फुटकर व्यापार के अस्तित्व के लिए वोकल फॉर लोकल को अपनाना आवश्यक
देश की अर्थव्यवस्था में छोटे दुकानदारों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। वर्ष 2024 तक देश की अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन डॅालर तथा वर्ष 2030 तक 10 ट्रिलियन डॅालर के लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकेगा, जबकि फुटकर दुकानदारों का भरपूर सहयोग होगा तथा आगामी वर्ष 2030 तक के लिए कम से कम 9-10 प्रतिशत वार्षिक विकास की दर को सुनिश्चित करना ही होगा। — डॉ. सूर्य प्रकाश अग्रवाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने व्यापार को डुबो दिया, ऐसा लोग बोलने लगे है किन्तु कोई भी समझ नहीं पा रहा है कि व्यापार कमजोर क्यों होते जा रहे है? हकीकत में गत 20-25 वर्ष से ऑनलाईन व्यापार (ई-कामर्स) ने सब कुछ चौपट कर दिया है। अगर हम अभी नहीं चेते तो व्यापार क्षेत्र के हालात और खराब होते जायेंगे। अब समय आ गया है कि हमें अपनी नजदीक की दुकानों से ही अधिक से अधिक सामान खरीदना होगा तभी दुकानदार के साथ साथ हम अपने देश को भी बचा पायेंगें। स्वीकर सब कर रहे है कि व्यापार कम से कम हो गया है, परन्तु उसकी वजह कोई नहीं जानना चाहता है कि हकीकत क्या है? आज की नई पीढ़ी अपनी अधिकतम जरुरत का सामान ऑनलाईन ही क्रय कर रही है किन्तु इसमें हम जाने तथा अनजाने में अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी की मार रहे है। हम सब लोग फुटकर व्यापार की बदलती इस व्यवस्था का शिकार होते जा रहे है। यदि हमें इस ई-कामर्स की व्यवस्था से बचना है तो हमें वोकल फॉर लोकल की नीति को अपनाना ही पड़ेगा।
भारत में ऑनलाईन मार्केट का 30 प्रतिशत अमेजन के पास और 20-25 प्रतिशत फ्लिप कार्ट और बाकी में बाकी अन्य कम्पनियां शामिल है। अफसोस है कि कहीं कोई सीधा जबाब नहीं ढ़ूंढ़ पाये है पर अंदाज लगाया गया है कि देश में कम से कम 10 लाख रुपये प्रति सेकंड़ की बिक्री ऑनलाईन होती है अर्थात प्रति मिनट 6 करोड़ रुपये यानी 360 करोड़ रुपये प्रति घंटा और एक दिन में चार हजार करोड़ रुपये की बिक्री। एक वर्ष में लगभग 15 लाख करोड़ रुपये की बिक्री ऑनलाईन की मार्फत होती है जिसका लगभग 50 प्रतिशत सिर्फ 2 कम्पनियां ही कर रही है। यह पैसा पहले मर्किट में आता था तथा रोटेट होता था परन्तु अब ऑनलाईन सेल में ही जा रहा है। ऊपर से तुर्रा यह है कि यह बिकता इसलिए है क्योंकि अक्सर ज्यादा सेल वाली चीजों पर यह कम्पनियां सब्सिड़ी दे रही है। ये कम्पनियां मार्किट से स्थानीय दुकानदारों को बाजार से बाहर करने के लिए और इसी हिसाब से यदि चलता रहा तो अगले 5 साल में उन्हें बाजार से बाहर कर भी देंगी, फिर अपनी मर्जी के रेट ले लेंगी इनके पास अथाह पैसा है जिसका सोर्स कोई नहीं जान सकता।
बड़ी मुश्किल घड़ी है भारत के लिए
गौरतलब है कि कुल जीएसटी संग्रह एक साल में 12 लाख करोड़ रुपये के लगभग है अर्थात औसत रुप से 15 प्रतिशत कर माना जाए तो कुल व्यापार जिस पर जीएसटी चार्ज होता है (0 प्रतिशत टैक्स वाली आइटम भी इतनी ही बैंठेंगी) वो एक साल में लगभग 80 लाख करोड़ रुपये का है अर्थात कुल व्यापार का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा ऑनलाईन खींच चुकी है। देश का पैसा विदेश जाना भारतीय फुटकर व्यापार में लगी कई कम्पनियों के दिवालिया होने का कारण हो सकता है। किसी जमाने में ईस्ट इंड़िया कम्पनी नाम की विदेशी कम्पनी ने व्यापारी बन कर इस देश में घुसपैठ की थी और हमें गुलाम बना लिया गया था और आज भी विदेशी ऑनलाईन कम्पनियां हमारे देश के फुटकर व्यापार पर कब्जा कर रही है और कम लोग आने वाले खतरे से अनजान 100-200-500 रुपये की बचत के लालच में अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को दांव पर लगा रहे है।
पिछले दिनों देश में जहां जहां बाढ़ आयी अथवा प्राकृतिक विपत्ति आयी वहां वहां स्थानीय दुकानदार ही काम आए। इन आनॅलाईन कम्पनियों ने वहां कुछ भी मदद नहीं की। भविष्य में आने वाले खतरे को पहचानो और बंद करो ऑनलाईन खरीददारी। कृपया करके सभी लोग अपने आस पास की दुकान व छोटे छोटे व्यापारी, ढ़ेले वालों, रेहड़ी वालों से ही समान लें ताकि मार्किट में मंदी का दौर कम हो और एक गरीब आदमी के घर में भी रुपया आता दिखाई दे। वह भी अपने घर दिवाली मना सके। देश के लोग अपना सामान ऑनालाईन व बड़े मॉल से न क्रय करें। ये लोग तो पहले से ही पैसे वाले है। परन्तु ये छोटे दुकानदार तो अपने जीविकोपार्जन के लिए दुकानदारी करते है। गरीब आम आदमी के व्यापारियों के पैसे भी ऐसी ऑनलाईन कम्पनियां खुद ही कमाना चाहती है। हम जरुरी सामान आसपड़ोस के दुकानदारों से ही क्रय करें ताकि मार्केट में रुपया रोटेट हो सके।
सरकार भी छोटे दुकानदारों के हित को सर्वोपरि मानकर अपनी रीति व नीति तय कर रही है। भारत ने विदेशी कम्पनियों को चेतावनी दी है कि ई-कामर्स प्लेटफार्म का प्रयेग आक्रमक प्राइसिंग और मोटे ड़िसकाउंट के लिए न करें। इससे छोटे दुकानदार व्यवस्था से ही बाहर हो जायेंगे।
अक्टूबर 3, 2019 को वर्ल्ड़ इकोनॉमिक फोरम के तत्वावधान में आयोजित इंड़िया इकोनोमिक समिट में केन्द्रीय सरकार में वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि फुटकर दुकानदारों का यह क्षेत्र बहुत ही संवोदनशील है तथा सरकार का दृढ़ निश्चय है कि वह किसी कीमत पर फुटकर दुकानदारों का समाप्त नहीं होने देगी। जब से ई-कामर्स कम्पनियों में प्रत्यक्ष विदेशी विनियोग की अनुमति दी गई है तभी से छोटे छोटे दुकानदार इस बात से भयभीत है कि आकर्षक ऑफरों के मार्फत यह बड़ी कम्पनियां ग्राहकों को आकर्षित करने में सफल हो जाती हैं। पीयूष गोयल ने स्पष्ट मत व्यक्त किया है कि फुटकर व्यापार सेक्टर के लिए एक स्थायी और उद्देश्यों के मुताबिक रेगुलेटरी ढ़ांचा तैयार किया जायेगा। हमारी घरेलु राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के परिप्रेक्ष्य में स्मॉल रिटेल पर आश्रित 15-16 करोड़ की जनसंख्या को घ्यान में रखते हुए यह क्षेत्र हमारे लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। देश में 5-6 करोड़ छोटी खुदरा दुकानें है जो युवकों को रोजगार देने में बड़ी भूमिका निभाती है। यह विषय बेहद संवेदनशील है। इसी कारण मल्टी ब्रांड़ रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 प्रतिशत पर ही रखी गयी है। श्री गोयल ने कहा है कि भारतीय कानून की मूल भावना छोटे दुकानदारों को संरक्षण देने की है। विश्व के प्रत्येक देश की सरकार अपने लोगों के लिए रोजगार और उनके जीवनयापन के लिए उनके हितों को ध्यान में रखती ही हैं।
ई-कामर्स ग्राहकों को सस्ते उत्पाद उपलब्ध कराने का एक माध्यम है। भारत में लोगों की आय कम है तथा उन्हें अधिक दाम देना पड़ रहा है जिस कारण बड़ी संख्या में लोग ई-कामर्स की तरफ आकर्षित हो जाते है। विश्व स्तर पर ऑनलाईन ट्रेिंडं़ग बढ़ी है जिसमें भारत भी पीछे नहीं रहने वाला है। अतः इससे व्यापारिक प्रतिस्पर्धा करने के लिए छोटे दुकानदारों को भी स्थानीय आधार पर ग्राहकों को आकर्षक ऑफर देने चाहिए तथा वे सब अवित्तीय सुविधायें भी देनी चाहिए जो ऑनलाईन प्लेटफार्म पर कम्पनियां देती है। जैसे दुकानदार का ग्राहक के प्रति व्यवहार अच्छा हो, उसके सामाजिक सरोकार, बिक्रीत वस्तुओं को निश्चित समय में वापस लेना, घर पर वस्तुओं की ड़िलीवरी करना, वस्तु की खरीददारी पर नकद छूट नकदी वापसी के रुप में देना तथा अन्य सुविधाओं से अपने व्यापार के प्रति ग्राहकों को आकर्षित करना जिससे स्थानीय दुकानदार भी ई-कामर्स में लगी बड़ी कम्पनियों को टक्कर दे सके और ग्राहक उनकी तरफ आकर्षिक न हो सकें इसमें सरकार के साथ दुकानदारों को भी सचेत हो जाना चाहिए।
देश की अर्थव्यवस्था में छोटे दुकानदारों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। वर्ष 2024 तक देश की अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन डॅालर तथा वर्ष 2030 तक 10 ट्रिलियन डॅालर के लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकेगा जबकि फुटकर दुकानदारों का भरपूर सहयोग होगा तथा आगामी वर्ष 2030 तक के लिए कम से कम 9-10 प्रतिशत वार्षिक विकास की दर को सुनिश्चित करना ही होगा। यह तभी सम्भव होगा जब लोकल को वोकल की नीति अपनायी जाए। ु
डॉ. सूर्य प्रकाश अग्रवाल सनातन धर्म महाविद्यालय मुजफ्फरनगर 251001 (उ.प्र.), के वाणिज्य संकाय के संकायाध्यक्ष व ऐसोसियेट प्रोफेसर के पद से व महाविद्यालय के प्राचार्य पद से अवकाश प्राप्त हैं तथा स्वतंत्र लेखक व टिप्पणीकार है।
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