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वैश्विक उथल-पुथल, मंहगाई और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आगे की चुनौतियाँ (Resolution-2, NCM, Nagpur, 4-5 June 2022)

रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न भू-राजनीतिक तनाव और पूर्ववर्ती कोविड संकट के साथ आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण पूरी दुनिया विकास में धीमेपन और उच्च मुद्रास्फीति के गंभीर दर्द से गुजर रही है। कच्चे तेल सहित लगभग सभी खाद्यान्न और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं क्योंकि रूस और यूक्रेन द्वारा एक साथ गेहूं, धातु और ईंधन की आपूर्ति की जा रही थी। आर्थिक प्रतिबंधों ने आग में घी का काम किया है। अधिकांश राष्ट्र उच्च मुद्रास्फीति की समस्या का सामना कर रहे हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी और जापान सहित और बहुत से देशों में लगभग 8-9 प्रतिशत है। दुनिया के प्रायः सभी केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को बढ़ाने के लिए विवश हैं, जिसका वित्तीय प्रवाह पर व्यापक प्रभाव पड़ता है और दुनिया भर के शेयर बाजारों में उथल-पुथल और अस्थिरता पैदा हो गई है। 

इन प्रतिकूल परिस्थितियों में हालांकि भारत सरकार द्वारा 31 मई, 2022 द्वारा प्रकाशित जीडीपी के आंकड़ों के अनुसार ग्रोथ में धीमापन थोड़ा चितिंत करने वाला है, लेकिन ऐसा विश्वास किया जा सकता है कि बढ़ती मुद्रास्फीति को थामने हेतु रिजर्व बैंक के प्रयासों और गेहूं और अन्य कृषि वस्तुओं के निर्यात पर तत्काल प्रतिबंध लगाने, आयात शुल्क में बदलावों के माध्यम से सरकार मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने में सफल हो सकती है। निर्यात शुल्क में वृद्धि और आवश्यक वस्तुओं पर आयात शुल्क में कमी करके, मांग और आपूर्ति दोनों पर सामंजस्य बनाकर ही मुद्रास्फीति को नियंत्रित कर 6 प्रतिशत तक नीचे रखने में सरकार प्रयासरत हैं। सरकार रूस से रियायती कच्चे तेल के आयात का लाभ उठाने की कूटनीति में भी सफल रही है। राजनयिक मोर्चे पर भी सरकार क्वाड समूह और ब्रिक्स समूह के साथ संतुलन बनाए रखने में सक्षम रही है और भारत केन्द्रित नीतियां हमें वैश्विक स्तर पर अपना सिर ऊंचा रखने में सक्षम बना रही हैं। स्वदेशी जागरण मंच कोविड-प्रभावित अर्थव्यवस्था को संभालने में भारत सरकार की नीतियों की सराहना करता है। आगामी समय में मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और दुनिया में सबसे तेजी से उन्नति कर रहे राष्ट्र के रूप में अपनी स्थिति को पुनः प्राप्त करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए।

हालांकि मंच विदेशी पूंजी के बढ़ते प्रभुत्व और घटती घरेलू बचत से चिंतित है। आयात में अचानक वृद्धि और शेयर बाजार से विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा धन की निकासी के कारण बढ़ता व्यापार घाटा और भारतीय रुपये का गिरता मूल्य गंभीर चिंता का विषय है। मंच का मत है कि कराधान कानूनों में शेयर बाजार में हो रहे लेनदेन के पूंजीगत लाभ पर कर लगाने के लिए संशोधन की आवश्यकता है। हाल ही में होल्सिम कंपनी द्वारा अदाणी समूह को 10.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के शेयरों की बिक्री पर मॉरीशस मार्ग से कोई कर चुकाए बिना लेनदेन हुआ है, ऐसे में भारत में स्थित पूंजीगत संपत्ति की बिक्री पर पूंजीगत लाभ पर भी कर लगाने की सख्त जरूरत है।

बेरोजगारी की समस्या चिंता का एक अन्य क्षेत्र है और जब तक केंद्र और साथ ही, राज्य सरकार दोनों द्वारा उचित उपाय नहीं किए जाते हैं, हमारे युवाओं के कारण उपलब्ध जनसांख्यिकीय लाभांश का अवसर धीरे-धीरे समाप्त हो सकता है। इसलिए मंच ने युवाओं के मस्तिष्क में नौकरी प्रदाता बनने और नौकरी ढूंढने के बंधन से बाहर निकलने के लिए ‘स्वावलम्बी भारत अभियान’ प्रारंभ किया है। मंच देश के सभी 739 जिलों में उद्यमी विकास कार्यक्रमों की योजना में तत्पर है और प्रत्येक गांव को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी और स्थानीय उत्पादों का उपयोग करने के लिए निरंतर जन-जागरण में संलग्न है।

मंच का मत है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के आधिपत्य और ओ.ई.सी.डी. समूह के राष्ट्रों के साथ इसके अपवित्र गठजोड़ और उससे उत्पन्न डॉलर कूटनीति को बनाए रखने के लिए किए जा रहे दुष्प्रयासों के चलते वित्तीय संरचना में ब्रेटन वुड संस्थानों को समाप्त करके आमूलचूल परिवर्तन आवश्यक हैं ताकि एक निष्पक्ष, गतिशील और आर्थिक भूमंडलीकरण के नाम पर आर्थिक उपनिवेशवाद का अंत करके न्याय संगत व्यवस्था का उदय हो।

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