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क्रिप्टोकरेंसी का भ्रमजाल अर्थव्यवस्था के लिए जंजाल

क्रिप्टोकरेंसी हर लिहाज से भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत हानिकारक है और यह अर्थव्यवस्था और हमारी मुद्रा रुपया को कमजोर करेगा। भारत अपनी नियमित डिजिटल करेंसी द्वारा विश्व में ब्लॉकचैन की आधुनिक टेक्नोलोजी अर्थव्यवस्था के माध्यम से प्रगति करेगा और चुनौतियों का सामना करेगा। — विनोद जौहरी

 

पिछले एक वर्ष से क्रिप्टोकरेंसी ने न केवल भारत में बल्कि विश्व में चीन, अमेरिका, यूरोप, रूस और अन्य देशों की अर्थव्यवस्था पर बहुत प्रतिकूल असर दिखाना शुरू कर दिया है। वैसे तो क्रिप्टोकरेंसी 2009 में सतोषी नकमोटो नाम के छद्म व्यक्ति द्वारा ब्लॉक चैन टेक्नोलोजी आधारित कम्प्युटर प्रोग्राम के रूप में अदृश्य वर्चुअल मुद्रा के रूप में विकसित हो गई थी जो सभी नियमों, क़ानूनों, अधिनियमों, बैंकों के नियंत्रण से बाहर थी लेकिन यह बहुत जटिल कम्प्युटर टेक्नोलोजी की प्रोसेसिंग के कारण और सम्पूर्ण विश्व में कम्प्युटर क्रांति के विस्तार के कारण किसी देश के नियंत्रण में नहीं थी। 

किसी देश में अपनी सरकारी मुद्रा के अलावा ऐसी अदृश्य वर्चुअल मुद्रा के लिए कोई नियम कानून, नीति और रणनीति नहीं थी जिस के कारण क्रिप्टोकरेंसी पैर पसारती चली गई और लगभग पिछले चार सालों में अदृश्य वर्चुअल मुद्राएं 400 से 1500 पहुँच गईं। क्रिप्टोकरेंसी एक्स्चेंज और डीलर इतने अतिविश्वासी हो गए कि विश्व में ब्लोक्चेन टेक्नोलोजी को रोक सकना असंभव है, इसलिए क्रिप्टोकरेंसी पर कोई देश सफलतापूर्वक पाबंदी नहीं लगा सकता। शुरू में सभी क्रिप्टोकरेंसी एक्स्चेंज चीन में स्थित थे लेकिन चीन सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों पर बहुत कठोर कदम उठाए और इनका कारोबार बंद हो गया। चीन ने सभी क्रिप्टोकरेंसी ट्रान्सजेक्शंस पर रोक लगा दी। उसके बाद इन क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों ने भारत, अमेरिका और कर मुक्त (टैक्स हैवन) देशों का रुख किया जहां क्रिप्टोकरेंसी के कोई स्पष्ट नियमन नहीं थे। 

प्रत्येक देश की अपनी अलग परिस्थितियाँ, समस्याएँ, विवशताएँ, निर्भरताएं, समाज-अर्थव्यवस्था-संविधान की संरचनाएं और टेक्नोलोजी की सीमाएं हैं, इसलिए अन्य देशों का क्रिप्टोकरेंसी के प्रति क्या नियमन है, इसका हमारी अर्थव्यवस्था पर कोई दवाब और प्रभाव नहीं है। हमारे देश को 135 करोड़ भारतवासियों, उभरती अर्थव्यवस्था, मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया, मेक फॉर वर्ल्ड, विश्व में सबसे तेजी से बढ़ते स्टार्ट अप इकोसिस्टम, 2025 तक $5 ट्रिलियन इकॉनमी, शून्य बीपीएल और सबको रोजगार जैसे लक्ष्य प्राप्त करने हैं। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से मनी लांडरिंग जैसे आर्थिक अपराधों से हमारा रुपया विदेशों में न चला जाए और हमारी राष्ट्रीय आय और सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि अवरोधित न हो। यह भी सुनिश्चित करना है कि क्रिप्टोकरेंसी के रूप में हमारे देश के विरुद्ध कोई षड्यंत्र तो नहीं है। 

क्रिप्टोकरेंसी के आकड़ों का कुछ विश्वासपरक मानदंड नहीं है और किसी सरकार के पास कोई डाटा नहीं है। डर, अनिश्चितता और संदेह क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के आधारभूत दोष हैं। फिर भी निवेशकों की संख्या करोड़ों में और निवेश लगभग $3 ट्रिलियन बता रहे हैं। भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक्स्चेंज वज़ीर एक्स, कोइन्स्विच, कोइन डीसीएक्स, फ्लीटपे, जेबपे, आईएएमएएल, बीएसीसी और अन्य के एक विज्ञापन के अनुसार भारत के 2 करोड़ निवेशकों ने रु 6 लाख करोड़ का निवेश किया है। वर्ष 2018 में भारतीय बेंकों ने क्रिप्टोकरेंसी के ट्रांजेक्शन पर रोक लगा दी थी लेकिन 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने रोक हटा दी। पिछले एक वर्ष से सभी अखबारों में क्रिप्टोकरेंसी के लुभावने और भ्रामक विज्ञापन और समाचार छपने लगे जिन में क्रिप्टोकरेंसी निवेश में निवेशकों को बेहिसाब लाभ 30 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक का लालच, सुविधाजनक ट्रैंज़ैक्शन, निवेशकों का बड़ा आधार आदि आकर्षण दिखाये गए। एक समाचार के अनुसार भारत में 

10.5 करोड़ निवेशक बताए जिनमें से 20 प्रतिशत 18-20 वर्ष की आयु के बताए गए। बिटकोइन की कीमत 66000 डालर से बढ़कर 1 लाख डालर तक पहुँचने का अनुमान बताया। कई अन्य करेंसियों “बाइ यू कोइन, ईथेरेयम, ट्रोन, दोगे, शिबू इनू, सोलना” आदि में भी भारी वृद्धि का अनुमान लगाया गया। इकनॉमिक टाइम्स के समाचारों ने थोड़े दिनों में ही क्रिप्टोकरेंसी के निवेश को 2 से 5 गुना बढ़ने का अनुमान लगाया। भारत में युवा वर्ग में निवेशकों में पाँच गुना वृद्धि बताई गई। 3 नवम्बर 2021 को प्रकाशित समाचार में अमेरिका की सबसे बड़ी कोइनबेस ग्लोबल इंक. ने “अगारा” नामक भारत स्थित आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस कंपनी का प्लेटफॉर्म खरीदने के समाचार आए। क्रिप्टोकरेंसी के ब्लॉक चेन एंड क्रिप्टो असेट्स काउंसिल ने यह नाटक भी शुरू किया कि अपने विज्ञापनों में वह सेल्फ रेग्युलेशन करेंगे परंतु ऐसा कुछ हुआ भी नहीं और होना संभव भी नहीं था क्योंकि जिनका स्वयं का निहितार्थ हो वह कहाँ तक सेल्फ रेग्युलेशन कर सकेंगे। इन समाचारों के साथ साथ यह भी भ्रम फैलाया गया कि  क्रिप्टोकरेंसी को आयकर विवरणी (आईटीआर) में घोषित करने का निर्णय लिया गया है, सरकार क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता दे सकती है और सरकार बिटकोइन पर जीएसटी और आयकर लगाने की तैयारी में है। बीच-बीच में विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में गिरावट भी दर्ज़ की गई। 10 सितंबर 2021 के समाचारों में 13 प्रतिशत से 18 प्रतिशत तक की गिरावट आई। क्रिप्टोकरेंसी एंड रेग्युलेशन ऑफ ओफिशियल डिजिटल करेंसी बिल के संसद में रखते ही बिटकोइन के रेट में 20 प्रतिशत की गिरावट आई और कई अन्य स्वीच्कोइन कुबेर आदि में भारी गिरावट दर्ज़ की गई। एक और करेंसी “स्कूइड पेपर” की यूएस 3000 डालर की कीमत मिनटों में शून्य हो गई।  

क्रिप्टोकरेंसी ने भारत में युवा निवेशकों को प्रभावित करने के उद्देश्य से  दुबई में क्रिकेट टी-20 विश्व कप में “कोइन डीसीएक्स” ने विज्ञापनों में 50 करोड़ डालर खर्च किया जिसमें प्रत्येक मैच में 51 बार विज्ञापन दिखाना था और पूरे टूर्नामेंट में कुल 10 घंटे का टाइम स्लॉट था।  

रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री शक्ति कान्त दास ने क्रिप्टोकरेंसी के कारण देश की आर्थिक अस्थिरता की आशंका व्यक्त की है। इकनॉमिक टाइम्स के हवाले से रिजर्व बैंक के अनुसार सितंबर 2021 में 2 बिलियन डालर (लगभग रु. 14500 करोड़) भारत से विदेशों में ट्रान्सफर हो गए जिनमें क्रिप्टोकरेंसी मुख्य कारण था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की रिपोर्ट के अनुसार केवल पिछले वर्ष (2020-21) में क्रिप्टोकरेंसी द्वारा रु. 4000 करोड़ की मनी लौंडेरिंग का आर्थिक अपराध हुआ। इसके पश्चात 13 नवंबर 2021 को भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी पर गंभीर विचार विमर्श किया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी के भ्रामक विज्ञापनों का संज्ञान लिया और मनी लौंडेरिंग के खतरों से भी निवेशकों को आगाह किया। इसके बाद इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (प्।ड।प्) के निर्णय के बाद  क्रिप्टोकरेंसी के विज्ञापन बंद हो गए। भारत सरकार ने पहले ही संसद में “क्रिप्टोकरेंसी एंड रेग्युलेशन ऑफ ओफिशियल डिजिटल करेंसी बिल” पटल पर प्रस्तुत कर दिया है जो भारत की सरकारी डिजिटल करेंसी के नियमन से संबंधित है।   

18 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सिडनी डाइलोग के वैश्विक सम्मेलन में विश्व के सभी देशों को क्रिप्टोकरेंसी के खतरों से आगाह किया और चेतावनी दी कि क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से निवेश गलत हाथों में न पड़ जाएँ, हमारी युवा शक्ति तबाह न हो जाए और यह निवेश मनी लौंडेरिंग तथा आतंकी फंडिंग के लिए इस्तेमाल न हो जाए। उन्होने विश्व को इस बात से भी आगाह किया कि लोकतन्त्र की उदारवादी व्यवस्था पर इन क्रिप्टोकरेंसी का दुरुपयोग न हो। उन्होने कहा कि भारत डिजिटल और साइबर टेक्नोलोजी के क्षेत्र में बहुत अग्रणी है और डिजिटल तकनीक का प्रशासन, जनता को लाभान्वित करने, स्टार्टअप इकोसिस्टम को प्रगति देने के क्षेत्र में प्रयोग हो रहा है। 19 नवंबर 2021 को जारी बयान में अमेरिका के राष्ट्रपति पद की पूर्व उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने भी विश्व को क्रिप्टोकरेंसी के वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता का कारक बताया और कहा कि क्रिप्टोकरेंसी यूएस डॉलर को कमजोर करेगा और देशों को अस्थिर करेगा। भारत का फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफ़एटीएफ़) जो 39 देशों का समूह है और विश्व में मनी लौंडेरिंग और आतंकी वित्त पोषण (टेरर फाइनन्सिंग) की मौनिटरिंग करता है, की शर्तों को भी मानने की बाध्यता है।  

पिछले एक माह में भारत में क्रिप्टोकरेंसी के परिपेक्ष्य में घटनाक्रम तेजी से बदला है। भारत सरकार के निर्णायक फैसले से निश्चित रूप से क्रिप्टो बाज़ार के कदम रुके हैं। अगले संसद सत्र में इस संबंध में “क्रिप्टोकरेंसी एंड रेग्युलेशन ऑफ ओफिशियल डिजिटल करेंसी बिल” पर प्रगति हो सकती है। फिर भी क्रिप्टोकरेंसी के कुप्रभाव के आधारभूत तथ्य जानना आवश्यक हैं। 

1.    क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती मांग के कारण से निवेश के कारण हमारा पैसा विदेशों में जाएगा। इससे फ़ॉरेन एक्स्चेंज मार्केट पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। 

2.    क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती मांग के कारण से क्रिप्टो संपत्तियों में परिवर्तित होने लगेगी और इसके कारण मुद्रा बाज़ार में असंतुलन होगा और रुपया कमजोर होगा। घरेलू बचत घटेगी और सकल घरेलू उत्पाद क्षीण होगा। 

3.    क्रिप्टोकरेंसी बाज़ार के  अनिश्चित बाज़ार में निवेशकों के पैसा डूबने पर कोई भरपाई का तो सवाल ही नहीं बल्कि किसी कानूनी प्रक्रिया का भी सहारा नहीं लिया जा सकता। 

4.    क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किसके हाथों में जाएगा, इसकी जानकारी नहीं हो सकेगी। इससे आतंकी फंडिंग को बड़ावा मिलेगा। 

5.    कम्प्युटर में किसी भी तकनीकी गड़बड़ी या क्रैश होने से क्रिप्टो निवेश डूब सकता है।  

इसलिए क्रिप्टोकरेंसी हर लिहाज से भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत हानिकारक है और यह अर्थव्यवस्था और हमारी मुद्रा रुपया को कमजोर करेगा। भारत अपनी नियमित डिजिटल करेंसी द्वारा विश्व में ब्लॉकचैन की आधुनिक टेक्नोलोजी अर्थव्यवस्था के माध्यम से प्रगति करेगा और चुनौतियों का सामना करेगा।        

लेखक-सहविचार विभाग प्रमुख, स्वदेशी जागरण मंच, दिल्ली प्रांत

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