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टेक्नॉलॉजी बनाम क्रिप्टो

क्रिप्टो वास्तव में एक नई कम्प्यूटर टेक्नॉलॉजी ‘ब्लॉकचेन’ की देन है। — डॉ. अश्वनी महाजन

 

हाल ही में सरकार ने वर्तमान में चल रहे शीत सत्र में क्रिप्टो करैंसियों के प्रतिबंध एवं विनिमयन हेतु ‘क्रिप्टो करैंसी एवं शासकीय डिजीटल करैंसी विधेयक 2021’ लाने की घोषणा की है। बिल के विवरण से स्पष्ट है कि सरकार की मंषा निजी क्रिप्टो करैंसियों को प्रतिबंधित करने और रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल करैंसी जारी करने की है। हालांकि विधेयक का मसौदा अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन इन क्रिप्टो करैंसियों में निहित टेक्नॉलॉजी को प्रोत्साहन हेतु कुछ छूट देने की बात भी इस बाबत घोषणा में कही गई है। इसके साथ ही क्रिप्टो व्यवसाय में लगे लोगों में एक खलबली मच गई है कि क्रिप्टो का भविष्य इस देष में क्या होगा?

पिछले काफी समय से देष और दुनिया में क्रिप्टो करैंसियों का चलन बढ़ा है। भारत में केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक दोनों का मत यह रहा कि क्रिप्टो करैंसियां गैरकानूनी हैं। इसलिए इनके लेनदेन को कानूनी मान्यता नहीं दी जा रही थी। इनके लेनदेन में बैंकों की भूमिका को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ने एक सूचना जारी कर, बैंकों से क्रिप्टो करैंसियों के लेनदेन से दूरी बनाने और अपने ग्राहकों से इसके बारे में आगाह करने को कहा तो माननीय सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि चूंकि सरकार ने कानूनी रूप से इन्हें गैरकानूनी घोषित नहीं किया है, इसलिए बैंकों को दी जाने वाली यह हिदायत कानूनन ठीक नहीं है। इसके बाद तो क्रिप्टो एक्सचेंजों द्वारा बड़ी मात्रा में क्रिप्टो करैंसियों में लेनदेन शुरू हो गया। बड़ी मात्रा में आमजन की भागीदारी इसमें बढ़ने लगी। यूं तो इसके बारे में कोई अधिकारिक सूचना नहीं है, बाजार के हवाले से अनुमान है कि करीब 2 करोड़ लोगों द्वारा इसमें पैसा लगाया गया है। छोटे-बड़े शहरों और यहां तक गांवों के लोग (अधिकांष युवा) इसके प्रति आकर्षित हो रहे हैं, क्योंकि उनको लगता है कि इसमें पैसा लगाकर उन्हें जल्दी लाभ मिल सकता है।

ब्लॉकचेन टेक्नॉलॉजी और क्रिप्टो

क्रिप्टो वास्तव में एक नई कम्प्यूटर टेक्नॉलॉजी ‘ब्लॉकचेन’ की देन है। कहा जाता है कि सबसे पहले बिटकॉयन नाम की क्रिप्टो करैंसी खुले स्रोत के सॉफ्टवेयर के माध्यम से वर्ष 2009 में आस्तित्व में आई। इस टेक्नॉलॉजी का अभी तक अनुभव यह रहा है कि वर्तमान में चल रही क्रिप्टो करैंसियों के उद्गम, उसके निर्माता आदि का कुछ पता नहीं चलता। यही नहीं कि यदि कोई व्यक्ति गैरकानूनी रूप से क्रिप्टो प्राप्त करता है तो उसका पता नहीं लगाया जा सकता।

क्रिप्टो करैंसी निर्माण (जिसे कॉयन मायनिंग भी कहा जाता है) के पीछे ‘ब्लॉकचेन’ टेक्नॉलॉजी है। टेक्नॉलॉजी का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है। इस संदर्भ में ब्लॉकचेन टेक्नॉलॉजी के कई अभूतपूर्व फायदे हैं। इस टेक्नॉलॉजी का उपयोग कर स्वास्थ्य, षिक्षा, कृषि, भूमि रिकार्ड सहित कई प्रकार की नागरिक सुविधाओं को बेहतर बनाया जा सकता है। लेकिन प्रष्न यह है कि क्या इस टेक्नॉलॉजी के नाम पर क्रिप्टो को अपनाना भी जरूरी है?

क्रिप्टो के समर्थकों का कहना है कि ‘ब्लॉकचेन’ टेक्नॉलॉजी का भरपूर लाभ उठाने और इसके विकास को गति देने के लिए क्रिप्टो करैंसी की मायनिंग एक प्रोत्साहन के रूप में कार्य करती है। इसलिए उनका तर्क यह है कि क्रिप्टो और ‘ब्लॉकचेन’ टेक्नॉलॉजी को अलग नहीं किया जा सकता।

लेकिन टेक्नॉलॉजी के समर्थक लेकिन क्रिप्टो के विरोधियों का तर्क यह है कि ‘ब्लॉकचेन’ टेक्नॉलॉजी का उपयोग करने के लिए क्रिप्टो की कोई जरूरी शर्त नहीं होनी चाहिए। यह सही है कि किसी भी कार्य के लिए प्रोत्साहन जरूरी है, लेकिन वह प्रोत्साहन विधिसंगत और नैतिक रूप से सही होना चाहिए। वर्तमान क्रिप्टो करैंसियां यह शर्त पूर्ण नहीं करती, न तो ये विधिसंगत हैं और इन पर कई नैतिक सवाल भी हैं।

क्यों सही नहीं है क्रिप्टो का चलन

सबसे पहली बात यह है कि क्रिप्टो करैंसी को करैंसी कहना ही गलत है। करैंसी का अभिप्राय है सरकार की गारंटीषुदा, केन्द्रीय बैंक द्वारा जारी मुद्रा। क्रिप्टो करैंसी निजीतौर पर जारी आभासी सिक्के हैं, जिनकी कोई वैधानिक मान्यता नहीं है। 

दूसरे, क्रिप्टो का उपयोग अपराधियों, आतंकवादियों, स्मगलरों, हवाला में संलग्न व्यक्तियों द्वारा किया जा रहा है। हाल ही में पूरी दुनिया में एक कम्प्यूटर वायरस के माध्यम से जब साइबर अपराधियों ने कई कंपनियों का डाटा उड़ा दिया और उसे वापिस देने के लिए फिरौती बिटकॉयन में मांगी गई, तो बिटकॉयन के आपराधिक इस्तेमाल की बात दुनिया के सामने आ गई।

तीसरे, चूंकि यह एक ऐसी मूल्यवान आभासी संपत्ति है, जिसके धारक को तो उसका पता होता है, लेकिन किसी भी अन्य को इसका पता तभी चलता है, जब इसमें बैंक के माध्यम से लेनदेन होता है। हालांकि इसके लेनदेन को घोषित करने के बाद इस पर आयकर लगाया जा सकता है, लेकिन यदि इसकी बिक्री देष में न कर, विदेष में की जाए तो उस पर कर नहीं लगेगा। वास्तव में क्रिप्टो एक वैधानिक संपत्ति नहीं है, इसे किसी कंपनी या व्यक्ति की बैलेंसषीट में नहीं दिखाया जा सकता। यानि क्रिप्टो आयकर, जीएसटी एवं अन्य कई प्रकार के करो की चोरी का माध्यम बन रही है।

चौथे, बिटकॉयन तथा अन्य प्रकार की क्रिप्टो करैंसियों की कीमत में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव और उनकी लगातार बढ़ती मांग के कारण बढ़ती कीमत के कारण युवा इसकी तरफ आकर्षित हो रहा है। एक मोटे अनुमान के अनुसार अभी तक 6 लाख करोड़ रूपया इसमें लग चुका है। यह एक अंधे कुएं की तरह है, क्योंकि ये पैसा कहां जा रहा है, किसकी जेब में जा रहा है, किसी को कुछ मालूम नहीं। कल्पना करें कि यदि यह पैसा देष के विकास में लगे, हमारे युवा उद्योग धंधे में लगाएं तो हमारी जीडीपी में खासा फायदा हो सकता है। कहा जा रहा है कि पिछले कुछ समय से देष में पूंजी निर्माण कम हो रहा है। यदि इस प्रकार की आभासी तथाकथित संपत्ति में पैसा लगाने की प्रवृत्ति बढ़ी तो यह निवेष और अधिक कम हो सकता है।

पांचवा, क्रिप्टो के खिलाफ एक बड़ा तर्क यह है कि इसकी मायनिंग में बड़ी मात्रा में बिजली खर्च होती है, जिससे बिजली की कमी झेलनी पड़ सकती है। चीन द्वारा क्रिप्टो को प्रतिबंधित करने में यह सबसे बड़ा तर्क दिया गया है।

क्या किया जाए?

क्रिप्टो के समर्थक भी यह बात मानते हैं कि क्रिप्टो का विनियमन करना जरूरी है। लेकिन उनका यह कहना है कि क्रिप्टो को मान्यता देकर इसका विनिमयन किया जाए। क्रिप्टो विरोधियों में से भी एक वर्ग ऐसा है जो मानता है कि हालांकि इसे प्रतिबंधित करने में ही भलाई है, लेकिन इसको प्रतिबंधित करना व्यवहारिक नहीं होगा, क्योंकि इस प्रतिबंध को प्रभावी नहीं किया जा सकता।

लेकिन देष में एक वर्ग ऐसा भी है, जो मानता है कि क्रिप्टो को उसके द्वारा गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा देने के चलते प्रतिबंधित करना चाहिए और यह संभव है। वे इस बाबत चीन का उदाहरण देते हैं, जहां सरकार ने क्रिप्टो को प्रतिबंधित कर, सरकारी डिजिटल करैंसी जारी करने की ओर कदम बढ़ाए हैं। लगभग इसी मार्ग पर अमरीका भी चलने को तैयार है।

लेकिन क्रिप्टो प्रतिबंधित करते हुए इसकी अंतर्निहित टेक्नॉलॉजी से कोई परहेज नहीं होना चाहिए। ‘ब्लॉकचेन’ टेक्नॉलॉजी का उपयोग तो तब भी किया जा सकता है। यदि इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का यह तर्क मान भी लिया जाए कि इस प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहन देना जरूरी होगा, तो भी यह प्रोत्साहन किसी निजी क्रिप्टो के बजाय, सरकार द्वारा जारी डिजिटल करैंसियों के माध्यम से किया जा सकता है। सरकारी डिजिटल करैंसी देष में लेनदेन हेतु तो इस्तेमाल की ही जा सकती है, साथ ही साथ इसकी वैष्विक मांग भी हो सकती है। सरकारी डिजिटल करैंसी की कीमत को समान भी रखा जा सकता है। यानि इससे सट्टेबाजी और जुए से भी मुक्ति मिल सकती है।          
 

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