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महाकुंभ में फिरोजाबाद की चूड़ियां और चंबा का रुमाल भी बटोरेंगे सुर्खियां

योगी सरकार द्वारा देश-विदेश से आने वाले विशिष्ट अतिथियों को कुंभ आधारित सोविनियर गिफ्ट किए जाएंगे। इसमें भी प्रदेश के हस्तशिल्प और ओडीओपी को प्राथमिकता दी जाएगी।  - शिवनंदन लाल

 

आस्था की जड़े विश्वास पर टिकी होती है। जिस मकर संक्रांति को माघ मेला शुरू होता है, उसका आधार ग्रह और नक्षत्र की गणना है और इस विद्या का विकास ऋग्वेद से भी हजारों साल पहले कृषि के जन्म से जुड़ा हुआ है। कृषि के पर्व के रूप में भारत की बौद्धिक सांस्कृतिक संबद्धता दिखाई देती है। उत्तर भारत में मकर संक्रांति खिचड़ी के रूप में मनाई जाती है, दक्षिण में ओणम के रूप में। पूर्वोत्तर में बिहू के तौर पर जबकि पंजाब में बैसाखी के रूप में। माघ में संगम स्नान का महत्व काल गणना के साथ-साथ आस्था के रूप में बद्धमूल हो गया है। इसलिए कृषि संस्कृति, नक्षत्र गणना और आस्था का समन्वय कुंभ की अवधारणा में विद्यमान है।

चीनी यात्री ह्वैन सॉन्ग के यात्रा विवरण के अनुसार भारत के तत्कालीन चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन माघ मास में प्रयागराज में आयोजित पंचवर्षीय धर्म सभा में अपना सर्वस्व दान कर दिया करते थे। नवीं सदी मेंआदि गुरु शंकराचार्य ने पूरी, द्वारिका, श्रृंगेरी एवं बद्रीनाथ में चार मठों की स्थापना करने के पश्चात लोक कल्याण की दृष्टि से कुंभ मेले की परंपरा शुरू की थी। एशियाटिक रिसर्च के छठवें खंड में कुंभ मेले का वर्णन है। वर्ष 1398 के ऐतिहासिक दस्तावेज में हरिद्वार कुंभ मेले का वर्णन है जिसमें विदेशी आक्रांता तैमूर लंग ने भारी तबाही मचाई थी।

वर्ष 1915 में हरिद्वार महाकुंभ के अवसर पर स्वामी श्रद्धानंद के साथ महात्मा गांधी भी सम्मिलित हुए थे।महात्मा गांधी ने जवाहरलाल नेहरू को लिखे एक पत्र में हरिद्वार के कुंभ पर्व का वर्णन करते हुए लिखा था, मैं यात्रा की भावना से हरिद्वार नहीं गया था। तीर्थ क्षेत्र में पवित्रता के शोध में भटकने का मोह मुझे कभी नहीं रहा,किंतु कुंभ पर्व में स्नान को जूटे 17 लाख लोगों को देखना मुझे बेहद विस्मयकारी लगा। इतना तो तय है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग पाखंडी तो कदापि नहीं हो सकते। इस तरह की श्रद्धा मनुष्य की आत्मा को किस हद तक ऊपर उठाती होगी यह कहना बेहद कठिन है।

कुंभ जैसे आयोजनों में देश की विविधता अनेक रूपों में साकार होती है। एक ओर साधु सन्यासी, मठ मंदिर, अखाड़े के धार्मिक प्रतिनिधि, धर्म को राजनीति से जोड़ने वाले संगठन होंगे तो दूसरी ओर लाखों कल्पवासी, देश भर के तीर्थ यात्री, विदेशी पर्यटक होंगे। तीसरी ओर नजर डालें तो मेले में अपनी दुकान लगाने वाले छोटे बड़े व्यापारी, प्रदर्शनी और विक्रय केंद्र खोलने वाली सरकारी अर्द्ध सरकारी संस्थाएं होगी तो चौथी तरफ रामलीला, रासलीला, नौटंकी आदि के माध्यम से सामान्य तीर्थ यात्रियों का मनोरंजन करने वाली मंडलियां भी होगी। कहने का आशय यह की विविधता विभिन्न रूपों में प्रकट होगी।

प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ 2025 की भव्यता, दिव्यता और नव्यता को देखते हुए पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर संगम किनारे इतना बड़ा आयोजन किया जा रहा है जिसके तहत देश दुनिया के लोग विभिन्न राज्यों विशेष कर पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक की शिल्प कला से परिचित हो सकेंगे।

महाकुंभ में पहली बार होने जा रहा टॉप 100 हस्तशिल्पियों का संगम, जिसमें देश की सबसे कीमती कलाकृतियां प्रस्तुत होगी। डबल इंजन की सरकार के प्रयास से दुनिया देखेगी बनारसी साड़ियों से लेकर दक्षिण भारतीय मूर्ति कला का अद्भुत प्रदर्शन। सीएम योगी के प्रयास से ’वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ बनेंगे आकर्षण का केंद्र। प्रयागराज के मूंज से बने उत्पादों को भी देख और खरीद सकेंगे श्रद्धालु। प्रयागराज महाकुंभ में पहली बार डबल इंजन की सरकार देश की सबसे कीमती कलाकृतियों को प्रस्तुत करने जा रही है। इस प्रदर्शनी का ऑनलाइन लाइव टेलीकास्ट किए जाने की भी तैयारी है। संगम तीरे लगने वाली प्रदर्शनी में बनारसी साड़ी से लेकर प्रमुख दक्षिण भारतीय कलाकृतियों को शोकेस किया जाएगा। इसमें प्रयागराज के मूंज से बने उत्पाद विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होंगे।

विभिन्न राज्यों की कला का अद्भुत संगम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के तहत इस बार महाकुंभ को अद्भुत और आलौकिक बनाने की तैयारी चल रही है। सहायक निदेशक, हस्तशिल्प सेवा केंद्र, प्रयागराज तान्या बनर्जी ने बताया कि महाकुंभ में देश-दुनिया के 45 करोड़ लोगों के सामने भारत के 100 प्रमुख शिल्पियों के बेहतरीन उम्दा कार्यों का प्रदर्शन किए जाने की तैयारी है। कुंभ के दौरान मेला क्षेत्र में विभिन्न राज्यों की कला का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा।

हस्तशिल्प उत्पाद के लिए वेबसाइट

महाकुंभ के दौरान लाइव प्रदर्शनी में देश भर के शिल्पकारों की बनाई हुईं कलाकृतियों की खरीद-बिक्री भी की जाएगी। इसके लिए बाकायदा अपनी वेबसाइट डेवलप की गई है। यह इंडिया हैंड मेड वेबसाइट दुनिया की बड़ी-बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों को टक्कर दे रही है। भारत ही नहीं, देश-विदेश के लोग भी इस वेबसाइट पर जाकर हस्तशिल्प के सामान की खरीद-बिक्री कर सकते हैं।

बनारस का सॉफ्ट स्टोन और जम्मू कश्मीर की पशमीना शॉल 

महाकुंभ के दौरान हस्तशिल्प की प्रदर्शनी में बनारस के सॉफ्ट स्टोन से लेकर जम्मू-कश्मीर की पशमीना शाल तक उपलब्ध रहेगा। प्रयागराज के मूंज क्राफ्ट, बांदा के सजर पत्थर, महोबा के गौरा पत्थर, झांसी के सॉफ्ट खिलौने,मध्य प्रदेश की चंदेरी साड़ियां और काशी की बनारसी साड़ियां भी लोगों को आकर्षित करेंगी।

फिरोजाबादी चूड़ियां और चंबा रूमाल

महाकुंभ के दौरान हस्तशिल्प कला प्रदर्शनी के तहत महिलाओं की पसंद का भी विशेष ख्याल रखा गया है। इसके तहत फिरोजाबाद की चूड़ियां और कांच के बर्तन से लेकर हिमाचल प्रदेश की विशेष कढ़ाई वाला चंबा रूमाल भी रहेगा। गोरखपुर के टेराकोटा, निजामाबाद आजमगढ़ की काली मिट्टी के बर्तन, बलिया की बाली और टिकुली, भदोही की कालीन, सहारनपुर में सींग के सजावटी आइटम, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से ऊनी वस्त्र, पंजाब के फुलकारी और राजस्थानी जूते के अलावा बरेली के बांस की कलाकृतियां और मुरादाबाद के पीतल के सामान विशेष आकर्षण रहेंगे।

लकड़ी के खिलौने लुभाएंगे

महाकुंभ में ओडीओपी के तहत हाथी के अंदर हाथी और ऐसे ही एक-एक करके उसकी आंठ लेयर बना कर कलाकृति की प्रदर्शनी की जाएगी। चित्रकूट और काशी के प्रसिद्ध लकड़ी के खिलौने भी विशेष तौर पर लुभाएंगे।

विशिष्ट अतिथियों के लिए सोविनियर

योगी सरकार द्वारा देश-विदेश से आने वाले विशिष्ट अतिथियों को कुंभ आधारित सोविनियर गिफ्ट किए जाएंगे। इसमें भी प्रदेश के हस्तशिल्प और ओडीओपी को प्राथमिकता दी जाएगी। हस्तशिल्प की कई कलाकृतियों को भी इसके लिए सेलेक्ट किया गया है।              

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