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दिल्ली चुनाव: मोदी मैजिक और नारी शक्ति की विजय

कैसे एक आदर्श दिल्ली, एक प्रदूषण मुक्त दिल्ली, एक अपराध मुक्त दिल्ली, एक विकसित दिल्ली का निर्माण हो, यही अब भाजपा का ध्येय होना चाहिए। विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विकसित दिल्ली के सपने को भी पूरा करना होगा। - अभिषेक प्रताप सिंह

 

भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनावी प्रक्रिया और चुनावी गरिमा का सम्मान एक राष्ट्रीय कर्त्तव्य है, जिसका हमें हमेशा निर्वहन करना चाहिए। हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के विधानसभा चुनाव भी अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। यह चुनाव दिल्ली के विकास एजेंडा से आगे बढ़कर देश की राजनीति और और उसमें किया जा रहे प्रयोग के नजरिए से बहुत महत्वपूर्ण है। चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज करके राजधानी दिल्ली को डबल इंजन के सक्षम नेतृत्व से जोड़ा है, इसके पीछे दिल्ली के लोगों की इच्छा और एक सकारात्मक राजनीतिक प्रवृत्ति के प्रति विश्वास दोनों ही महत्वपूर्ण है।

आम आदमी पार्टी और केजरीवाल का पतन

अगर हम पिछले दो दशकों की भारतीय राजनीति को देखें तो उसमें आम आदमी पार्टी की स्थापना और उसके नेता अरविंद केजरीवाल ने एक नई राजनीतिक प्रवृत्ति के आधार पर अपनी राजनीति शुरू की और उस पर देश और दिल्ली के लोगों ने अपना पूरा विश्वास जताया। लेकिन अपनी सत्तालोलुपता के चक्कर और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए एक बड़े सामाजिक आंदोलन की अभिव्यक्ति के रूप में निकली आम आदमी पार्टी को अरविंद केजरीवाल की व्यक्तिगत राजनीति ने बहुत पीछे धकेल दिया। 

ऐसा नहीं है कि उनकी इस नकारात्मकता को भारतीय जनमानस ने पढ़ा नहीं, लेकिन जब तक इसको आम लोगों ने जाना समझा तब तक लंबे समय तक सत्ता में रहकर आम आदमी पार्टी ने समाज और राष्ट्र का बहुत नुकसान कर दिया था। 

भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से निकली अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। अपने 10 साल की कुप्रशासन और भ्रष्टाचार के कारण मुख्यमंत्री केजरीवाल सहित उनकी कैबिनेट की कई बड़े मंत्री चुनाव हार गए। आंकड़ों की बात करें तो आम आदमी पार्टी के केवल 15 मौजूदा विधायक अपनी सीट बचा सके। यह उनके प्रति दिल्ली के लोगों के राजनीतिक अविश्वास का एक तथ्यात्मक उदाहरण है जो हम सबके सामने हैं। केजरीवाल सहित जेल जाने वाले उनकी पार्टी के सभी नेता चुनाव हार गए। आम आदमी होने के उनके दावे की पोल उन्हीं के शीश महल ने जनता के सामने खोल दी। भ्रष्टाचार के खिलाफ राजनीति शुरू करने वाले केजरीवाल खुद ही भ्रष्टाचार का केंद्र बिंदु बन गए। इनके शिक्षा मॉडल पर भी कोर्ट ने अपनी टिप्पणियों में कई बातों को उजागर किया। दिल्ली के प्रदूषण के लिए आप ने कुछ नहीं किया। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार भी लगाई।

और सबसे बड़ी बात कि पानी पी-पीकर लोकपाल-लोकपाल का नारा देने वाले अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में ही लोकपाल अधिनियम शुरू नहीं किया। मर्यादा और नैतिकता की बात करने वाले अरविंद केजरीवाल 177 दिन तक तिहाड़ जेल में रहे, फिर भी उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा नहीं दिया। लोकतांत्रिक राजनीति की बात करने वाले केजरीवाल की राजनीति पूरी तरीके से एकाधिकार वादी रही। इस सबके अलावा दिल्ली दंगों में हिंदू हित और हिंदू विरोधी बयान देने के कारण भी हिंदू जनमानस का केजरीवाल से मोहभंग हो गया। दंगे के समय केजरीवाल की स्थिति रोम के राजा नीरो वाली हो गई कि जब दिल्ली जल रहा था तो यह व्यक्ति शीश महल में शराब घोटाले के पैसे गिन रहा था। अंत में जनता ने केजरीवाल और उनकी गंदी राजनीति को सिरे से खारिज कर दिया।

मोदी मैजिक और संगठन की शक्ति

भाजपा की बड़ी जीत के कई कारण रहे हैं। सबसे पहली बात कि दिल्ली के मतदाताओं पर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और क्षमता पर विश्वास का यह एक ऐतिहासिक उदाहरण है। प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में तीन बड़ी रैलियां की और उन सभी इलाकों में भाजपा को सफलता मिली। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली से सटे इलाकों जैसे कि नोएडा और गुरुग्राम में लगातार हो रहे विकास कार्यों का हवाला दिया और दिल्ली में इस मॉडल को दोहराने की बात कही। इसके प्रति दिल्ली के लोगों ने अपना विश्वास जताया। इसके साथ ही भाजपा शासित प्रदेशों में विकास के मॉडल ने आम लोगों को जो सहुलियतें प्रदान की हैं उसके प्रति भी लोगों में अपार समर्थन दिखा। अरविंद केजरीवाल के झूठे प्रचार के खिलाफ लोगों ने मोदी की गारंटी और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अपना अपूर्व विश्वास दिखाया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जमीनी स्तर पर जो काम किया और उसके साथ मोदी मैजिक के जुड़ जाने से भाजपा को जबरदस्त चुनावी सफलता मिली।

दूसरी प्रमुख बात यह रही कि महिला मतदाताओं ने लगातार भाजपा और मोदी के नेतृत्व में अपना सहयोग और समर्थन दिया। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आज एक बेहतर कानून व्यवस्था का राज कायम है, जिसकी आवश्यकता दिल्ली जैसे राज्य में भी है। अगर आंकड़ों की बात करें तो दिल्ली के जिन 40 सीटों पर पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया, वहां की एक तिहाई सीटें भाजपा की झोली में गई। महिला शक्ति लगातार भाजपा के पीछे खड़ी रही जिसका उसे चुनावी लाभ भी हुआ। ‘बेटी बचाओ’ कन्या विद्या धन ‘उज्ज्वला योजना’ जैसे अनेक सरकारी कार्यक्रमों ने लगातार महिलाओं को भाजपा की तरफ जोड़ा है इसका उदाहरण में दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजों में भी देखने को मिला।

तीसरी प्रमुख बात, कि भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव दलीय राजनीति और सिद्धांत के आधार पर लड़ा। पार्टी ने किसी भी चेहरे को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट नहीं किया बल्कि अपने दलीय एजेंडा, विकास के मॉडल और दिल्ली के लोगों के लाभ में उनके द्वारा सरकार में आने की स्थिति में किया जाने वाले कार्यक्रमों और नीतियों के बारे में बहुत स्पष्ट तौर पर अपनी बात रखी, जिसको दिल्ली की जनता ने आगे बढ़कर स्वीकार किया। अरविंद केजरीवाल के शीश महल और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी भाजपा ने लोगों तक अपना संदेश पहुंचाया। जिससे भाजपा को चुनावी लाभ हुआ। 

भाजपा ने चुनाव में जबरदस्त सांगठनिक क्षमता का उपयोग किया। पार्टी स्तर पर 14 सबसे अधिक नुक्कड़ जनसभाएं और 3500 से ज्यादा छोटी और बड़ी संगठन कार्यकर्ताओं की बैठक की गई। इसके अलावा पार्टी ने 650 से अधिक आम जनसभाओं का आयोजन किया। प्रमुख इलाकों में रोड-शो के माध्यम से भाजपा की नीति और घोषणा पत्र को लोगों के बीच पहुंचाया गया। आज भारतीय राजनीति में भाजपा का संगठन ही उसकी ताकत है जिसका उदाहरण हमें दिल्ली विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। संगठन में शक्ति का मूल मंत्र भाजपा की एक विलक्षण प्रतिभा है जिसका लाभ उसे मिला। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी का संगठन और विचार दोनों ही जर्जर अवस्था में है। वे लोगों को आकर्षित करने में असफल रहे। लोगों ने भाजपा के विकास मॉडल और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की प्रति अपना भरपूर समर्थन दिया। 

इसके साथ ही दिल्ली के जीवन से जुड़ी पवित्र यमुना नदी में गंदगी का सवाल भी भाजपा ने लगातार उठाया। बड़ी संख्या में दिल्ली के लोग यमुना के जल पर जीवन यापन के लिए निर्भर हैं, लेकिन यमुना की सफाई के लिए केजरीवाल की सरकार ने नौटंकी के अलावा कुछ नहीं किया। दिल्ली जल बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार भी इसी से जुड़ा मुद्दा है। इन सभी ज्वलंत मुद्दों के प्रति भाजपा ने अपनी नीति स्पष्ट की और लोगों को इस पर काम करने का आश्वासन दिया।

दिल्ली के चुनाव में मुफ्त रेवड़ियां बांटने के केजरीवाल मॉडल के खिलाफ भाजपा के मोदी मॉडल को चुना जिसका आधार ‘सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास’ है। आज पूरे भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में क्रांति हो रही है लेकिन दिल्ली पिछड़ रही है क्योंकि आप सरकार ने दस सालों में कुछ नहीं किया। जाहिर है दिल्ली के लोगों ने भाजपा को चुना और अपना भरपूर सहयोग दिया। 

जनप्रिय मुख्यमंत्री का चयन 

रेखा गुप्ता एक युवा नेता हैं, जिनका कोई राजनीतिक खानदान नहीं है। उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री नियुक्त करना भाजपा की नई पीढ़ी के नेताओं को आगे बढ़ाने की रणनीति के अनुरूप है। इस निर्णय से भारतीय जनता पार्टी ने यह भी संदेश दिया है कि वह हमेशा संगठन की ताकत पर जोर देने और समर्पित कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत करने का प्रयास करती है। आज की परिवारवादी राजनीति के दौर में रेखा गुप्ता संगठन और पार्टी के विचार का रास्ता पकड़कर ऊपर तक आई है।

रेखा गुप्ता वाजपेयी-आडवाणी युग से ही पार्टी की पहचान रही है। एबीवीपी से लेकर दिल्ली भाजपा में नेतृत्व तक, उन्होंने एक लंबा राजनीतिक सफर तय किया है। साथ ही सामाजिक जीवन में उनका व्यवहार और शैली एक ईमानदार समर्पित और जनप्रिय नेत्री का रहा है। उनका महिला होना भी पार्टी की नीति और निर्णय में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का एक उदाहरण बनेगा। उनका सफर पार्टी की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, एक ऐसी पार्टी, जो उन लोगों को आगे बढ़ाती है जिन्होंने पार्टी हित में लगातार अपनी क्षमता साबित की है।

सरकार बनाने के बाद भाजपा के सामने अपने घोषणा पत्र को लागू करना दिल्ली में प्रदूषण से लड़ाई लड़ना, शिक्षा स्वास्थ्य, सड़कों की खराब स्थिति, दिल्ली में ट्रैफिक की समस्या, यमुना नदी की सफाई और कच्ची कॉलोनी का स्थाईकरण जैसे कई प्रमुख मुद्दे और चुनौतियां हैं। अगर भाजपा सरकार इन गंभीर मुद्दों पर एक बेहतर परिणाम आम लोगों के हित में पूरा कर सकेगी तो निश्चित ही आने वाले वर्षों में उसे दिल्ली के लोगों का और अधिक समर्थन मिलता रहेगा। कैसे एक आदर्श दिल्ली, एक प्रदूषण मुक्त दिल्ली, एक अपराध मुक्त दिल्ली, एक विकसित दिल्ली का निर्माण हो, यही अब भाजपा का ध्येय होना चाहिए। विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विकसित दिल्ली के सपने को भी पूरा करना होगा।  ु

 

(लेखक देशबंधु कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर है।)

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