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फ्री-बी संस्कृति के खिलाफ स्वदेशी का शंखनाद

कल्याण और छूट में अंतर है। कल्याण जहां एक विकासवादी धारणा है, वहीं छूट मुफ्त की रेवड़ी है। बिना जांच परख के कल्याण के नाम पर रेवड़ी बांटना देश की अर्थव्यवस्था को चौपट करना तो है ही, देश के आम शहरी की आकांक्षाओं पर भी कुठाराघात है। 

उक्त बातें स्वदेशी जागरण मंच राष्ट्रीय सहसंयोजक डॉ. अश्वनी महाजन ने गत दिनों स्वदेशी जागरण मंच के केंद्रीय कार्यालय पर फ्रीबी संस्कृति को लेकर आयोजित संगोष्ठी के दौरान कही। डॉ. महाजन ने कहा कि देश में बुनियादी ढ़ांचे के निरंतर विकास के लिए यह जरूरी है कि राजनीति चमकाने के लिए राजनैतिक दलों द्वारा बांटी जा रही मुफ्त की रेवड़ी पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाये जायें। डॉ. महाजन ने कहा कि मंच ने इस विषय को अत्यंत गंभीरता के साथ लिया है और आने वाले दिनों में मंच के कार्यकर्ता फ्रीबी के खिलाफ देश भर में जागरूकता अभियान चलायेंगे। 

फ्रीबी को लेकर चौकन्ने इंडिया टूडे के पत्रकार अनिलेश महाजन ने आंकड़ों सहित फ्रीबी से होने वाले नुकसान के प्रति सचेत किया और कहा कि सभी राज्य सरकारों को इसे रोके जाने हेतु दबाव बनाना चाहिए। संगोष्ठी में गोविन्द त्रिपाठी, डॉ. फूलचंद, आलोक सिंह, विनोद कुमार, प्रिया, श्वेता, राकेश, सचिन, विनीत मोरे, प्रशांत गुप्त, शशि रावत, अनिल तिवारी, युवराज सिंह आदि ने हिस्सा लिया तथा इस मुद्दे को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया। 

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