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सबको पक्का घर का सपना साकार करती प्रधानमंत्री आवास योजना

प्रधानमंत्री आवास योजना ने सुरक्षित आवास प्रदान करके लाखों ग्रामीण परिवारों की जीवन स्थितियों को बदलने में उल्लेखनीय प्रगति की है। — शिवनंदन लाल 

 

देश के सभी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बेघर लोगों के सिर पर अपना पक्का छत उपलब्ध कराने के मामले में केंद्र की वर्तमान नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राजग सरकार मैं अपने 10 साल के कार्यकाल में लगभग 3 करोड़ घर लाभार्थियों को देने में कामयाबी पा ली है वही दो करोड़ और नए घरों का लक्ष्य शामिल करते हुए शहरी मध्य वर्ग के लोगों के लिए भी तीन स्लैब के तहत सब्सिडी सुविधा दे रही है। ज्ञात हो कि पूर्व की सरकारों द्वारा 1985 से 2016 के बीच, कुल तीन दशक के समय में इंदिरा आवास योजना के तहत 2,86,88,000 घर बनवाए गए तथा इसके लिए सरकारी खाते से 85,141.13 करोड़ खर्च किए गए थे। यानी कि जो काम पहले 30 साल के लंबे कालखंड में हुए उससे अधिक काम वर्तमान सरकार ने अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दिखाते हुए मात्र 10 साल में कर दिया है।

हर किसी का सपना होता है कि उसका खुद का घर हो, लेकिन बढ़ती महंगाई के कारण यह सपना अधूरा रह जाता है। पक्का घर’ भारत के सबसे निचले तबके के अवचेतन में शायद तब से है, जब सीमेंट खोजी नहीं गई थी और दो ईंटों को आपस में जोड़ने के लिए चूने का इस्तेमाल होता था। आजादी के बाद से राजनीतिक दलों ने पक्के घर की चाह को अपने पक्ष में जमकर भुनाया है। भारत में गरीबों के लिए मुफ्त सरकारी मकान की योजनाओं का इतिहास लोकतंत्र जितना ही पुराना है। पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने अपने पहले कार्यकाल के आखिर में इसे शुरू कर दिया था। 1957 में भारत में पहली ग्रामीण आवास योजना आई। इसमें सरकार की तरफ से गरीब तबके के लोगों को पक्का घर बनवाने के लिए 5000 रुपए का अनुदान दिया जाता था। 1960 तक देश में इस योजना के तहत पांच लाख आवास बनाए गए। हालांकि बाद में काम की रफ्तार धीमी पड़ती गई। साल 1985 में इस दिशा में दूसरा बड़ा प्रयास शुरू हुआ। राजीव गांधी सरकार ने ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम शुरू किया। इस योजना में भूमिहीन और बंधुआ मजदूरी से मुक्त करवाए गए परिवारों के लिए रोजगार की व्यवस्था की गई थी। इसी योजना के लिए ऐसे परिवारों के लिए ’इंदिरा आवास’ नाम से घर बनवाए जाने का प्रस्ताव भी था। शुरुआत में इंदिरा आवास केवल अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को ही कवर करती थी। 1993-94 में गैर दलित और आदिवासी बीपीएल परिवारों को भी इस योजना की जद में लाया गया। 1996 लोकसभा में लोकसभा चुनाव होने जा रहे थे तब तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने पहली जनवरी 1996 को इंदिरा आवास योजना को स्वतंत्र योजना घोषित कर दिया। आंकड़ों के मुताबिक 1985 से 2016 के बीच, कुल तीन दशक के समय में इंदिरा आवास योजना के तहत 2,86,88,000 घर बनवाए गए. इसके लिए सरकारी खाते से 85,141.13 करोड़ खर्च किए गए।

2015 में नरेंद्र मोदी सरकार ने इंदिरा आवास योजना को नए सिरे से शुरू किया और इसे नाम दिया गया, ’प्रधानमंत्री आवास योजना। इसके तहत 2022 तक कुल 3 करोड़ आवास बनाने का लक्ष्य रखा गया। प्रधानमंत्री की दृष्टि और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में गरीब लोगों के लिए पक्के मकान बनाने और उपलब्ध कराने की सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (2015) और ग्रामीण (2016) का शुभारंभ हुआ।

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण (पीएमएवाई ग्रामीण) 20 नवंबर 2016 को शुरू की गई, जिसका लक्ष्य समाज के सबसे गरीब वर्गों के लिए आवास प्रदान करना था। लाभार्थियों का चयन कठोर तीन-चरणीय सत्यापन प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है जिसमें सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी 2011) और आवास$ (2018) सर्वेक्षण, ग्राम सभा अनुमोदन और जियो-टैगिंग शामिल है। इससे सुनिश्चित होता है कि सहायता सबसे योग्य व्यक्तियों तक पहुंचे। इस योजना में कुशल निधि संवितरण के लिए आईटी और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) को भी शामिल किया गया है। इसने विभिन्न निर्माण चरणों में जियो-टैग की गई तस्वीरों के माध्यम से क्षेत्र-विशिष्ट, आवास डिजाइन और साक्ष्य-आधारित निगरानी भी लागू की है।

मूल रूप से 2023-24 तक 2.95 करोड़ मकानों को पूरा करने का लक्ष्य रखते हुए, इस योजना को 2 करोड़ और मकानों के साथ बढ़ाया गया, जिसमें वित्त वर्ष 2024-29 के लिए 23,06,137 करोड़ का कुल परिव्यय और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 54,500 करोड़ का आवंटन किया गया। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 9 अगस्त, 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मैदानी क्षेत्रों में 1.20 लाख रुपये और पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों एवं पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 1.30 लाख रुपये की मौजूदा इकाई सहायता पर दो करोड़ और मकानों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत सरकार ने 3.32 करोड़ मकान बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। 19 नवंबर, 2024 तक, 3.21 करोड़ मकानों को मंजूरी दी गई है, और 2.67 करोड़ मकान पूरे हो चुके हैं, जिससे लाखों ग्रामीण परिवारों की रहने की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।

इस योजना में महिला सशक्तीकरण पर भी विशेष ध्यान दिया गया है, जिसमें 74 प्रतिशत स्वीकृत मकानों का स्वामित्व पूरी तरह से या संयुक्त रूप से महिलाओं के पास है। यह योजना अब महिलाओं को 100 प्रतिशत स्वामित्व प्रदान करने की आकांक्षा रखती है। कुशल रोजगार भी प्राथमिकता रही है। लगभग 3 लाख ग्रामीण राजमिस्त्रियों को आपदा-रोधी निर्माण में प्रशिक्षित किया गया है, जिससे उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि हुई है।

पीएमएवाई-जी ग्रामीण परिवारों के लिए व्यापक सहायता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न अन्य सरकारी पहलों के साथ मिलकर काम करती है। इन योजनाओं का उद्देश्य स्वच्छता, रोजगार, खाना पकाने के ईधन और जल आपूर्ति जैसी कई जरूरतों को पूरा करके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-जी)ः ग्रामीण घरों में बेहतर स्वच्छता सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए लाभार्थियों को शौचालय बनाने के लिए 12,000 तक मिलते हैं। मनरेगा पात्र परिवार अकुशल श्रमिक के रूप में 95 दिनों का रोजगार प्राप्त कर सकते हैं, विशेष रूप से ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण के तहत, 290.95 की दैनिक मजदूरी प्राप्त कर सकते हैं। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना योजना के तहत, प्रत्येक घर मुफ्त एलपीजी कनेक्शन का हकदार है, जो स्वच्छ और सुरक्षित खाना पकाने के ईंधन को बढ़ावा देता है। लाभार्थियों को पाइप्ड पेयजल और बिजली कनेक्शन सुलभ कराने की सुविधा प्रदान की जाती है, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार होता है और असुरक्षित पानी और अनियमित बिजली आपूर्ति से जुडे स्वास्थ्य जोखिमों में कमी आती है।

पिछले एक दशक में, एसईसीसी 2011 की स्थायी प्रतीक्षा सूची पूरी हो गई है, और 20 से अधिक राज्यों की आवास$ 2018 सूची भी पूरी हो गई है।

कुल मिलाकर प्रधानमंत्री आवास योजना ने सुरक्षित आवास प्रदान करके लाखों ग्रामीण परिवारों की जीवन स्थितियों को बदलने में उल्लेखनीय प्रगति की है। पीएमएवाई- आवास योजना भारत को सशक्त बनाने, सामाजिक समानता सुनिश्चित करने और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के उत्थान के लिए आंदोलन है। दो करोड़ अतिरिक्त घरों के निर्माण के लिए हालिया मंजूरी के साथ, सरकार “सभी के लिए आवास“ लक्ष्य हासिल करने की प्रतिबद्धता को मजबूत कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक पात्र परिवार को गुणवत्तापूर्ण आवास और सम्मानजनक जीवन मिले।    

(लेखक आकाशवाणी दिल्ली केंद्र के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी है।)
 

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