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आत्मनिर्भरता के मंत्र से मिल रही रक्षा क्षेत्र को मजबूती

‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए विदेश से रक्षा आयात को कम करने का फैसला लेकर रक्षा उपकरणों को स्वदेशी कम्पनियों से खरीदने के ऑर्डर दिये गये। - डॉ. दिनेश प्रसाद मिश्र

 

वैश्विक मंचों पर भारत की छवि रक्षा के मामले में सशक्त होती जा रही है। ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए सरकार का जोर आत्मनिर्भरता पर है। आज देश में ही हथियार से लेकर लड़ाकू विमान तक बनाए जा रहे हैं। बीते एक दशक में भारत का निर्यात 25 गुना यानी करीब 24 सौ प्रतिशत बढ़ चुका है। लोवी इंस्टिट्यूट पावर इंडेक्स की रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है कि रक्षा क्षेत्र में भारत दुनिया के सिरमौर देशों की कतार में गर्व और इज्जत के साथ खड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार सैन्य क्षमता के पांच पैमानों में भारत चौथे स्थान तक पहुंच चुका है। रक्षा मंत्रालय की स्पष्ट राय है कि अगर हम एक विकसित राष्ट्र बनना चाहते हैं तो हमें आधुनिक हथियारों उपकरणों के साथ मजबूत सशस्त्र बलों की आवश्यकता होगी, इसलिए हमारे पास उपलब्ध वित्तीय संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करना आवश्यक है। भारत हथियार निर्यातक 25 देशों की सूची में स्थान बना चुका है। वर्ष 2016-17 तक भारत का रक्षा निर्यात हजार करोड रुपए तक भी नहीं पहुंच पाता था जबकि आज 20,000 करोड़ का आंकड़ा छू रहा है। सरकार का कहना है कि वर्ष 2028-29 तक भारतीय वार्षिक रक्षा उत्पादन 3 लाख करोड रुपए और रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ से ऊपर पहुंचाने की आशा है।

वर्ष 2023-24 रक्षा क्षेत्र के लिए विकास एवं उपलब्धियों वाला कहा जायगा, क्योंकि इस वर्ष देश की सुरक्षा को मजबूती प्रदान करनेके लिए अनेक कार्य हुए और भारत रक्षा चुनौतियों से निबटने में सक्षम रहा। इस साल एलओसी पर चीन की नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए देश ने अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत किया। भारतीय सेना ने विषम पहाड़ी एवं भयंकर ठंड वाली परिस्थितियों में चीनी सेना की चुनौती से निबटने के लिए अपनी तैयारी में इजाफा किया। इसी तरह पाकिस्तानी सीमा पर मिलने वाली आतंकी चुनौतियों का बेहतर जवाब दिया गया। चीन की सीमा पर वर्ष 2020 में जो तनाव शुरू हुआ था वह अभी तक समाप्त नहीं हुआ। चीन ने अरुणाचल प्रदेश से लद्दाख तक, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा तक अपनी सैन्य तैयारी बढ़ा रखी है। इसके अलावा पाकिस्तान सीमा पर बढ़ती आतंकी घुसपैठ एवं गोलीबारी के कारण चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। चीन एवं पाकिस्तान की इन हरकतों से निबटने के लिए जवानों को आक्रामक तौरपर मजबूत किया गया। सैन्य ताकत बढ़ाने के उद्देश्य से सेना के तोपखाने तथा वायु सेना के लड़ाकू विमानों की तैनाती बढ़ायी गयी। इसके अलावा गहन युद्ध के लिए हथियार और गोला-बारूद रखने की छूट दी गयी। वर्ष 2023 के दौरान रक्षा क्षेत्र आत्मनिर्भरता की ओर काफी आगे बढ़ा। ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए विदेश से रक्षा आयात को कम करने का फैसला लेकर रक्षा उपकरणों को स्वदेशी कम्पनियों से खरीदने के ऑर्डर दिये गये। डीएसी की बैठक में 97 तेजस मार्क-1, लड़ाकू विमान, 156 प्रचंड लड़ाकू हेलीकॉप्टर, तीसरे नये स्वदेशी विमानवाहक पोत के निर्माण, सुखोई-30 एमकेआई श्रेणी के 87 विमानों का आधुनिकीकरण, 556 गन, 55 कार्बाइन, 220 माउंटेन गन सिस्टम, 450 टोड आर्टिलरी गन सिस्टम तथा मध्यम दूरी की जमीन से हवा में मार करने में सक्षम मिसाइलों के खरीदे जाने की अनुमति प्रदान कर दी गयी है। इससे भारतीय सेनाओं की ताकत कई गुना बढ़ जायगी। डीएसी की मंजूरी वाली 2.23 लाख करोड़ रुपये की यह खरीद घरेलू रक्षा उद्योगों से की जायेगी। वर्ष 2023 में रक्षा उत्पादन रिकार्ड एक लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया। इसके अलावा रक्षा निर्यात नयी ऊंचाइयों को पार करते हुए 16,000 करोड़ तक पहुंच गया।

डीएसी ने तीसरे विमानवाहक पोत के निर्माण को मंजूरी दे दी है। नौसेना के पास अभी दो विमानवाहक पोत हैं। इनमें से विक्रमादित्य रूस से खरीदा गया था और विक्रान्त स्वदेश निर्मित है। नया विमानवाहक पोत स्वदेशी विक्रान्त की तरह ही होगा। यह पोत 40,000 करोड़ की लागत से बनेगा। 45,000 टन वजन वाला यह पोत कोचीन शिपयार्ड में बनाया जायगा। इसकी लम्बाई 262 मीटर, चौड़ाई 62 मीटर और ऊंचाई 59 मीटर एवं गति 52 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। इस पर करीब 28 लड़ाकू विमानों के अतिरिक्त बड़ी संख्या में हेलीकॉप्टर, मिसाइल और बमों जैसे खतरनाक हथियार तैनात रहेंगे। इससे हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत की ताकत काफी बढ़ जायगी। इसी तरह स्वदेशी गाइडेड मिसाइल विध्वंसक पोत सूरत के शिखर का अनावरण 6 नवम्बर को किया गया। यह पोत शत्रु की पनडुब्बियों, युद्धपोतों, एंटी सबमरीन मिसाइलों और युद्धक विमानों का मुकाबला करने की क्षमता रखता है। 

नौसेना को स्वदेशी मिसाइल विध्वंसक पोत आईएनएस इंफाल 26 दिसम्बर को मिल गया। यह समुद्र में शत्रु की चालबाजियों पर नजर रखेगा। यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस है। इसमें पोतरोधी मिसाइलें एवं तारपीडो भी लगे हैं। यह अत्याधुनिक हथियारों एवं सेंसरों से लैस उन्नत, शक्तिशाली तथा बहुआयामी युद्धपोत है। इस जहाज में ब्रह्मोस एसएसएम के अलावा एमआरसेम, तारपीडो ट्यूब लांचर्स, एंटी सबमरीन रॉकेट लांचर्स आदि की तैनाती ’शत्रु सेना’ के लिए काल बन जायेंगे। गत 22 नवम्बर को भारतीय नौसेना को तीसरी बार्ज नौका मिसाइल सह गोला-बारूद बार्ज, एलएसएएम 9 (यार्ड 77) प्राप्त हो गयी है। बार्ज नौका को मुम्बई के नौसेना डॉकयार्ड के आईएनएस तुणीर में शामिल किया गया। बार्ज नौका पर 8 मिसाइलों के साथ-साथ गोला-बारूद भी लेकर जाया जा सकता है। इससे नौसेना के जरूरी सामान इधर से उधर ले जाने में जो मदद मिलेगी उससे नौसेना की परिचालन गतिविधियों को तेजी प्राप्त होगी। अब समुद्र तट के आसपास एवं बाहरी बंदरगाहों पर भारतीय जहाजों के लिए गोला-बारूद की आपूर्ति सुनिश्चित हो जायगी। 

वायुसेना के लिए परिवहन विमान सी-295 का उत्पादन गुजरात के बड़ोदरा स्थित प्लांट में चालू होगा। अमेरिकी कम्पनी जीई एरोस्पेस और हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बीच जेट इंजन बनाये जाने को लेकर समझौता हुआ, जिससे लड़ाकू विमान इंजन अब भारत में बनेंगे। भारतीय वायु सेना को 87 सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को उन्नत बनाने की अनुमति मिल गयी है।

लद्दाख क्षेत्र में सीमा पर टैंक एवं सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की तैनाती कर दी गयी है। सेना की आपूर्ति व्यवस्था में कोई परेशानी न आये, इसके लिए सीमा पर बनायी सड़कों ने स्थिति बेहतर बना दी है। राफेल विमानों की तैनाती लद्दाख सीमा पर की गयी, जिससे चीन की किसी भी हरकत से निबटा जा सके। हल्के तेजस विमान भी मिग-21 विमानों की जगह ले रहे हैं। सुखोई-30 एमकेआईए मिग-29 मल्टी रोल एयरक्राफ्ट और जगुआर जैसे विमान हर मौसम में लड़ाई को तैयार हैं। चीन से लगती सीमा के पास प्रमुख हवाई अड्डों पर हाईटेक मल्टीरोल हेलीकॉप्टर अपाचे एवं चिनूक हर मोर्चे पर खतरे से निबटने को तैनात किये। इस तरह चीन एवं पाकिस्तान से किसी भी स्थिति में निबटने को वायु सेना तैयार है। 

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