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जीएम सरसों के पौधों को उखाड़े जाने की उच्चतम न्यायालय से मांग

आनुवांशिक रूप से संवर्धित (जीएम) फसलों के खिलाफ अभियान चलाने वाले संगठनों की तरफ से बुधवार को उच्चतम न्यायालय में कहा गया कि पर्यावरणीय परीक्षण मंजूरी मिलने के बाद जीएम सरसों के बीजों में अंकुरण शुरू हो चुका है और इनमें फूल आने के पहले ही इसके पौधों को उखाड़ दिया जाना चाहिए ताकि पर्यावरण को दूषित होने से रोका जा सके।

पर्यावरण मंत्रालय के तहत गठित जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) ने गत 25 अक्टूबर को ट्रांसजेनिक सरसों हाइब्रिड किस्म डीएमएच-11 की पर्यावरणीय मंजूरी दी थी। इस मंजूरी के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अर्जी लगाई गई थी। जीएम फसलों के खिलाफ मुहिम चलाने वालीं कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स की तरफ से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ के समक्ष अपनी दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि जीएम सरसों की पर्यावरणीय मंजूरी के असर के बारे में किसी को भी अंदाजा नहीं है और यह देश भर में सभी सरसों बीजों को दूषित कर सकता है।

भूषण ने कहा, “जीएम सरसों के बारे में सिर्फ यही एक लाभ बताया जा रहा है कि नई हाईब्रिड किस्मों के विकास में इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन एहतियाती उपाय करने का सिद्धांत इस मामले में बखूबी लागू होता है। जब किसी चीज को मंजूरी देने से नुकसानदेह असर पड़ने की आशंका हो तो वहां यह सिद्धांत लागू होगा।“

रोड्रिग्स के अलावा गैर-सरकारी संगठन ’जीन कैंपेन’ ने भी अपनी एक याचिका में यह मांग की है कि समग्र, पारदर्शी एवं कड़े जैव-सुरक्षा प्रावधानों के बगैर किसी भी जीएम किस्म को पर्यावरण मंजूरी के लिए जारी न किया जाए। इसके साथ ही भूषण ने कहा कि वह जीएम सरसों का खुले पर्यावरण के बजाय नियंत्रित ग्रीन हाउस में परीक्षण किए जाने के खिलाफ नहीं हैं।

https://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/demand-from-the-supreme-court-for-the-uprooting-of-gm-mustard-plants/articleshow/95892668.cms

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