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‘‘महर्षि अरविंदः स्वतंत्रता और अध्यात्मिकता’’

अरविंदो का दर्षन इस देष की युवा आबादी के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है। आज उनके जन्मषती पर उनके इस दर्षन और ज्ञान को अपने जीवन में उतारकर हम अरविंद के योगदान को याद कर सकते हैं। — अभिषेक प्रताप सिंह

 

श्री अरविंद के दर्षन, जीवन आध्यात्मिक ज्ञान और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका को ध्यान में रखते हुए बहुत से चिंतक और विद्वान उनके व्यक्तित्व के प्रति आकर्षित रहे हैं। उनकी दो प्रमुख रचनाओं में ’सावित्री’ और ’द लाइफ डिवाइन’ प्रमुख है, जिनकी लोकप्रियता और स्वीकार्यता व्यापक है। अपनी दार्षनिक काव्य शैली और ज्ञान मीमांसा के कारण यह दोनों ही रचनाएं और उनकी स्वीकार्यता बौद्धिक जगत में बहुत ही व्यापक है। 

अगर हम ध्यानपूर्वक देखें तो अरविंद के दर्षन का मूल भाव ’दैनिक जीवन में आध्यात्म की भूमिका’ पर केंद्रित है। अब जब सारा देष आजादी का अमृत उत्सव बना रहा है, तब 15 अगस्त, 2021 का दिन श्री अरविंद का जन्मषती वर्ष भी है। इसलिए भौतिकवादी, उपभोक्तावादी और समाज में बढ़ते एकाकीपन और अलगाव के इस दौर में यह अति आवष्यक हो जाता है कि हम श्री अरविंद जैसे महापुरुषों के आध्यात्मिक ज्ञान को समझें और अपने जीवन में उसकी उपयोगिता और सार्थकता को स्वीकारें।

यह विषय किसी व्यक्ति से समुदाय से नहीं बल्कि ’सामाजिक शुद्धिकरण और प्रगति’ से सरोकार रखते हैं। आज हमारे देष में ऐसी भी विचारधारा है जो आध्यात्मिकता जैसे प्रष्नों को पुरातन पंथी, एकाकीपन और समाजिक मोह से स्वतंत्र होकर रहने और जीवन जीने से देखकर जुड़ती है, परंतु यदि हम अरविंद के दर्षन और उसके आधार को गंभीरतापूर्वक देखें, तो अध्यात्म का इससे कोई लेना-देना ही नहीं है। उनके अनुसार अध्यात्म का मतलब कोई व्रत रखने किसी परंपरा धार्मिक अनुष्ठान रीति रिवाज से न होकर मनुष्य की अपनी जीवन यात्रा और उसके जीवन लक्ष्य से संबंधित है। सही मायनों में अध्यात्म मनुष्य को जीवन में स्वतंत्रता चिंतन और ज्ञान के परिणामस्वरूप सही निर्णय लेने और ’मनसा वाचा कर्मणा’ की मूल दर्षन से प्रेरित होकर एक सार्थक जीवन जीने के लक्ष्य की ओर अग्रसर करता है। 

अरविंद इस जीवन यात्रा को ’षांत तीर्थ यात्रा’ मानते हैं जिसमें हमारे जीवन में किए गए सभी कार्य, घटनाएं, अनुभव, संघर्ष ही हमें अंततोगत्वा पूर्ण सत्य का बोध कराते हैं। अपनी रचना ’सावित्री’ में वह कहते हैं कि जीवन का मर्म अपने अंदर की प्रेम और एकात्मकता को पहचानना है, जिसका आधार “तत् त्वम् असि“ का विचार है जो हमारे वेद चिंतन मे निहित है। यह एक सत्य है कि सभी प्राणी एक सार्वभौमिक ऊर्जा या शक्ति से घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं और उन्हें उस पूर्व शक्ति से अलग नहीं किया जा सकता। हमारा जीवन उसी एकात्मता का बोध करना है परंतु यह बोध एकाकीपन क्या सामाजिक अलगाव में नहीं बल्कि हमारे जीवन संघर्ष और उसके अनुभव द्वारा ही संपन्न होगा। अरविंद की महानता इसमें है उन्होंने आध्यात्मिकता को एकाकीपन की बजाए जीवन शैली से जोड़कर देखा जो आज के समय में बहुत ही महत्वपूर्ण है।

सिर्फ आध्यात्मिकता ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में भी अरविंद का योगदान महत्वपूर्ण है। भारत भूमि के जन जागरण के लिए युवाओं का आवाहन करते हुए उन्होंने अपने लेखां, भाषणों और यात्राओं में युवाओं को प्रेरित किया। उनका मानना था कि राष्ट्र जागरण का यह यज्ञ युवाओं की आहुति के बिना संपूर्ण नहीं होगा ’पूर्ण स्वराज’ के लक्ष्य को आवष्यक बताते हुए उन्होंने ’पैसिव रेजिस्टेंस’ की अवधारणा का भी समर्थन किया। स्वदेषी और स्वराज के लक्ष्य को रेखांकित करते हुए उन्होंने इसकी उपयोगिता और इसके द्वारा अंग्रेजों को होने वाले आर्थिक नुकसान की ओर इषारा किया जिससे कि औपनिवेषिक शासन की भारत में कमर टूट जाएगी। बाद में अपने जीवनकाल में स्वता आध्यात्मिक बोध के द्वारा अरविंद ने राष्ट्र के साथ-साथ व्यक्ति के जीवन की स्वतंत्रता के लक्ष्य को भी रेखांकित किया। उनके अनुसार व्यक्ति की स्वतंत्रता में ही राष्ट्र की स्वतंत्रता निहित है परंतु वह स्वतंत्रता और उसका बोध करना भी आवष्यक है।

उन्होंने यह कहा कि आने वाले समय में एक महात्मा का उदय होगा जो इस देष को पूर्ण स्वराज की ओर ले जाएगा। संभवत उनकी आध्यात्मिक दूर दृष्टि का ही परिणाम था कि वह गांधी के आगमन को अपने समय काल में ही देख पा रहे थे।

अरविंद की आध्यात्मिकता एक प्रगतिषील विचार है जो मनुष्य के चरित्र और जीवन शैली को नैतिकता, कर्त्तव्य, मौलिकता, समर्पण, सद्द्भव और त्याग जैसे मूल्यों द्वारा निर्मित करने पर बल देती है। उनकी आध्यात्मिकता प्रत्येक व्यक्ति के मानव चरित्र को पूर्णता में बदलकर समाज, राष्ट्र और विश्व की शांति और कल्याण के लिए प्रेरित करने में थी। 

अभी पिछले दिनों जब हमने अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस मनाया और जब हम आजादी का महोत्सव मना रहे हैं, ऐसे समय में अरविंदो का दर्षन इस देष की युवा आबादी के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है। आज उनके जन्मषती पर उनके इस दर्षन और ज्ञान को अपने जीवन में उतारकर हम अरविंद के योगदान को याद कर सकते हैं। 

(द्वारा डॉ अभिषेक प्रताप सिंह) लेखक देषबंधु कॉलेज डीयू में सहायक अध्यापक हैं।

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