सीमा पर आक्रामक रुख दिखा रहे चीन की एक कंपनी को दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस परियोजना में ठेका मिलने पर विवाद हो गया है। वंदेभारत और हाई-वे प्रोजेक्ट जैसी परियोजनाओं से चीनी कंपनियों को बाहर कर दिया गया था, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस परियोजना के तहत न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद तक 5.6 किलोमीटर के भूमिगत मार्ग के निर्माण का ठेका एक चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को दिया है। स्वदेशी जागरण मंच ने चीनी कंपनी को बोली को कैंसिल करने की मांग की है। मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. अश्वनी महाजन ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से चीन की कंपनी को मिले ठेके को रद्द करने और इसके बजाय किसी स्वदेशी कंपनी को आगे बढ़ाने की मांग की है। स्वदेशी जागरण मंच का दावा है कि अगर सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल होना है, तो इसके लिए अहम परियोजनाओं में चीनी कंपनियों को बोली लगाने का अधिकार नहीं होना चाहिए।
दूसरी ओर सरकार का तर्क है कि देश की पहली क्षेत्रीय त्वरित रेल परिवहन प्रणाली (आरआरटीएस) को क्रियान्वित करने वाली एनसीआरटीसी ने कहा कि निर्धारित प्रक्रिया और दिशानिर्देशों के तहत यह ठेका दिया गया है। हालांकि सीमा पर पिछले कई महीनों से जारी तनाव के कारण देश में चीनी सामान और चीनी कंपनियों के बहिष्कार की मांग उठ रही है। ऐसे में चीनी कंपनी को 1000 करोड़ रुपए का ठेका मिलने से राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है।