चंद्रयान-1“ नामक अंतरिक्ष यान चंद्रमा की परिक्रमा करने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष यान बना। 2019 में, भारत ने “चंद्रयान-2“ अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर उतारा, जो चंद्रमा पर उतरने वाला दूसरा भारतीय अंतरिक्ष यान बना। 23 अगस्त 2023 को भारत ने “चंद्रयान-3“ अंतरिक्ष यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला अंतरिक्ष यान बना। यह कीर्तिमान कार्य भारत के अंतरिक्ष अभियान का स्वर्णिम दिन कहलायेगा। भारत के वैज्ञानिकों ने ‘जय विज्ञान’ के संकल्प को पूरा किया है, जो आने वाले समय में भारत की वैज्ञानिक और आर्थिक प्रगति को एक समृद्धिशील राष्ट्र बनाने में सहायक होगा।

रुस, अमेरिका, चीन जापान तथा अन्य देशों ने भी समय-समय पर अपने मिशन भेजे हैं, परंतु चन्द्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने वाला भारतीय वैज्ञानिकों का सर्वप्रथम सफल मिशन है। इस मिशन से भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी, और इससे आर्थिक और वैज्ञानिक दोनों तरह से भारत को लाभ होगा।

सोवियत संघ ने चंद्रमा पर सबसे पहले मिशन भेजा था। 1959 में, सोवियत संघ ने “लूना 2“ नामक अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर भेजा, जो चंद्रमा पर पहुंचने वाला पहला मानव निर्मित वस्तु बना। 1966 में, सोवियत संघ ने “लूना 9“ नामक अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर उतारा, जो चंद्रमा पर उतरने वाला पहला मानव निर्मित यान बना। 1970 में, सोवियत संघ ने “लूना 16“ नामक अंतरिक्ष यान चंद्रमा से चट्टान के नमूने लेकर पृथ्वी पर लाया, जो चंद्रमा से नमूने लाने वाला पहला मानव निर्मित यान बना।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने चंद्रमा पर सबसे अधिक मिशन भेजे हैं। 1969 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने “अपोलो 11“ नामक मिशन के तहत मानव को चंद्रमा पर उतारा, जो चंद्रमा पर कदम रखने वाला पहला मानव बना। 1972 तक, संयुक्त राज्य अमेरिका ने “अपोलो 17“ नामक मिशन के तहत कुल 12 लोगों को चंद्रमा पर उतारा। 1972 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने “अपोलो 17“ नामक मिशन के तहत चंद्रमा से सबसे अधिक चट्टान के नमूने (382 किलोग्राम) लेकर पृथ्वी पर लाए।

चन्द्रयान-3 के आर्थिक पहलू

चंद्रयान-3 का आर्थिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण होगा। इस मिशन से भारत के अंतरिक्ष उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, और इससे नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इसके अलावा, इस मिशन से प्राप्त जानकारी और प्रौद्योगिकी का उपयोग अन्य क्षेत्रों में भी किया जा सकता है, जैसा कि नई दवाओं और सामग्री के विकास में।

चंद्रमा पर कीमती धातुओं की खोज के लिए कई देशों ने मिशन भेजे हैं। इन मिशनों से चंद्रमा पर कीमती धातुओं की उपस्थिति की पुष्टि भी की गई है। हालांकि, अभी तक इन धातुओं की मात्रा और गुणवत्ता के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं मिल पाई है।

चंद्रमा पर कीमती धातुओं की खोज का अर्थ है कि भविष्य में चंद्रमा पर खनन उद्योग का विकास हो सकता है। खनन उद्योग से चंद्रमा पर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, और यह चंद्रमा पर मानव की एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा पर पानी, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन, नाइट्रोजन, और सल्फर जैसे रसायनों की उपस्थिति हो सकती है। इन रसायनों का उपयोग भविष्य में चंद्रमा पर मानव गतिविधियों के लिए किया जा सकता है।

अंतरिक्ष अन्वेषण भी एक उद्योग की भाँति कई तरह के वैज्ञानिक अन्वेषण और उपयोग से संबंधित है। इसमें उपग्रह, अंतरिक्ष यान, रॉकेट, और अन्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के निर्माण, लांच, और संचालन से जुड़े सभी व्यवसाय शामिल हैं।

अंतरिक्ष उद्योग एक तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है। 2022 में, अंतरिक्ष उद्योग का मूल्य लगभग 464 अरब डॉलर था, और यह अनुमान है कि यह 2030 तक 1.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। अंतरिक्ष उद्योग के विकास के कई कारण हैं, जिनमें शामिल हैं -

प्रौद्योगिकी में प्रगति

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में प्रगति ने अंतरिक्ष अन्वेषण को अधिक किफायती और सुलभ बना दिया है। अंतरिक्ष अन्वेषण से जुड़े नए अवसरों का उदय हुआ है, जैसे कि उपग्रह प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष पर्यटन, और अंतरिक्ष खनन।

विश्व भर में बहुत सी अंतरिक्ष एजेंसियां आर्थिक दृष्टि से कार्यरत हैं क्योंकि संचार एवं सूचना तथा सांख्यिकी प्रोदयोगिकी का इससे सीधा संबंध है। जैसा कि नासा, इसरो, तथा अन्य सभी विकसित राष्ट्रों का अंतरिक्ष अभियान एवं अंतरिक्ष अन्वेषण उन देशों की कंपनियों से सेवा के बदले अच्छी रक़म का सौदा कर सकते हैं। 

इसी प्रकार उपग्रह प्रौद्योगिकी कंपनियां उपग्रहों और अन्य अंतरिक्ष उपकरणों का निर्माण और संचालन करती हैं। रॉकेट निर्माण कंपनियां रॉकेटों का निर्माण करती हैं जो अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में ले जाती हैं।

संचार कंपनियां अंतरिक्ष उपग्रहों का उपयोग करके संचार सेवाएं प्रदान करती हैं। अंतरिक्ष उद्योग वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह नई प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देता है, और यह रोजगार और आर्थिक विकास को उत्पन्न करता है।

भारत में, अंतरिक्ष उद्योग अभी भी एक अपेक्षाकृत नया क्षेत्र है, और इसे विकसित होने के लिए अधिक समय और निवेश की आवश्यकता है।

हालांकि, भारत में अंतरिक्ष उद्योग में तेजी से विकास हो रहा है। 2022 में, भारत ने 10 नए उपग्रहों को लॉन्च किया, जो पिछले साल की तुलना में दोगुना है। भारत ने चंद्रमा पर एक रोवर भी भेजा, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।

अमेरिका और चीन में, अंतरिक्ष उद्योग का हिस्सा कहीं अधिक है। 2022 में, अमेरिका के अंतरिक्ष उद्योग का कुल मूल्य लगभग 450 अरब डॉलर था, जो अमेरिका की जीडीपी का लगभग 1 प्रतिशत था। चीन के अंतरिक्ष उद्योग का कुल मूल्य लगभग 150 अरब डॉलर था, जो चीन की जीडीपी का लगभग 0.2 प्रतिशत था।

चन्द्रयान-3 के वैज्ञानिक पहलू

चंद्रयान-3 के वैज्ञानिक पहलू भी महत्वपूर्ण हैं। इस मिशन से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त होगी, जो पृथ्वी के जलवायु परिवर्तन के बारे में समझने में मददगार होगी। इसके अलावा, इस मिशन से चंद्रमा पर जल की उपस्थिति का पता लगाने का प्रयास किया जाएगा, जो भविष्य के मानव के स्थाई रूप से चंद्रमा पर अन्य अन्वेषण के लिए महत्वपूर्ण होगा। उदाहरण के लिए, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की उपस्थिति का पता लगाने से हमें पृथ्वी पर जल संसाधनों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, चंद्रमा पर जल के उपयोग के तरीके खोजने से हमें पृथ्वी पर जल संरक्षण में मदद मिल सकती है।

यह भारत के अंतरिक्ष उद्योग को बढ़ावा देता है। चंद्रयान-3 के निर्माण और विकास में भारतीय अंतरिक्ष उद्योग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चंद्रयान-3 की सफलता से भारतीय अंतरिक्ष उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, और यह भारत के आर्थिक विकास में योगदान देगा। चंद्रयान-3 और अन्य मिशनों ने भौतिकी और सामग्री विज्ञान के क्षेत्र में भी अनुसंधान को बढ़ावा दिया है। इन मिशनों ने अंतरिक्ष वातावरण और चंद्रमा की सतह पर भौतिक प्रक्रियाओं की बेहतर समझ के लिए अनुसंधान की आवश्यकता को बढ़ाया है। इसने नई सामग्री और प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रेरित किया है जो अंतरिक्ष के कठोर वातावरण में काम कर सकती हैं। मौसम की जानकारी हमारे कृषि क्षेत्र के लिये तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं से हमारी रक्षा करती हैं। चंद्रयान-3 से विकसित प्रौद्योगिकियों का उपयोग चिकित्सा अनुसंधान और उपचार में किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की उपस्थिति की पुष्टि की, जो चिकित्सा अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण खोज है। यह पानी का उपयोग दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन के लिए किया जा सकता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा में वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग और अंतरिक्ष अभियानः अंतरिक्ष यान और उपग्रहों का उपयोग बाहरी खतरों की पहचान करने के लिए किया जा सकता है। ये उपकरणों का उपयोग अंतरिक्ष में सैन्य गतिविधियों, अंतरिक्ष मलबे, और अन्य सुरक्षा खतरों की निगरानी करने के लिए किया जा सकता है।

अंतरिक्ष अन्वेषण से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा मिल सकता है। अंतरिक्ष एजेंसियां एक साथ काम कर सकती हैं ताकि सुरक्षा खतरों की पहचान और जवाब देने में मदद मिल सके।

अंतरिक्ष अनुसंधान से नई सुरक्षा प्रौद्योगिकियों और तकनीकों का विकास हो सकता है। इन प्रौद्योगिकियों और तकनीकों का उपयोग अंतरिक्ष में सुरक्षा बलों को अधिक कुशल और प्रभावी बनाने के लिए किया जा सकता है।

भारत सरकार अंतरिक्ष अन्वेषण को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में देखती है। भारत सरकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों और तकनीकों का उपयोग सुरक्षा बलों को अधिक कुशल और प्रभावी बनाने के लिए कर रही है।

उदाहरण के लिए, भारत सरकार अंतरिक्ष सेंसर का उपयोग सीमा क्षेत्रों की निगरानी करने के लिए कर रही है। इन सेंसरों का उपयोग घुसपैठियों और अवैध गतिविधियों की पहचान करने के लिए किया जा रहा है। भारत सरकार अंतरिक्ष आधारित संचार प्रौद्योगिकियों का उपयोग सुरक्षा बलों को एक-दूसरे के साथ संवाद करने और समन्वयित करने के लिए भी कर रही है।

भारत सरकार अंतरिक्ष अन्वेषण को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में देखती रहेगी। अंतरिक्ष अन्वेषण से भारत को सुरक्षा खतरों को पहचानने, जवाब देने, और रोकने में मदद मिलेगी। इसरो ने अन्य देशों के उपग्रहों का प्रक्षेपण आरम्भ कर दिया है और सारा विश्व अब भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण तथा तकनीक में भारत के वैज्ञानिकों की मेधा की बहुत प्रशंसात्मक और विश्वसनीयता को मान्यता प्रदान करता है। अब तक 30 से ज़्यादा देशों को इसरो ने सेवा प्रदान की है और हाल ही में एक साथ 104 उपग्रह छोड़े जिसकी सारे विश्व में भूरी-भूरी प्रशंसा हुई।

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