स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संयोजक सतीश कुमार ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच द्वारा 30 अन्य सामाजिक शैक्षणिक और आर्थिक संगठनों के सहयोग से मिलकर चलाए जा रहे स्वावलंबी भारत अभियान के तहत आने वाले 2 साल में 8 लाख युवाओं को रोजगार देने वाला इंटरप्रिन्योर बनाने का लक्ष्य रखा गया है और संगठन इसे 2 साल में अवश्य ही हासिल कर लेगा।
पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि देश में कोरोना महामारी के बाद पैदा हुई बेरोजगारी की स्थिति से निपटने के लिए इस अभियान की शुरूआत की गई थी और यह अभियान अब लगातार बढ़ता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह अभियान देश के 600 जिलों में चलाया जा रहा है और इसके साथ कालेज, यूनिवर्सिटियां, आई.आई.टी. और पॉलीटैक्निकल कालेजों को जोड़ा गया है और इसके जरिए देश में उद्यमिता को बढ़ाने का संदेश दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश की पृष्ठभूमि मोटे तौर पर कारोबारी रही है और अंग्रेजों के शासन के दौरान भारत में नौकरियों का चलन बढ़ा था।
उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है और कोरोना के बाद यह समस्या ज्यादा बढ़ गई थी, लिहाजा इस मुद्दे के समाधान के लिए शुरूआत में 8 संगठनों को साथ लेकर रिसर्च अभियान शुरू किया गया, और इस कार्य में भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ, विद्यार्थी परिषद और लघु उद्योग भारती जैसे संगठनों का सहयोग लेकर देश की आर्थिक स्थिति और बेरोजगारी पर रिसर्च की गई। रिसर्च के बाद चौंकाने वाले नतीजे सामने आए और इस अभियान की शुरूआत हुई ।
आज भी देश के कुल रोजगार में चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री तक सिर्फ 2.5 प्रतिशत ही रोजगार है। जबकि प्राइवेट सैक्टर और कार्पोरेट जगत कुल मिलाकर लगभग सवा 6 प्रतिशत रोजगार का सृजन करता है। देश के 75 से लेकर 80 प्रतिशत तक लोग अभी भी कृषि, स्वरोजगार और छोटी दुकानदारी के अलावा उद्यमिता करते हैं। लेकिन देश में एक अलग तरह का नैरेटिव चलाया जा रहा है कि नौकरी ही रोजगार है। इसी नैरेटिव की धार कम करने और लोगों को अपना रोजगार शुरू करने हेतु प्रेरित करने के लिए स्वावलंबी भारत अभियान के तहत सफल कारोबारियों की कहानियां सुनाकर प्रेरित किया जा रहा है। इस अभियान में ऐसे ऐसे लोग सामने आए हैं, जिन्होंने 1200 रुपए से अपना काम शुरू करके 800 करोड़ रुपए तक की टर्नओवर वाली कंपनी खड़ी की है और हजारों लोगों को रोजगार दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस अभियान का लक्ष्य पूर्ण रोजगारयुक्त भारत, गरीबी मुक्त भारत और समृद्धि युक्त भारत है। उन्होंने कहा कि इस अभियान के शुरू होने के बाद हैदराबाद में लगाए गए एक ही मेले में 4000 लोगों ने रोजगार सृजन के लिए संकल्प लिया और इसके बाद बालाघाट के मेले में भी 3000 लोग स्वरोजगार के साथ जुड़ने का संकल्प लेकर गए।
अब तक देश में 4000 यूनिवर्सिटीज में 8 लाख लोगों को ऐसे कार्यक्रमों के जरिए अपना रोजगार शुरू करने का संकल्प ले चुके हैं और इनमें से आने वाले दो साल में 8 लाख नए कारोबारी जरूर निकलेंगे। उन्होंने कहा कि रोजगार के मामले पर सरकार से ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए और गैर सरकारी संगठनों को इससे जुड़कर अभियान को ज्यादा प्रभावी बनाना चाहिए। क्योंकि जो अभियान अ-सरकारी होता है, वह ही असरकारी होता है।