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नदी-जोड़ो परियोजनाः प्रगति को लगेंगे पंख

नदी जोड़ो परियोजना से लाखों लोगों को पानी तो मिलेगा ही, बिजली भी मिलेगी प्यास भी बुझेगी और प्रगति भी होगी। — डॉ. दिनेश प्रसाद मिश्र

 

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2022-23 के बजट में नदी जोड़ो अभियान को पूरे राष्ट्र में प्रभावी करने का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने न केवल बुंदेलखंड की केन बेतवा नदी परियोजना को पूर्णता प्रदान करने हेतु पर्याप्त बजट की व्यवस्था की है अपितु दक्षिण भारत की अनेक नदियों को परस्पर जोड़ने की दिशा में कार्य करने की भी बात कही है। पानी की कमी से जूझ रहे बुंदेलखंड के लोगों को सिंचाई और पेयजल उपलब्ध कराने के लिए केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के लिए बजट में 1400 करोड रूपये का प्रावधान किया गया है। इस परियोजना के द्वारा बुंदेलखंड के बांदा हमीरपुर ललितपुर महोबा 4 जिलों तथा मध्य प्रदेश के ये 9 जिलों के किसानों की सिंचाई क्षमता तो बढ़ेगी ही, साथ ही बिजली का उत्पादन भी कर ऊर्जा की समस्या का भी समाधान मिल सकेगा। योजना के पूर्ण होने पर इससे 9.08 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी साथ ही 62 लाख लोगों को पीने के पानी की भी आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी। योजना में 103 मेगावाट पनबिजली और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का भी लक्ष्य रखा गया है।

बजट में केन बेतवा परियोजना के अतिरिक्त वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने दक्षिण भारत की 5 नदी जोड़ परियोजनाओं यथा-दमनगंगा पिंजाल, पार तापी नर्मदा, गोदावरी कृष्णा, कृष्णा पेन्नार एवं पेन्नार कावेरी को भी जोड़ने की बात कही है। दमनगंगा पिंजाल नदी जोड़ परियोजना के अंतर्गत भुगड़ और खरगी हिल झील से अतिरिक्त पानी को पिंजाल नदी के द्वारा वैतरना बेसिन तक पहुंचाया जाएगा, इससे मुंबई में पानी की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। इसी तरह से पार तापी नर्मदा नदी जोड़ परियोजना के अंतर्गत पार, नार अंबिका और औरंगा नदियों के पानी को महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त क्षेत्र से होकर नर्मदा नदी तक पहुंचाया जाएगा जिससे औरंगाबाद और नासिक समेत महाराष्ट्र के बड़े क्षेत्र में पानी की समस्या दूर हो सकेगी। इसी प्रकार गोदावरी कृष्णा, कृष्णा पेन्नार और कावेरी पेन्नार नदी जोड़ परियोजनाओं को मूर्त रूप देकर इनके माध्यम से तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच नदियों के पानी को लेकर होने वाली लड़ाई तथा तनाव को हमेशा के लिए समाप्त किया जा सकेगा। इसके अंतर्गत गोदावरी नदी के अतिरिक्त पानी को दक्षिण भारत की विभिन्न नदियों के माध्यम से कावेरी तक पहुंचाया जाएगा। वित्तमंत्री की उद्घोषणा के अनुसार दक्षिण भारत की इन नदी जोड़ो परियोजनाओं की विस्तृत रिपोर्ट डीपीआर तैयार कर ली गई है। संबंधित राज्यों के बीच सहमति बनते ही केंद्रीय सहायता देने का काम भी शुरू हो जाएगा।

वस्तुतः केन बेतवा लिंक परियोजना माननीय अटल बिहारी वाजपेई की राष्ट्र को जोड़ने वाली स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना की भांति समूचे राष्ट्र को   जल तथा बाढ़ की समस्याओं से  निजात दिलाने के लिए देश की 37 प्रमुख नदियों को एक दूसरे से जोड़ने की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक थी, जिनमें से मध्य प्रदेश के अंतर्गत नर्मदा तथा क्षिप्रा को जोड़ने की योजना मध्य प्रदेश राज्य से ही संबंधित होने के कारण समय से मूर्तरूप ले चुकी है, जिसके परिणाम स्वरूप गर्मी में सूख जाने वाली क्षिप्रा में अब गर्मी में भी पर्याप्त पानी बना रहता है तथा उज्जैन को अपेक्षा अनुसार जल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित होती रहती है। इन्हीं योजनाओं में केन बेतवा  परियोजना भी थी जो समय के भंवर में फंसकर  अनेक कारणों से अब तक मूर्त रूप नहीं ले सकी थी किंतु अब दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं प्रधानमंत्री की सदिच्छा से यह योजना मूर्त रूप लेने जा रही है, जिससे इन दोनों राज्यों का चतुर्दिक विकास होने के साथ-साथ राष्ट्र की विकास की गति में भी इस नदी का योगदान बढ़ेगा, तथा राष्ट्र के विकास में अपना योगदान देगी।

इस परियोजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश की बेतवा और केन नदी को आपस में जोड़ा जाना है। केन नदी जबलपुर के पास कैमूर की पहाड़ियों से निकलकर 427 किलोमीटर उत्तर की ओर चलकर उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के चिल्ला गांव में यमुना नदी में मिलती है। इसी प्रकार बेतवा नदी मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से निकलकर 576 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना में मिलती है। 6000 करोड़ की इस परियोजना का मुख्य बांध पन्ना टाइगर रिजर्व के दौधन गांव में बनना है, 77 मीटर ऊंचा तथा 19633 वर्ग किलोमीटर जलग्रहण क्षमता वाले इस मुख्य बांध में 2853 एमसीएम पानी भंडारण की क्षमता होगी।

2613.19 करोड़ की लागत से बनने वाले इस बांध में दो बिजलीघर बनेंगे, जिससे 78 मेगावाट बिजली मध्य प्रदेश को प्राप्त होगी। 341.55 करोड की लागत से इन बिजली घरों का निर्माण होगा। बांध से 2708.36 करोड़ की लागत से नहरे बनाई जाएंगी। 218 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर उत्तर प्रदेश के बरुआसागर में जाकर मिलेगी। इस नहर से 10 74 एमसीएम पानी प्रतिवर्ष भेजा जाएगा, जिसमें से 659 एमसीएम पानी बेतवा नदी में पहुंचेगा। दौधन बांध के अतिरिक्त तीन अन्य बांध भी मध्य प्रदेश में  में बेतवा नदी पर बनाए जाएंगे। रायसेन तथा विदिशा जिले में बनने वाले मकोडिया बांध से 56850 एकड़ क्षेत्र में, बरारी बैराज से 2500 तथा केसरी बैराज से 2880 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी। लिंक नहर से मार्गो में 60294 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होगा, इससे मध्य प्रदेश के 46599 व उत्तर प्रदेश के 13695 हे. क्षेत्र में सिंचाई होगी। दौधन बांध से छतरपुर और पन्ना जिले की 3.23 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। इस परियोजना को मूर्त रूप देने में कुल 35111 करोड रुपए व्यय होंगे, जिसमें से 90 प्रतिशत धनराशि केंद्र सरकार वहन करेगी, शेष धनराशि की 5-5 प्रतिशत राशि राज्य सरकारें वहन करेंगी। 

बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश के सात और मध्य प्रदेश के 9 जिले आते हैं, जिन्हें इस परियोजना के मूर्तरूप लेने की लंबे समय से प्रतीक्षा थी। योजना के मूर्तरूप लेने से हमीरपुर स्थित मौदहा बांध को लिंक नहर से जोड़कर भरा जाएगा। इससे दोनों राज्यों को लाभ मिलेगा। उत्तर प्रदेश के महोबा झांसी ललितपुर एवं हमीरपुर के 21 लाख लोगों को 67 मिलियन क्यूबिक मीटर जल मिलेगा। इसके साथ ही बांदा झांसी महोबा ललितपुर एवं हमीरपुर के 2.51 लाख हे. क्षेत्र में फसलों की सिंचाई की जा सकेगी। हमीरपुर में मौदहा बांध को भरकर हमीरपुर में 26900 हेक्टेयर की सिंचाई व्यवस्था और तहसील राठ में पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। जनपद महोबा में लगभग 37564 हे. ललितपुर में 3533 हे. झांसी में लगभग 17488 हे. और बांदा में लगभग 192479 हे. क्षेत्र में सिंचाई सुविधा का लाभ प्राप्त होगा। जनपद झांसी में लगभग 14.66 मिलियन क्यूबिक मीटर ललितपुर में 31.8 क्यूबिक मीटर, हमीरपुर में 2.79 मिलियन क्यूबिक मीटर और महोबा में लगभग 20.13 मिलियन क्यूबिक मीटर जल पेयजल के रूप में उपलब्ध कराया जा सकेगा। परियोजना के अंतर्गत बरियारपुर पिकअप बीयर के डाउनस्ट्रीम में दो नए वैराजों का निर्माण कर लगभग 188 क्यूबिक मीटर जल भंडारण किया जा सकेगा। मध्य प्रदेश में छतरपुर टीकमगढ़ पन्ना जिले में किसान धान गेहूं की खेती कर सकेंगे, जो अब तक सिंचाई के साधनों के अभाव में नहीं कर पाते थे, वर्षा जल के सहारे बोई गई फसल प्रायः सूख जाती थी। दोनों राज्यों में 12 लाख हे. भूमि में वर्ष में 2-3 फसलें उगाई जा सकेंगी, पीने का पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा जिससे क्षेत्र का चतुर्दिक विकास होगा। इस परियोजना से प्रत्यक्ष रूप से मध्य प्रदेश के पन्ना टीकमगढ़ छतरपुर सागर दमोह दतिया विदिशा शिवपुरी और रायसेन जिले तथा उत्तर प्रदेश के बांदा महोबा झांसी और ललितपुर जिलों को इसका लाभ मिलेगा। इसके अतिरिक्त अप्रत्यक्ष रूप से अन्य कई जिले इस परियोजना से लाभान्वित होंगे।

परियोजना से लाखों लोगों को पानी तो मिलेगा ही, बिजली भी मिलेगी प्यास भी बुझेगी और प्रगति भी होगी।  

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