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श्रद्धांजलिः नहीं रहे, स्वदेशी के प्रबल पैरोकार प्रो. योगानंद काले

स्वदेशी जागरण मंच के पूर्व राष्ट्रीय सह-संयोजक, प्रसिद्ध शिक्षाविद् और अर्थशास्त्री प्रो. योगानंद काले का दिनांक 19 अप्रैल, 2025 को निधन हो गया। सरल स्वभाव के धनी, गहन विद्वान, संगठन के प्रति निष्ठावान, नागपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रहे प्रोफेसर काले के देवलोक गमन को अपूरणीय क्षति बताते हुए अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

प्रो. काले ने स्वदेशी जागरण मंच की रणनीतियों और आंदोलनों को आकार देने में शुरू से ही अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे एक कट्टर राष्ट्रवादी थे और साथ ही स्वदेशी जागरण मंच के कार्यक्रमों, अभियानों और समग्र स्वदेशी आंदोलनों में सबसे आगे रहे हैं। वे 1995 से 1999 के बीच नागपुर विश्वविद्यालय के प्रो-वीसी थे। इससे पहले, वे 1990 से 1995 तक एमपी देव स्मृति धरमपेठ कॉलेज के प्रिंसिपल भी थे। एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और भारतीय अर्थशास्त्र के विद्वान, उन्होंने अपने कार्यों के लिए अनेक वैश्विक यात्राएं भी की। वे भारतीय जनता पार्टी की आर्थिक शाखा के विचारक थे और विदर्भ क्षेत्र के आर्थिक सशक्तिकरण में उनकी विशेषज्ञता थी। 26 जून 2022 को भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष वर्तमान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने प्रोफेसर काले द्वारा लिखित पुस्तक ’स्वदेशी एक चिंतन’का विमोचन किया था।

महाराष्ट्र राज्य के बुलढाणा जिले के साकरखेड़ा में 1940 में जन्मे प्रो. योगानंद काले एक ऐसे परिवार से थे जिसमें छह भाई, दो बहनें और माता-पिता थे। गांव में प्राथमिक शिक्षा से लेकर राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर बनने तक का उनका सफर कड़ी मेहनत और लगन से भरा रहा। उन्होंने एमकॉम, एमफिल और डीबीएम जैसी डिग्रियां हासिल कीं और करीब 11 साल तक प्रोफेसर, फिर करीब 14 साल तक वाइस प्रिंसिपल और आखिर में उसी कॉलेज में प्रिंसिपल के तौर पर काम किया।

प्रो. योगानंद काले एक प्रभावशाली वक्ता, समर्पित शिक्षक, कुशल प्रशासक और छात्रों के प्रिय प्रोफेसर के रूप में जाने जाते थे। ’विदर्भ के आर्थिक पिछड़ेपन’ पर उनके शोध प्रबंध को महत्वपूर्ण मान्यता मिली और अब इसे एक मूल्यवान संदर्भ माना जाता है। उन्होंने स्थानीय पत्रिकाओं में समकालीन आर्थिक मुद्दों पर व्यापक रूप से लिखा और छात्रों के लिए पाठ्यपुस्तकें लिखीं। उन्होंने वाणिज्य में पीएचडी उम्मीदवारों के लिए एक मान्यता प्राप्त मार्गदर्शक के रूप में भी काम किया। प्रोफेसर काले प्रतिष्ठित भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान, शिमला के कार्यकारी बोर्ड के सदस्य थे।

संगठन के लिए अपूरणीय क्षति

स्वदेशी जागरण मंच के माध्यम से उन्होंने भारतीय संस्कृति और इतिहास पर लंबे समय तक चिंतन किया। उन्होंने स्वयं स्वदेशी विषय पर कई पुस्तकें लिखीं और उनसे प्राप्त आय को स्वदेशी जागरण मंच आंदोलन को दान कर दिया। उन्होंने विदर्भ के विकास और देश की आर्थिक नीतियों पर भी व्यापक रूप से लिखा। जनसंघ के दिनों से ही वे राष्ट्रीय कार्य के लिए समर्पित थे। उनके निधन से महाराष्ट्र और देश के सामाजिक और शैक्षणिक जगत को क्षति हुई है। स्वदेशी जागरण मंच उन्हें अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता है। हम उनके परिवार, रिश्तेदारों और उनके समर्थकों के दुख में शामिल हैं।

प्रो. योगानंद काले जी की श्रद्धांजलि सभा में नागपुर के अनेकों बुद्धिजीवी सहित भारत सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री श्री नितिन गडकरी तथा स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. अश्वनी महाजन ने प्रो. योगानंद काले जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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