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भारत को महाशक्ति के रूप में स्थापित करता ऑपरेशन सिंदूर

भारत द्वारा 7 मई 2025 से 10 मई 2025 तक चले ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की सैन्य सुरक्षा को नष्ट भ्रष्ट करके उसको घुटनों पर लाकर और अमेरिका, चीन और तुर्की के कहने पर सीजफ़ायर के लिए गिड़गिड़ाने के लिए भारत से निवेदन करने के लिए बाध्य कर दिया। - विनोद जौहरी

 

पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बायसरन घाटी में 26 निर्दोष हिन्दू पर्यटकों के धर्म पूछ कर उनकी हत्या कर दी। इस हमले का जवाब देने के लिए भारत ने ’ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया। ये उन महिलाओं का प्रतीक है, जिन्होंने आतंकी हमले में अपने पतियों को खोया है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद भारत ने 14 दिन के भीतर इसका मुंहतोड़ जवाब दिया है। भारत द्वारा 7 मई 2025 से 10 मई 2025 तक चले ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की सैन्य सुरक्षा को नष्ट भ्रष्ट करके उसको घुटनों पर लाकर और अमेरिका, चीन और तुर्की के कहने पर सीजफ़ायर के लिए गिड़गिड़ाने के लिए भारत से निवेदन करने के लिए बाध्य कर दिया। यह घटनाक्रम बहुत जटिल है किंतु मात्र चार दिन में भारत ने अमेरिका, चीन के साथ-साथ दिन प्रतिदिन अपने परमाणु बमों और आतंकवाद के बूते पर भारत को धमकाने वाले पाकिस्तान को भारत की ताकत का आभास करा दिया है। ऑपरेशन को लेकर सेना की दो महिला सैन्य अफसरों कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ही देश को सैन्य कार्रवाई के बारे में बताया। 

पाकिस्तान अपनी सैन्य शक्ति को लेकर बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि वह भारत के सामने कहीं नहीं ठहरता। भारत सैन्य बल, हथियारों और रक्षा तकनीक पर खर्च के मामले में दुनिया की सर्वोच्च 5 सैन्य शक्तियों में सम्मिलित है, जबकि पाकिस्तान इस सूची में काफी पीछे है। यही कारण है कि सैन्य ताकत के मोर्चे पर भारत को चुनौती देना पाकिस्तान के लिए केवल एक खोखला दावा भर है। स्वीडन स्थित प्रमुख थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 में भारत का सैन्य खर्च पाकिस्तान की तुलना में करीब 9 गुना अधिक रहा। ऑपरेशन सिंदूर के बीच वैश्विक परिपेक्ष्य में भारत की ताकत बढ़ी है और उसके हथियारों की मांग बढ़ रही हैं। 17 देशों ने हाल में भारत में निर्मित हथियारों के प्रति अपनी रुचि दिखाई है।

चीन ने खुलेआम पाकिस्तान का समर्थन किया है और अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच पाक अधिकृत जम्मू काश्मीर के विषय में मध्यस्तता का प्रस्ताव किया है। 

भारत की उभरती महाशक्ति से विचलित अमेरिका जो कल तक टैरिफ नीति से चीन की अर्थव्यवस्था को चौपट करने का प्रयास कर रहा था वह भी चीन के साथ अपनी टैरिफ नीति को विराम देकर अपने सम्बन्धों को पुनर्जीवित कर रहा है।  

चीन इसलिए भी चिंतित है कि उसने भी भारत का कश्मीर और लद्दाख का बड़ा भूभाग पाँच दशकों से अपने अवैध कब्जे में लिया हुआ हैं और भारत द्वारा पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर वापस अपने अधिकार में लेने से उसका 65 बिल्यन डॉलर का निवेश और उसकी पाकिस्तान से सीधा संपर्क समाप्त होने का खतरा बढ़ गया है। पाकिस्तान के समर्थक और हथियारों की आपूर्ति करने वाले देश तुरकिए और अज़रबैजान के विरुद्ध भी भारत में बहुत आक्रोश है। 

यह कहना कि ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान का चरित्र बादल जाएगा, सही नहीं है। जैसी सूचनाएँ पाकिस्तान टीवी चैनलों, मीडिया रेपोर्ट्स से आ रही हैं, उनके अनुसार पाकिस्तान कि सरकार और सेना आज भी आतंकवादियों के साथ खड़ी हैं और मसूद अजहर जैसे जैश आतंकी सरगनाओं को करोड़ों रुपये का मुआवजा दे रही है और जो आतंकी बेस कैंप और ठिकाने भारत के हमले में नष्ट हो गए थे उनका इनफ्रास्ट्रक्चर फिर से खड़ा किया जा रहा है। भारत के आक्रमण में मृत आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में पाकिस्तानी सेना के अधिकारी सम्मिलित हुए। 

दूसरी तरफ सिंधु नदी समझौते के निरस्त होने से पाकिस्तान में त्राहि त्राहि मची है और उनकी सरकार आग बबूला है। 

भारत के इतिहास में स्वतन्त्रता के बाद 78 वर्षों में पाकिस्तान और चीन द्वारा थोपे गए पाँच युद्ध लड़े जा चुके हैं और पिछले चालीस वर्षों में पाकिस्तान ने भारत को बहुत गहरे घाव दिये हैं। केवल वर्ष 2001 से ही भारत 48 बड़े आतंकवादी हमले पूरे देश में झेल चुका है। प्रत्येक युद्ध अपने जख्म छोडता है और देश को और अधिक सुदृढ़ करने का अवसर देता है। इज़राएल का उदाहरण सामने हैं जो हर तरफ से शत्रुओं से घिरा है और अकेला सब पर भारी है जबकि इज़राएल में तीस प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम अरबों की है और आंतरिक राजनीतिक विरोध वहाँ भी होता है। 

ऑपरेशन सिंदूर के तथ्य सभी टीवी चैनलों, समाचार पत्रों और मीडिया में आ रहे हैं फिर भी यह इतने महत्वपूर्ण और अभूतपूर्व हैं कि इनको सहेजना आवश्यक हो जाता है। कालांतर में इस पर पुस्तकें भी लिखी जाएंगी और पिछले युद्धों पर विशेषकर सेना के वरिष्ठ पूर्व अधिकारियों ने सम्पूर्ण तथ्यों के साथ पुस्तकें लिखी हैं। 

इस हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था। भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सिंधु जल संधि के निलंबन से लेकर पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने तक कई पाबंदियां लगाईं। यहां तक की वैश्विक स्तर पर भी इस हमले की निंदा की गई। 

भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त ताकत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को सटीकता से निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, प्रतिबंधित आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन के मुख्यालयों को निशाना बनाकर रात के समय नौ ठिकानों पर विशेष कार्रवाई की गई। ऑपरेशन में निशाना बनाए गए 9 ठिकानों में से 4 पाकिस्तान के अंदर और 5 पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में थे। पाकिस्तान के जिन शहरों में हमले हुए उनमें बहावलपुर, मुरीदके और सियालकोट प्रमुख हैं। हमलों के लिए लोइटरिंग म्यूनिशन और अन्य सटीक हथियार प्रणालियों का उपयोग किया गया। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, सऊदी अरब और यूएई जैसे प्रमुख देशों को भारतीय अधिकारियों ने इस कार्रवाई की पूरी जानकारी दी। भारत की तीनों सेनाओं (थल, वायु और नौसेना) ने मिलकर इस संयुक्त ऑपरेशन को अंजाम दिया। अमेरिकी एनएसए  और विदेश मंत्री मार्को रुबियो से भारत के एनएसए अजीत डोभाल ने बात की।

एलओसी के पास स्थित जिन 5 टारगेट्स पर अटैक किया गया, उनमें सवाईनाला कैंप, मुजफ्फराबाद जो पीओजेके के लाइन ऑफ कंट्रोल से 30 किलोमीटर दूर है, यह लश्कर-ए-तैयबा का ट्रेनिंग सेंटर था।  

सैयदना बिलाल कैंप, मुजफ्फराबाद, यह जैश-ए-मोहम्मद का स्टेजिंग एरिया है। यह हथियार, विस्फोटर और जरनल सर्वाइविंग ट्रेनिंग का केंद्र भी था।  

गुलपुर कैंप, कोटलीः यह एलओसी 30 किलोमीटर दूर था. लश्कर-ए-तैयबा का बेस था, जो रजौरी और पुंछ में सक्रिय था। 

बरमाला कैंप, बिंबरः यह एलओसी से 9 किलोमीटर दूर है। यहां पर हथियार हैंडलिंग, आइडी और जंगल सर्वाइवल केंद्र का प्रशिक्षण दिया जाता था। 

अब्बास कैंप, कोटलीः यह एलओसी से 13 किलोमीटर दूर है।  लश्कर-ए-तैयबा का फिदाइन यहां तैयार होता था। इसकी कैपेसिटी 15 आतंकियों को ट्रेन करने की थी।

इसके साथ ही पाकिस्तान के अंदर जिन टारगेट्स (नार्मल प्लांट) पर अटैक किया गया उनमें - 

1.    सर्जल कैंप, सियालकोटः यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से 6 किलोमीटर की दूरी पर है. मार्च 2025 जम्मू-कश्मीर के चार जवानों की जो हत्या की गई थी, उन आतंकियों को इसी जगह पर ट्रेन किया गया था। 

2.    महमूना जाया कैंप, सियालकोटः यह 12 से 18 किलोमीटर आईबी से दूर था, हिजबुल-मुजाहिदीन का बहुत बड़ा कैंप था। यह कठुआ में आतंक फैलाने का केंद्र था. पठानकोट एयरबेस हमला भी यहीं से प्लान किया गया था। 

3.    मरकज तैयबा मुरीदकेः यह आईबी से 18 से 25 किलोमीटर दूरी पर है. 2008 के मुंबई हमले के आतंकी भी यहीं से परिशिक्षित हुए थे। अजमल कसाब और डेविड हेडली भी यहां ट्रेन हुए थे। 

4.    मरकज सुभानअल्लाह, भवलपुरः यह इंटरनेशनल सीमा से 100 किलोमीटर दूर है, यह जैश-ए-मोहम्मद का केंद्र था। 

ऑपरेशन सिंदूर में 7 मई को मारे गए 100 से अधिक दुर्दांत आतंकियों की जो सूचना मिली है, उनमें पाँच सरगना सम्मिलित हैं।

1. मुदस्सर खडियान उर्फ अबू जुंदालः लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी। मुरीदके में मरकज तैयबा का प्रभारी था। यह 26 नवंबर 2008 मुंबई में हुए आतंकी हमले में शामिल था। पाकिस्तानी सेना ने अंतिम संस्कार में इसे गार्ड ऑफ ऑनर दिया।

2. हाफिज मुहम्मद जमीलः जैश-ए-मोहम्मद का बड़ा आतंकवादी। मौलाना मसूद अजहर का सबसे बड़ा साला। बहावलपुर में मरकज सुब्हान अल्लाह का प्रभारी। युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और फंडिंग में सक्रिय था।

3. मोहम्मद यूसुफ अजहर उर्फ उस्ताद जी, मोहम्मद सलीम, घोसी साहबः जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी और मसूद अजहर का साला। आतंकी संगठन में हथियारों के प्रशिक्षण का प्रभारी। जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों में शामिल था और आईसी-814 विमान अपहरण यानी कंधार हाईजैक की साजिश रचने वालों में सम्मिलित था।

4. खालिद उर्फ अबू अकाशाः लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी। अफगानिस्तान से हथियारों की तस्करी में सम्मिलित था। जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों में शामिल। फैसलाबाद में अंतिम संस्कार हुआ। इसमें पाकिस्तानी सेना के अधिकारी भी सम्मिलित हुए।

5. मोहम्मद हसन खानः जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी। पिता पीओके में जैश-ए-मोहम्मद का ऑपरेशनल कमांडर मुफ्ती असगर खान कश्मीरी। मो. हसन की जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों की योजना में अहम भूमिका थी।

पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों का उपयोग करके अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, भटिंडा, चंडीगढ़, नल, फलौदी, उत्तरलाई और भुज सहित उत्तरी और पश्चिमी भारत में कई सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की। पाकिस्तान ने शुक्रवार 8 मई 2025 को रात 7.47 से रात 10.57 के बीच पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के 26 शहरों में 550 से ज्यादा ड्रोन दागे थे। इस हमले को भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया।

7 से 9 मई के दौरान पाकिस्तान की ओर से किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों के जवाब में भारत ने लाहौर समेत पाकिस्तान के कई एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट कर दिया। एलओसी पर भी जवाबी कार्रवाई में भारत ने पुंछ-राजौरी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना द्वारा नागरिक इलाकों पर की गई गोलाबारी का सटीक जवाब देते हुए आतंकियों के बंकर और सेना की चौकियों को नष्ट कर दिया। रहीमयार खान एयरबेस के मलबे में मिली आसिफ अली ज़रदारी की अधजली तस्वीर पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य विफलता का प्रतीक बन गई। साथ ही, भारत ने 9-10 मई की रात को पाकिस्तान के 11 एयरफोर्स बेस पर जवाबी कार्रवाई की, जिनमें नूर खान, रफीकी, मुरिद, सुक्कुर, सियालकोट, पसरूर, चुनीयन, सरगोधा, स्कारु, भोलारी और जैकोबाबाद शामिल हैं। जैकोबाबाद के शाहबाज एयरबेस की पहले और बाद की तस्वीरों ने तबाही की भयावहता को स्पष्ट किया। इन हमलों में एफ-16 और जेएफ-17 लड़ाकू विमानों वाले बेसों को नुकसान पहुंचा, जिससे पाकिस्तानी वायुसेना की 20 प्रतिशत इंफ्रास्ट्रक्चर तबाह हो गई। वहीं, भोलारी एयरबेस पर हुए हमले में पाकिस्तान के स्क्वाड्रन लीडर उस्मान यूसुफ समेत 50 से अधिक सैन्यकर्मियों की मौत हो गई और कई लड़ाकू विमान नष्ट हो गए। एयर मार्शल ए.के. भारती ने वीडियो दिखाते हुए बताया कि भारत की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान एयर डिफेंस रडार और एयरफील्ड का नुकसान हुआ है। उन्होंने पासरूर एयर डिफेंस रडार चुनियां एयर डिफेंस रडार, अरीफवाला एयर डिफेंस रडार, सरगोधा एयरफील्ड, रहीम यार खान एयरफील्ड, चकलाला एयरफील्ड (नूर खान), सुक्कुर एयरफील्डट, भुलारी एयरफील्ड, जैकोबाबाद एयरफील्ड में हुई स्ट्राइक और उसके असर के वीडियो भी साझा किए। भारत के आक्रमण में पाकिस्तान की मीडिया के अनुसार उनके 50 सैनिक और ऑफिसर मारे गए। 

ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है। पाकिस्तान के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए भारतीय सेना सक्षम है।            

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