सरकार को चाहिए कि वह प्राकृतिक धरोहरों की सुरक्षा के लिए ठोस प्रयास करें और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक साझी रणनीति तैयार कर आगे बढ़े। - डॉ. दिनेश प्रसाद मिश्र
ट्रैवल और टूरिज्म इंडस्ट्री भारत की ऐसी इंडस्ट्री है, जो बिना कोई शोरशराबा मचाए चुपचाप भारत की ग्रोथ को बढ़ा रही है। पर्यटन क्षेत्र भारत की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद में करीब 5 प्रतिशत का योगदान देता है। केंद्रीय बजट 2025-26 में सरकार ने पर्यटन क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास और यातायात संबंधी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 2541.06 करोड रुपये आवंटित किए हैं। पिछले वित्त वर्ष में ट्रैवल और टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बजट में 850.36 करोड़ रुपये खर्च किए जबकि इस साल पिछले साल की अपेक्षा भारी वृद्धि की गई है।
भारत की टूरिज्म इंडस्ट्री की वैल्यू करीब 256 बिलियन डॉलर है और यह बहुत तेजी से बढ़ रही है। भारतीय पर्यटक स्थलों पर 2023 में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का आगमन यानी आईटीए 1.45 प्रतिशत रहा और पर्यटन के माध्यम से 28 बिलियन अमेरिकी डॉलर की विदेशी मुद्रा की आय हुई थी। भारत को विश्व पर्यटन का 1.8 प्रतिशत हिस्सा मिला और वर्ष 2023 के दौरान विश्व पर्यटन प्राप्तियों में भारत का 14वां स्थान था। वित्त वर्ष 2023 में पर्यटन क्षेत्र में 7.6 करोड़ नौकरियां भी सृजित हुईं। पर्यटन क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2013 में जीडीपी में करीब 5 प्रतिशत का योगदान था लेकिन कोरोना महामारी का इस पर प्रभाव पड़ा और अब यह पुनः पिछले आंकड़ों पर पहुंच गया। पर्यटन के सभी क्षेत्रों में होने वाला विकास हालांकि बराबर नहीं है, इस विकास को बढ़ाने के लिए सरकार ने बड़ा बजट रखा है।
पर्यटन क्षेत्र में भारत में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है, लेकिन यह वृद्धि सभी क्षेत्रों में अभी पूरी तरह से नहीं है। इसको बढ़ाने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। पर्यटन स्थलों पर इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं के मामले में देश के बड़े शहरों में तो काफी सुधार हुआ है, लेकिन ग्रामीण पर्यटन क्षेत्र अभी काफी पिछड़ा हुआ है। विशेष रूप से अविकसित और अनदेखे गंतव्यों में पर्यटन क्षमता को अनलॉक करने की जरूरत है। देश में बहुत से विरासत संपन्न पर्यटन स्थल हैं, लेकिन ये स्थल पूरी तरह से सड़क मार्गों से संपन्न नहीं हैं। यहां पर समुचित सुविधाएं भी नहीं हैं जबकि ये बहुत प्रसिद्ध हैं। इसे सुदृढ़ करने के लिए बजट में योजनाओं को रखा गया है।
कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर
अब सरकार इन पर्यटन क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और कनेक्टिविटी विकसित करना चाहती है यानी इन स्थानों पर सुगम सड़कें, यातायात के साधन और ठहरने के लिए बेहतरीन होटल, मार्केट और अंतरराष्ट्रीय एमेनिटीज मुहैया करने का मन बनाए हुए है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित पर्यटन क्षेत्रों को इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं से संपन्न किया जाएगा। इन क्षेत्रों में होमस्टे के लिए मुद्रा ऋण देने का प्रावधान किया गया है। चुनौती के तौर पर सरकार ने प्रमुख पहल करते हुए देश के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझेदारी कर 50 शीर्ष पर्यटन स्थलों को विकसित करने का निर्णय लिया है। नॉर्थ ईस्ट ओर जम्मू-कश्मीर में बहुत से धार्मिक स्थलों तक कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट किया जाएगा।
धार्मिक पर्यटन के तहत सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्त्व को पहचानते हुए बजट में तीर्थ यात्रा और विरासत से जुड़े स्थलों का विकास किया जाएगा। इनमें बौद्ध पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनने के भारत के दृष्टिकोण के अनुरोध पर भगवान बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं से जुड़े स्थानों पर विशेष जोर दिया गया है। उड़ान योजना के विस्तार से 10 वर्ष में 120 नये गंतव्यों पर एयरपोर्ट का निर्माण करने और पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देनें को छोटे एयरपोर्ट बनाए जाने से धार्मिक, आध्यात्मिक और चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। होटल, रिसोर्टस और होमस्टे की मांग में वृद्धि होगी। चुनिंदा देशों के पर्यटक समूहों के लिए वीजा शुल्क में छूट और ई-वीजा सुविधा से यात्रा प्रक्रिया को सरल बनाने से पर्यटन क्षेत्र में विकास की तमाम संभावनाएं जागृत होंगी।
अन्य उद्योगों की तुलना में पर्यटन क्षेत्र में कम विनियोग से ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है। ट्रैवल और होटल इंडस्ट्री बजट अनुकूल और टिकाऊ पर्यटन का समर्थन करती है। होटल इंडस्ट्री की जीएसटी को तर्कसंगत बनाने और टीसीएस को कम करने की भी मांग रही है। बजट और हॉस्टल श्रेणी के आवासों के लिए जीएसटी दरों को कम करने से लोगों की यात्रा अधिक किफायती हो जाएगी। इससे भारत के मध्यमवर्गीय पर्यटकों को लाभ के साथ पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।
भारत में पर्यटन सबसे बड़ा उद्योग है। इसे बढ़ावा देने के लिए पर्यटन स्थलों की समुचित सफाई की जानी चाहिए। पीने का पानी, भोजन, शौचालय के साथ-साथ चिकित्सा की भी उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। पर्यटकों के ठहरने के लिए सस्ती दर पर विश्रामस्थल बनाने चाहिए। एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए बस, टैक्सी, कैब आदि की भी व्यवस्था होनी चाहिए। पर्यटन उद्योग से कई लघु उद्योग भी जुड़े हुए हैं। सैलानी घूमने के साथ-साथ उन स्थलों की विशेष वस्तुओं को भी खरीदना चाहते हैं। अतः स्थानीय उत्पादों की बिक्री के लिए दुकानदारों को बाजार उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को देश में विभिन्न मंत्रालयों और हितधारकों से तालमेल बनाकर समस्याओं को हल करना चाहिए। पर्यटन स्थलों में फैली गंदगी बड़ी समस्या है। पर्यटन स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था को कड़ी करनी चाहिए। इसी तरह नवाचार को अपनाकर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। आधारभूत संरचनाओं जैसे परिवहन, रहने की व्यवस्था व पर्यटकों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों। पर्यटन स्थलों की विशेषताओं का प्रचार-प्रसार कर पर्यटन उद्योग को बढ़ाया जा सकता है।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को पर्यटन स्थलों को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आवागमन के अनुकूल बनाना चाहिए। करों में कमी करनी चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा पर्यटक आ सकें। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयास किए जाने चाहिए। प्रमुख पर्यटन स्थलों का प्रचार-प्रसार होना चाहिए। पर्यटन स्थलों को सड़क, रेल और वायु मार्ग से जोडऩा चाहिए। साथ ही सार्वजनिक परिवहन के साधनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। पर्यटन स्थलों पर सफाई, सुरक्षा, सार्वजनिक सुविधाओं व पेयजल की सुचारू व्यवस्था आवश्यक है। पर्यटक सहायता केन्द्र पर पर्याप्त प्रशिक्षित कर्मचारी हों एवं पर्यटन स्थलों की पूरी जानकारी देने वाला साहित्य हो।
पर्यटन स्थलों का अच्छे प्रकार से रखरखाव किया जाए, उन्हें अधिक आकर्षक बनाया जाए। सैलानियों के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। सरकार को चाहिए कि वह प्राकृतिक धरोहरों की सुरक्षा के लिए ठोस प्रयास करें और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक साझी रणनीति तैयार कर आगे बढ़े।