स्वतंत्रता की 79वीं वर्षगांठ के अवसर पर लाल क़िले से प्रधानमंत्री ने देशवासियों को संबोधित करते हुए स्वदेशी और सुरक्षा के अपने संकल्प को पुनः उद्घोषित कर, देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के अपने रोडमैप को और देश के सामने प्रस्तुत किया। - डॉ. अश्वनी महाजन
स्वतंत्रता की 79वीं वर्षगांठ के अवसर पर लाल क़िले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने देशवासियों को संबोधित करते हुए स्वदेशी और सुरक्षा के अपने संकल्प को पुनः उद्घोषित कर, देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के अपने रोडमैप को देश के सामने प्रस्तुत कर दिया है। मात्र 13 दिन पहले, 2 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री ने वाराणसी में अपने भाषण में स्वदेशी हेतु ज़ोरदार अपील करते हुए कहा था, ‘‘यदि भारत को अपने हितों की सुरक्षा करनी है तो हर दल, हर नेता और हर नागरिक को स्वदेशी को बढ़ावा देना होगा’’। उन्होंने व्यापारियों और दुकानदारों से तो यह कहा कि इस स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री ही देश की सच्ची सेवा होगी, देशवासियों से भी उन्होंने अपील की कि हम भारतीय उसी सामान को ख़रीदें जिसमें देश के लोगों का पसीना बहा हो।
वर्तमान संदर्भ में, जब अमरीका समेत अन्य देश हमारे देश की स्वतंत्र आर्थिक और विदेश नीति और बढ़ती आर्थिक और सामरिक ताक़त पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रहे हैं, प्रधानमंत्री का यह आह्वान, एक विशेष महत्व रखता है। ध्यातव्य है अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से आने वाले कई सामानों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त आयात शुल्क (कुल 50 प्रतिशत) थोपने और उसके ऊपर और जुर्माना भी ठोकने की घोषणा यह कह कर की है कि भारत रूस से तेल ख़रीद रहा है। ट्रंप ने यह कहा था कि भारत रूस से तेल ख़रीद कर रूस को यूक्रेन के साथ युद्ध में मदद कर रहा है। हालाँकि भारत ने यह साफ़ कर दिया था कि अमेरिका इस संबंध में दोहरे मापदंड अपना रहा है क्योंकि वो स्वयं अभी भी अपनी ज़रूरत के लिए रूस से व्यापारिक सम्बन्ध लगातार बनाए हुए हैं। प्रधानमंत्री ने वाराणसी के भाषण में अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों के संदर्भ में स्वदेशी के महत्व को रेखांकित किया था। समझना होगा कि 15 अगस्त का प्रधानमंत्री का यह भाषण कोई भावात्मक अपील मात्र नहीं है बल्कि उनकी सरकार का भारत को आगे बढ़ाते हुए 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने हेतु नीतियों की एक स्पष्ट दिशा का भी उद्घोष है।
हालाँकि 2014 में सत्ता के सूत्र संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने हेतु ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्ट अप इंडिया’, ‘कौशल विकास’, ‘उद्यमिता विकास’ आदि को बार-बार दोहराते रहे हैं, लेकिन उसमें स्वदेशी के प्रति उनका इतना स्पष्ट आग्रह कभी नहीं रहा। देश को सशक्त बनाने में देश के युवाओं, वैज्ञानिकों महिलाओं और उद्यमियों की भूमिका के बारे में उन्होंने सदैव विश्वास व्यक्त भी किया और उसके सुखद परिणाम भी देखने को मिले। लेकिन कोविड के दौरान स्वदेशी की ताक़त का यह एहसास देश को तब हुआ जब पूरी दुनिया कोविड के सामने घुटने टेक चुकी थी। अपने आपको विकसित कहने वाले देश भारत जैसे विकासशील देशों को मदद देना तो दूर स्वयं की रक्षा करने में भी ख़ुद को आश्वस्त नहीं मान रहे थे। ऐसे में भारत के समाज ने न केवल अपने आस-पास के परिवेश की सेवा और सुरक्षा की बल्कि भारत ने स्वयं के लिए वैक्सीन बनाकर समस्त जनसंख्या को सुरक्षित ही नहीं किया बल्कि दवा और स्वास्थ्य उपकरण बनाकर दुनिया को भी चकित कर दिया था, जिसके चलते भारत में कोविड का प्रभाव शेष दुनिया के मुक़ाबले बहुत की कम रहा।
स्वदेशी
प्रधानमंत्री, स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के आह्वान को आगे बढ़ाते हुए आज स्वदेशी के आधार पर हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के संकल्प को दोहराते हुए नज़र आए। उन्होंने कहा कि हम किसानों के लिए उर्वरक तो बनाएँगे ही अपने लड़ाकू विमानों के लिए इंजन भी बनाएंगे। समय आ रहा है कि हम वैश्विक बाज़ारों में अपने गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के साथ आगे बढ़ें। आज अनिश्चित वैश्विक माहौल में यह और भी ज़रूरी हो गया है। उन्होंने अपने ही अंदाज़ में इस बात को रेखांकित करते हुए कि ‘‘भारत में उत्पादन सस्ते में तैयार होता है, हमें इस मंत्र पर काम करना होगा कि ‘दाम कम और दम ज़्यादा’।’’ प्रधानमंत्री का यह उद्घोष अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ताओं में आए गतिरोध और अमरीकी प्रशासन द्वारा अपनाए जा रहे दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से प्रतिकूल रूख के संदर्भ में एक विशेष महत्व रखता है। जहाँ भूमंडलीकरण के समर्थक, देशों के बीच, आपसी निर्भरता का तर्क देते रहे हैं, प्रधानमंत्री का यह कहना कि दूसरे देशों पर निर्भरता ख़तरनाक है और हमें अपने हितों के संरक्षण हेतु आत्मनिर्भर होना है, सीधे तौर पर भूमंडलीकरण के विचार को सिरे से ख़ारिज करता हुआ दिखाई दे रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं के चलते भारत आत्मनिर्भर व्यापार और ऊर्जा स्वातंत्र्य की तरफ़ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हम अभी भी कई देशों पर निर्भर हैं, लेकिन एक सच्चे आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए हमें ऊर्जा स्वतंत्रता हासिल करनी होगी। पिछले वर्षों में हमारी सौर उर्जा क्षमता 20 गुना बढ़ गई है। वर्तमान में 10 नए परमाणु रिएक्टर चालू है, और जब भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूर्ण करेगा तब तक हमारा लक्ष्य अपनी परमाणु क्षमता को 10 गुना बढ़ाना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के अंत तक हम सेमी कण्डक्टर की पहली खेप तैयार करने में सफल हो जाएंगे। अमेरिका द्वारा भारत के डेयरी और कृषि बाज़ार तक पहुँच की माँग पर ज़ोर देने के बीच, मोदी ने कहा कि वह भारत के किसानों, मछुआरों और डेयरी उद्योग में कार्यरत लोगों के हितों की रक्षा के लिए “दीवार“ की तरह खड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि भारत का कृषि निर्यात 4 लाख करोड़ रुपये का है।
प्रधानमंत्री ने सभी छोटे और बड़े दुकानदारों से आग्रह किया कि उनके साइनबोर्ड पर यह लिखा होना चाहिए कि वे स्वदेशी सामान बेचते हैं। उन्होंने कहा कि स्वदेशी भारत की कमज़ोरी नहीं, बल्कि उसकी ताकत का प्रतीक होगा और ज़रूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल दूसरों को कमज़ोर करने के लिए भी किया जाएगा। महत्वपूर्ण है कि स्वदेशी जागरण मंच इस प्रकार का आग्रह वर्षों से करता रहा है।
सुरक्षा
हाल ही में जब पाकिस्तान ने पहलगाम में अपनी कायरतापूर्ण हरकत से 26 लोगों की निर्मम हत्या कर दी तो पाकिस्तान के आतंकवादियों और उसकी सैन्य क्षमता को नेस्तनाबूत करने के उद्देश्य से ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी प्रतिरक्षा क्षमता का दुनिया भर में जो प्रदर्शन भारत ने कर दिखाया उससे पाकिस्तान की प्रतिरक्षा प्रणाली तो ध्वस्त हुई ही, अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित देशों और चीन का दंभ भी तोड़ने में हम सफल हुए। अभी तक ये देश अपने आप को बड़ी सैन्य शक्ति मानने का दंभ भर रहे थे। हालाँकि अमेरिका और यूरोप जो अपने स्वार्थ के कारण रूस और यूक्रेन के युद्ध को हवा देते रहे हैं, मात्र चार दिनों के ऑपरेशन सिंदूर से ही विचलित हो गए, और विश्व शांति की दुहाई देते हुए, युद्ध विराम की अपील करने लगे। उसका कारण यह था कि इन देशों को अपनी सैन्य वस्तुओं का बाज़ार ख़तरे में पड़ता दिखाई देने लगा था। यहाँ यह समझना ज़रूरी है कि पिछले सालों में भारत के सैन्य वस्तु निर्यात 6 गुना बढ़कर 23,622 करोड़ रुपये तक पहुँच चुके हैं। प्रतिरक्षा सामानों का हमारा उत्पादन अब बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच चुका है।
सुरक्षा के मोर्चे पर, प्रधानमंत्री ने अगली पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमान बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय महत्व के सभी स्थलों, रक्षा प्रतिष्ठानों के साथ-साथ अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों और पूजा स्थलों को सुरक्षा कवच प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के सुदर्शन चक्र ने सरकार के ’मिशन सुदर्शन चक्र’ को प्रेरित किया है, जो तकनीक का उपयोग करके न केवल दुश्मन के हमले को बेअसर करेगा, बल्कि कई गुना ज़्यादा ताकत से “जवाबी हमला“ भी करेगा।
घुसपैठ
हालाँकि समय समय पर प्रधानमंत्री और सरकार घुसपैठ की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए उनके समाधान की ओर अपनी प्रतिबद्धता दिखाती रही है और घुसपैठियों पर कार्यवाही भी करती रही है, लेकिन एक मिशन के तहत इस समस्या से निपटने का पहला उद्घोष प्रधानमंत्री के भाषण में मिला। उन्होंने यह कहा कि घुसपैठ हमारे देश में जनसांख्यिकीय परिवर्तन ला रही है, जो हमारी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए ख़तरा उत्पन्न करती है। उन्होंने कहा, “यह (घुसपैठ) हमारी एकता, अखंडता और प्रगति के लिए भी संकट पैदा करती है। यह सामाजिक तनाव के बीज बोती है। दुनिया का कोई भी देश ख़ुद को घुसपैठियों के हवाले नहीं कर सकता, तो हम भारत को उनके हवाले कैसे कर सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि, ‘‘मैं कहना चाहता हूँ कि हमने उच्च स्तरीय जनसांख्यिकीय मिशन शुरू करने का निर्णय लिया है। यह मिशन इस गंभीर संकट से निपटेगा और एक निश्चित समय सीमा में हमारे देश पर मंडरा रहे संकट का समाधान करेगा। हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं’’।
कर का बोझ कम, रोजगार का वादा
हालाँकि प्रधानमंत्री के भाषण का अधिकांश भाग, स्वदेशी, आंतरिक और बाहरी सुरक्षा और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच उद्योग, कृषि और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को समर्पित था, लेकिन अपने लगभग 110 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने सामान्य जन को प्रत्यक्ष लाभ देने की प्रतिबद्धता को भी नहीं छोड़ा। लोगों के लिए ‘डबल दिवाली’ का वादा करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में अगली पीढ़ी के सुधारों की घोषणा करेगी, जिसका उद्देश्य आम लोगों पर कर का बोझ कम करना है, जिससे दैनिक जरूरतों की वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी।
युवाओं के लिए, प्रधानमंत्री मोदी ने एक लाख करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री विकसित भारत रोज़गार योजना की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सरकार निजी क्षेत्र में पहली नौकरी पाने वाले किसी भी युवा को 15,000 रुपये की राशि देगी। उन्होंने कहा कि सरकार उन कंपनियों का समर्थन करेगी जो नए रोज़गार पैदा करने में मदद करेंगी। उन्होंने कहा कि इस योजना से 3.5 करोड़ युवाओं को रोज़गार के अवसर मिल सकते हैं।
सरकार ने इससे पहले 2024-25 के केंद्रीय बजट में प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना की घोषणा की थी, जिसके तहत युवाओं को एक साल के लिए 5,000 रुपये प्रति माह का लाभ मिलता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक निश्चित समय सीमा के भीतर अगली पीढ़ी के सुधारों की सिफारिश करने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन करेगी।