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स्वच्छ जल के लिए सरकार ने खोला खजाना

वर्तमान परिस्थितियों में देश के अधिकांश भाग में पेयजल ही नहीं सामान्य जल की भी पर्याप्त कमी है, जिसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना प्रमुख दायित्व है। — दिनेश प्रसाद मिश्रा

 

वित्तमंत्री ने बजट प्रस्तुत करते हुए वर्ष 2021-22 के लिए जल जीवन मिषन के लिए 50,000 करोड रुपए आवंटित किए हैं, जिसके अंतर्गत 2.86 करोड़ घरों में नल से जल पहुंचाने के उद्देष्य से अर्बन जल जीवन की शुरुआत की जाएगी। वर्ष 2020-21 के बजट के माध्यम से जल जीवन मिषन की योजना के अंतर्गत ग्रामीण इलाकों में हर घर तक नल से जल पहुंचाने की योजना को और व्यापक स्वरूप प्रदान करते हुए अर्बन जल जीवन मिषन अर्थात शहरी ग्रामीण जल योजना प्रभावी की गई है जिसके  अंतर्गत शहरी इलाकों में भी प्रत्येक घर को पाइप लाइन से जोड़कर नल कनेक्षन प्रदान करते हुए पानी उपलब्ध कराना सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस योजना के अंतर्गत हर घर तक पानी पहुंचाने के साथ ही साथ तरल अपषिष्ट पदार्थों के मैनेजमेंट साथ ही भूगर्भ के जल स्तर को बढ़ाने जल संरक्षण एवं संवर्धन को दिषा देने का कार्य भी प्राथमिकता के साथ किया जाएगा।

अर्बन जल जीवन मिषन का लक्ष्य सभी 4378 अर्बन लोकल बॉडीज में घर घर नल से जल पहुंचाना सुनिष्चित करना है। इस योजना हेतु बजट में पांच सालों में 2.87 लाख करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है, जिसके माध्यम से वर्ष 2024 तक देष के प्रत्येक घर में नल से जल पहुंचाना सुनिष्चित करना तथा 500 शहरों में तरल अपषिष्ट प्रबंधन (लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट) उपलब्ध कराना है। गत वर्ष इस संबंध में 11500 करोड रुपए की व्यवस्था की गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन आम आदमी के जीवन को  बेहतर बनाने हेतु निरंतर स्वच्छ जल, साफ सफाई और साफ पर्यावरण पर जोर दे रहा है। इसी उद्देष्य को दृष्टि में रखकर वर्ष 2021 के बजट में जल जीवन मिषन अर्बन को प्रारंभ करने की व्यवस्था की गई है। बजट में जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडब्ल्यूएस) को 60030 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं, जबकि 9022.57 करोड रुपए जल संसाधन विभाग ,नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार विभाग के लिए प्रदान किए गए हैं। पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडब्ल्यूएस) के बजट आवंटन में 3 गुना अधिक की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2019-2020 में डीडब्ल्यूएस को 18264.26 करोड रुपए आवंटित किए गए थे, जबकि 2020-21 में 17023.50 करोड रुपए और आगामी वित्त वर्ष में इसके लिए 60030 करोड़ों रुपए निर्धारित किए गए हैं। इस महत्वाकांक्षी योजना को 287000 करोड रुपए के साथ 5 वर्षों में पूर्ण किया जाना है।

वस्तुतः अर्बन जल जीवन मिषन मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2019 में प्रारंभ की गई जल जीवन मिषन को आगे बढ़ाने वाली योजना है। वर्ष 2020-21 में उसकी उस योजना को बढ़ाकर शहरों को भी उस से जोड़ दिया गया है, जिसमें 4378 शहरों में पीने के पानी की सप्लाई नल के माध्यम से सुनिष्चित की जाएगी तथा 500 शहरों में तरल अपषिष्ट को व्यवस्थित करने हेतु  विषिष्ट प्रबंधन की भी व्यवस्था की जाएगी। अब इस योजना का लक्ष्य गांव के प्रत्येक घर तक नल के माध्यम से पानी पहुंचाने के साथ-साथ शहरों के प्रत्येक घर को भी नल के माध्यम से पानी पहुंचाना है।

जल जीवन मिषन प्रधानमंत्री की अति महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके अंतर्गत देष से पेयजल की समस्या के साथ ही साथ वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण और घरेलू अपषिष्ट जल प्रबंधन हेतु बुनियादी ढांचे के निर्माण पर भी जोर देते हुए पानी की समस्त समस्याओं का समाधान प्राप्त करने का कार्य किया जा रहा है, जिसके लिए मनरेगा की ही भांति स्थानीय तथा प्रवासी समस्त श्रमिकों को कार्य उपलब्ध कराया जा रहा है।, वर्ष 2019 में शुरू किए गए जल जीवन मिषन के द्वारा अब तक 2 करोड़ 60 लाख से अधिक घरों को नल के माध्यम से जल पहुंचाने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इस योजना के अंतर्गत घर घर नल से जल पहुंचाने में गोवा राज्य सभी ग्रामीण परिवारों को नल जल प्रदान करने वाला पहला राज्य बन गया है। मिषन डैषबोर्ड पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार तेलंगाना राज्य में ग्रामीण घरों में 38 लाख घरों में नल के माध्यम से जल पहुंचाने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है, जो ग्रामीण घरों का अधिकतम अनुपात 69.56 प्रतिषत है। ग्रामीण परिवारों को नल से जल पहुंचाने की योजना में बिहार में अब तक 54.38 प्रतिषत, मिजोरम में 23.19 प्रतिषत, हरियाणा में 21.12 प्रतिषत, मणिपुर में 20.78 प्रतिषत, हिमाचल प्रदेष में 

19.99 प्रतिषत, महाराष्ट्र में 15.4 प्रतिषत, उत्तराखंड में 14.97 प्रतिषत और जम्मू कष्मीर में 14.94 प्रतिषत घरों में नल से जल पहुंचाने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। देष में पष्चिम बंगाल में सबसे कम मात्र 1.44 प्रतिषत ही अब तक किया जा सका है।

उत्तर प्रदेष में जल जीवन मिषन को प्रभावी करने हेतु 4 चरणों में कार्य को विभाजित कर संपन्न किया जा रहा है। प्रथम चरण में बुंदेलखंड के 7 जिलों झांसी महोबा ललितपुर जालौन हमीरपुर बांदा और चित्रकूट के कुल 4513 राजस्व ग्रामों में से 891 ग्रामों में जल घर घर नल योजना के अंतर्गत पहुंचाया जा रहा है। शेष 3622 ग्रामों को घर घर नल से जल पहुंचाने का कार्य 479 योजनाओं के माध्यम से पूर्ण किया जा रहा है। इससे लगभग 67 लाख की आबादी लाभान्वित होगी। दूसरे चरण में विंध्य क्षेत्र के मिर्जापुर और सोनभद्र  तथा वाराणसी में प्रधानमंत्री जी द्वारा योजना की आधारषिला रखने के साथ ही कार्य प्रारंभ किया जा चुका है। तीसरे चरण में जापानी बुखार और इंसेफलाइटिस से प्रभावित क्षेत्रों को योजना से जोड़ा जाएगा। चौथे चरण में आर्सैनिक व फ्लोराइड से प्रभावित गंगा यमुना के तटवर्ती क्षेत्रों में काम शुरू होगा। इस मिषन के अंतर्गत मेंटेनेंस का कार्य अगले 10 वर्षों तक कार्यदाई संस्था ही करेगी।

आज देष के बड़े भूभाग में निरंतर जल संकट उत्पन्न होने, भूगर्भ जलस्तर के नीचे जाने तथा जल स्रोतों के निरंतर नष्ट होते जाने के कारण जल की उपलब्धता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है। इन्हीं सब तथ्यों को दृष्टि में रखकर वित्तमंत्री सीतारमण ने बजट पेष करते हुए कहा था- ‘भारत में पानी की सुरक्षा और सभी भारतीयों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है और इस दिषा में सरकार का एक बड़ा कदम जल शक्ति मंत्रालय का गठन है’। जल जीवन मिषन के तहत 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में हर घर जल नल के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा और जल शक्ति मंत्रालय राज्यों के साथ मिलकर इस कार्य को अंजाम देगा। अभी देष के 18 प्रतिषत ग्रामीण घरों में ही जल की आपूर्ति नल के माध्यम से होती है शेष सभी 85 प्रतिषत घरों में नल से जल की आपूर्ति आगामी 5 वर्षों में पूर्ण की जानी है। जल जीवन मिषन को पूर्णता प्रदान करने हेतु इजराइल और भारतीय अधिकारियों की एक बैठक नीति आयोग के साथ हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि इजराइल में पाइप लाइन के जरिए लोगों को पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। इजराइल से प्राप्त सूचना एवं तकनीकी का प्रयोग कर उपलब्ध जल को पाइप लाइन के माध्यम से घर घर पहुंचाने में सफलता प्राप्त की जा सकती है आज भारत में भूजल का 4 प्रतिषत पानी पेयजल के रूप में तथा 80 प्रतिषत पानी खेती की सिंचाई में इस्तेमाल हो रहा है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय जनसंख्या में से लगभग 60 करोड़ भारतीय गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। स्वच्छ पेयजल नहीं मिलने से देष में हर साल 2 लाख लोगों की मौत हो जाती है। अनुमान है कि 2030 तक देष में पानी की मांग आज से लगभग दोगुनी हो जाएगी और यदि इसे पूरा नहीं किया गया तो इससे जीडीपी में 6प्रतिषत तक की गिरावट भी आ सकती है। देष में वर्ष 1951 में प्रति व्यक्ति भूजल की उपलब्धता 14180 लीटर प्रतिदिन थी, जो 1991 में 6030 लीटर, 2001 में 5120 लीटर, 2020 में 3670 लीटर और 2050 में 3120 लीटर रह जाएगी। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देष में प्रति व्यक्ति उपलब्ध जल की मात्रा वर्ष 2001 में 1844 क्यूबिक मीटर थी जो 2011 में 1544 क्यूबिक मीटर हो गई है। यह 2050 तक आते-आते प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 1140 क्यूबिक मीटर रह जाने का अनुमान है। अंतरराष्ट्रीय पैमाने के अनुसार जिस क्षेत्र में जल की उपलब्धता प्रति व्यक्ति 1000 क्यूबिक मीटर से नीचे आ जाती है तो वह क्षेत्र जल उपलब्धता की दृष्टि से संकटग्रस्त क्षेत्र माना जाता है। 

यद्यपि जल जीवन मिषन के अंतर्गत नलों के माध्यम से घर-घर जल पहुंचाने की योजना बनाते हुए तरल अपषिष्ट पदार्थों के प्रबंधन के साथ-साथ भूगर्भ जलस्तर संवर्धन एवं जल संवर्धन तथा संरक्षण को महत्व दिया जा रहा है, किंतु योजना की सफलता तभी संभव है जब आवष्यकतानुसार प्रत्येक क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में पेयजल की उपलब्धता सुनिष्चित हो। वर्तमान परिस्थितियों में देष के अधिकांष भाग में पेयजल ही नहीं सामान्य जल की भी पर्याप्त कमी है, जिस की उपलब्धता सुनिष्चित करना प्रमुख दायित्व है।

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