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घर-घर नल, हर नल में जल 

7 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 100 प्रतिशत घरों में नल जल योजना के माध्यम से जल की आपूर्ति की जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने योजना को गति देने के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। — डॉ. दिनेश प्रसाद मिश्र

 

भारत सरकार ने देश में व्याप्त पेयजल समस्या को दृष्टि में रखकर जल संसाधन, नदी विकास, गंगा जीर्णोद्धार और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को शामिल कर जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया और उसको देश में व्याप्त जल समस्या को समाप्त करने तथा हर घर को नल से पानी उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य करने हेतु निर्देशित किया। प्रधानमंत्री ने स्वयं नीति आयोग की बैठक में हर घर को पेयजल उपलब्ध  कराने के संदर्भ में रीति नीति को व्यक्त कर उस पर अविलंब तथा द्रुतगामी कार्यवाही कर 2024 तक उपलब्ध कराने हेतु समय सीमा भी निर्धारित कर दी है। प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तावित यह योजना उनकी अन्य प्रभावी सौभाग्य योजना, उज्जवला योजना तथा स्वच्छता अभियान जैसी महत्वपूर्ण अत्यंत क्रांतिकारी योजना है। सौभाग्य योजना के अंतर्गत मोदी सरकार ने देश के कौने-कौने में बिजली पहुंचाकर लगभग हर घर तक बिजली पहुंचाने का अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। इसी प्रकार उज्जवला योजना के अंतर्गत समाज के निम्नतम तबके तक गैस चूल्हा पहुंचाकर उज्जवला योजना को सार्थक किया है। स्वच्छता अभियान के द्वारा जहां एक और समाज में साफ सफाई एवं स्वच्छता हेतु जागरूकता अभियान चलाते हुए अपने चारों ओर सफाई बनाए रखने हेतु आमजन को जागरूक किया गया, वहीं दूसरी ओर घर-घर शौचालयों की व्यवस्था कर खुले में शौच जाने की परंपरा को लगभग समाप्त कर दिया है। अब उनकी हर घर को नल से पानी की योजना अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण तथा क्रांतिकारी है। सरकार की प्रतिबद्धता उम्मीद जगी है, किंतु इस योजना के समक्ष राष्ट्र में जल का अभाव, निरंतर गिरता हुआ जल स्तर तथा जल संरक्षण का समुचित प्रबंधन न होना योजना को निश्चित समयावधि के अंतर्गत पूर्ण कर पाने के संदर्भ में प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

यह अलग तथ्य है कि अभी तक सिर्फ 65 प्रतिशत घरों में ही नल से पानी पहुंचाने का काम हो रहा है। वर्ष 2014 से 2018 के मध्य 6.7 प्रतिशत की वृद्धि से घरों में पानी के कनेक्शन के लिए नल लगाए गए। 2011 से 2014 के मध्य में यह आंकड़ा 4 प्रतिशत था और 2001 से 2011 में यह मात्र 0.6 प्रतिशत ही था। पानी के कनेक्शन लगाने और नल से पानी पहुंचाने की दिशा में गांव में वृद्धि का आंकड़ा शहरों से अधिक है। 2014 से 2018 के मध्य गांव में यह 28 प्रतिशत और शहरों में 22 प्रतिशत के करीब रहा। ग्रामीण इलाकों में अभी भी लगभग 60 प्रतिशत घर ऐसे हैं जहां पानी का नल कनेक्शन नहीं पहुंचा है। उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार जैसे अनेक राज्य अब भी हैं जिनकी आधी जनसंख्या को अभी भी पानी की सप्लाई नहीं की जा रही है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु ऐसे राज्य हैं जहां 70 प्रतिशत से अधिक घरों में पानी के लिए नल लगाए जा चुके हैं। इन राज्यों के शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में नल का प्रयोग पानी के लिए किया जा रहा है। 

जल जीवन मिशन के अंतर्गत केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश को 10870.5 करोड रुपए आवंटित किए हैं जो किसी भी राज्य को अब तक की सबसे अधिक धनराशि है। इसी कड़ी में पश्चिम बंगाल को 6998.97 करोड, गुजरात को 3410 करोड़, और मध्य प्रदेश को 5117 करोड़, महाराष्ट्र को 7064.41 करोड़ तथा छत्तीसगढ़ को 1908.9 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं। पूर्वोत्तर राज्यों को कुल 9262 करोड आवंटित किए गए हैं। जल जीवन मिशन का लक्ष्य 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराना है। 2021-22 के केंद्रीय बजट से इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए 50000 करोड़ों रुपए निर्धारित किए गए हैं।

नल से घर-घर जल पहुंचाने की योजना के अंतर्गत जहां एक ओर देश के तेलंगाना तथा गोवा राज्य सहित कुछ केंद्र शासित प्रदेशों ने शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर अभूतपूर्व कार्य किया है, वहीं छत्तीसगढ़ उत्तराखंड जैसे राज्य  अत्यंत धीमी गति से कार्य करते हुए निर्धारित लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे हैं। अब तक देश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत लगभग 43 प्रतिशत ग्रामीण घरों तक नल से जल पहुंचा दिया गया है। 7 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 100 प्रतिशत घरों में इस योजना के माध्यम से जल की आपूर्ति की जा रही है। गोवा, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार दीप समूह, पुडुचेरी, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव के अलावा हरियाणा के 100 प्रतिशत घरों में नल से जल की आपूर्ति की जा रही हैं। योजना को मूर्तरूप देने के लिए विभिन्न राज्यों द्वारा समय सीमा का  लक्ष्य निर्धारित कर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। बिहार, पंजाब जैसे राज्यों में वर्ष 2021 के अंत तक हर घर को नल के माध्यम से जल प्राप्त होने लगेगा, जबकि गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, मेघालय, सिक्किम आदि राज्यों तथा अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में यह योजना 2022 तक मूर्तरूप ले सकेगी। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में 2024 तक हर घर में नल से जल प्राप्त हो सकेगा। हालांकि आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 7 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 25 प्रतिशत से कम घर घरों में नल से जल की आपूर्ति की जा रही है इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में असम 22 प्रतिशत, राजस्थान 20.89 प्रतिशत, लद्दाख 16.32 प्रतिशत, झारखंड 15.12 प्रतिशत, बंगाल 13.48 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ 13.17 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश 12.72 प्रतिशत शामिल है। 

उत्तर प्रदेश में हर घर नल योजना आर्सेनिक, फ्लोराइड, खारे पानी व जापानी इंसेफेलाइटिस प्रभावित सभी जिलों में लागू होने वाली है। पहले चरण में बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में इस योजना को लागू कर दिया गया है जो दिसंबर 2021 तक अपना शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर लेगी। आंकड़ों के अनुसार 12 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 100 प्रतिशत स्कूलों में जबकि 10 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 75 प्रतिशत स्कूलों तक यह सुविधा पहुंचा दी गई है झारखंड एकमात्र राज्य है जहां के सिर्फ 17.97 प्रतिशत स्कूलों में ही नल से जल की आपूर्ति अभी तक सुनिश्चित हो पाई है। प्रथम चरण में बुंदेलखंड के 7 जिलों झांसी महोबा ललितपुर जालौन हमीरपुर बांदा और चित्रकूट के कुल 4513 राजस्व ग्रामों में से 891 ग्रामों में जल घर-घर नल योजना के अंतर्गत पहुंचाया जा रहा है। शेष 3622 ग्रामों को घर-घर नल से जल पहुंचाने का कार्य 479 योजनाओं के माध्यम से पूर्ण किया जा रहा है। इससे लगभग 67 लाख की आबादी लाभान्वित होगी। दूसरे चरण में विंध्य क्षेत्र के मिर्जापुर और सोनभद्र तथा वाराणसी में प्रधानमंत्री जी द्वारा योजना कीआधारशिला रखने के साथ ही कार्य प्रारंभ किया जा चुका है। तीसरे चरण में जापानी बुखार और इंसेफलाइटिस से प्रभावित क्षेत्रों को योजना से जोड़ा जाएगा। चौथे चरण में आर्सैनिक व फ्लोराइड से प्रभावित गंगा यमुना के तटवर्ती क्षेत्रों में काम शुरू होगा। इस मिशन के अंतर्गत मेंटेनेंस का कार्य अगले 10 वर्षों तक कार्यवाही संस्था ही करेगी।

आज देश के बड़े भूभाग में निरंतर जल संकट उत्पन्न होने, भूगर्भ जलस्तर के नीचे जाने तथा जल स्रोतों के निरंतर नष्ट होते जाने के कारण जल की उपलब्धता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है। इन्हीं सब तथ्यों को दृष्टि में रखकर वित्त मंत्री सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा था- भारत में पानी की सुरक्षा और सभी भारतीयों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है और इस दिशा में सरकार का एक बड़ा कदम जल शक्ति मंत्रालय का गठन है। जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में हर घर जल नल के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा और जल शक्ति मंत्रालय राज्यों के साथ मिलकर इस कार्य को अंजाम देगा तथा निर्धारित समय से पूर्व देश के कोने-कोने में रह रहे जन-जन को उसके घर में नल के माध्यम से जल उपलब्ध कराने में सफलता प्राप्त हो सकेगी।

समग्रतः कहा जा सकता है कि देश के समक्ष खड़े जल संकट को दूर करने में प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना के कारगर साबित होने के संकेत मिल रहे हैं। 

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